वेस्टर्न से कहीं ज्यादा बेहतर है Indian Toilet, कोलन कैंसर भी रहेगा कोसों दूर
इन दिनों वेस्टर्न टॉयलेट्स का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। लोग अक्सर अपनी सुविधा और अपने घर के बेहतर लुक के लिए वेस्टर्न टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते हैं। कई लोगों का मानना है कि यह ज्यादा बेहतर होते हैं तो वहीं कुछ इंडियन टॉयलेट्स को बेहतर मानते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट्स में से कौन ज्यादा बेहतर है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल चुकी है। आरामदायक जीवन जीने के लिए कई ऐसी चीजों को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल कर रहे हैं, जिसके हमारी सेहत पर अक्सर बुरे प्रभाव पड़ते हैं। वेस्टर्न टॉयलेट्स इन्हीं में से एक है, जो आजकल कई लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। इन दिनों ज्यादातर लोग वेस्टर्न टॉयलेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से अब इंडियन टॉयलेट्स का चलन कम होता जा रहा है।
हालांकि, अभी भी कई लोगों के बीच इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट्स को लेकर बहस जारी है। कुछ लोग जहां इंडियन टॉयलेट्स को बेहतर मानते हैं, तो वहीं कुछ वेस्टर्न टॉयलेट्स को सुविधाजनक मानते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो वेस्टर्न टॉयलेट्स ज्यादा बेहतर मानते हैं, तो आज हम आपको बताएंगे इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट्स में से कौन ज्यादा बेहतर है-
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फिट रखते हैं इंडियन टॉयलेट्स
वेस्टर्न टॉयलेट्स की तुलना में इंडियन टॉयलेट्स आपको फिट रखने में ज्यादा मददगार होते हैं। दरअसल, भारतीय शैली वाली शौचालयों में बैठने से आपकी कसरत होती है, जो आपके पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
इंडियन टॉयलेट में आप जिस तरह बैठते हैं, उससे आपका ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और यह आपके हाथों और पैरों के लिए एक बेहतरीन व्यायाम है।
पर्यावरण के अनुकूल
इंडियन टॉयलेट, वेस्टर्न टॉयलेट की तुलना में पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। दरअसल, वेस्टर्न टॉयलेट में पेपर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कागज की बर्बादी होती है। वहीं, भारतीय शौचालय इस मामले में काफी बेहतर होते हैं, जिसमें कागज की कोई बर्बादी नहीं होती है। इसके अलावा पाश्चात्य शैली वाले शौचालयों पानी की जरूरत भी ज्यादा होती है।