जापान में कोहराम मचा रहा Flesh Eating Bacteria, एक्सपर्ट्स से जानें क्या भारत के लिए खतरा बन सकती है यह बीमारी
जापान में पिछले कुछ दिनों से स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) का कहर जारी है। यहां इस खतरनाक बीमारी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया (Flesh Eating Bacteria) के कारण होने वाली यह बीमारी दुर्लभ लेकिन बेहद गंभीर है। ऐसे में एक्सपर्ट्स बता रहे हैं यह भारत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कुछ समय से जापान में लगातार स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह एक खतरनाक बीमारी है, जो फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया (Flesh Eating Bacteria) के कारण होती है। यह बैक्टीरिया ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस (जीएएस) परिवार से संबंधित है। यह बीमारी बेहद गंभीर है, क्योंकि इससे संक्रमित होने के 48 घंटों के अंदर ही पीड़ित की मौत हो सकती है।
पूर्वी-एशियाई देशों में 2 जून तक इस बीमारी के 977 मामले सामने आ चुके हैं, जो पिछले साल के 941 मामलों की तुलना में काफी ज्यादा है। 'फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया' बीमारी की मृत्यु दर 30 प्रतिशत है। ऐसे में STSS के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए जापान प्रशासन ने स्वास्थ्य अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के आदेश दिए हैं। ऐसे में इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानने और भारत में इसके खतरे को लेकर जागरण ने कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स से बातचीत की।
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क्या है स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS)?
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, जिसे 'फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया' डिजीज के नाम से भी जाना जाता है, एक 'दुर्लभ लेकिन गंभीर संक्रमण' है। यह बीमारी ग्रुप-ए स्ट्रेप्टोकोकस (GAS) बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बारे में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में संक्रामक रोग की सलाहकार डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा ने बताया कि GAS बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में हानिकारक टॉक्सिन्स छोड़ता है, जिससे तेज और गंभीर इम्यून रिस्पॉन्स होता है। वहीं, शारदा अस्पताल में जनरल फिजिशियन डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं कि ये बैक्टीरिया रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स या सीधे संपर्क के जरिए फैलते हैं।
GAS बैक्टीरिया एक ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर इंसानों के गले या त्वचा पर पाया जाता है। यह बैक्टीरिया काफी खतरनाक हो सकता है और हल्के संक्रमण जैसे स्ट्रेप थ्रोट और इम्पेटिगो से लेकर नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस और एसटीएसएस जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
STSS और GAS बैक्टीरिया का निदान कैसे करें?
शरीर में STSS और GAS की मौजूदगी का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट (RATD) या थ्रोट कल्चर का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से गले या अन्य संक्रमित स्थानों में बैक्टीरिया के मौजूद होने की पहचान करता है। वहीं, डॉ. पांडा ने बताया कि स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (एसटीएसएस) जैसे गंभीर संक्रमण के निदान के लिए ब्लड या टिश्यू कल्चर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
STSS रोग के लक्षण
STSS से संक्रमित होने पर शरीर में विभिन्न लक्षण नजर आते हैं, जिसकी मदद से समय रहते इसकी पहचान की जा सकती है। जैसा कि डॉक्टर ने बताया कि यह बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में टॉक्सिन्स छोड़ते हैं, जिससे तेज और गंभीर इम्यून रिस्पॉन्स होता है। इसके अलावा GAS संक्रमण के मामलों में नेक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस का संकेत देने वाला गंभीर दर्द का भी अनुभव होता है, जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो बहुत ही कम समय में दर्दनाक मृत्यु हो सकती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आते हैं-- तेज बुखार
- कंफ्यूजन
- लो ब्लड प्रेशर
- तेज हार्ट रेट
- मल्टी ऑर्गन फेलियर
- बिना वजह किसी एक हिस्से में दर्द