Flesh Eating Bacteria: 'नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस' मांस खाने वाले दुलर्भ बैक्टीरिया से मरते-मरते बची यह महिला!
Flesh Eating Bacteria नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस का नाम आपने शायद ही सुना हो। यह एक मांस खाने वाला बैक्टीरिया होता है जिसका समय रहते न पता चले तो इसे फैलने से रोकना मुश्किल हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है। आइए जानें इस बीमारी के बारे में।
By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Wed, 31 May 2023 04:30 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Flesh Eating Bacteria: इंग्लैंड के कोलचेस्टर में रहने वालीं, 27 साल की चार्ली चैटरटन ने जब अपनी बेटी को जन्म दिया था, तो उस समय उन्हें किसी तरह की जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि, 6 दिनों के बाद, उनके पेट में चक्कते उभरने लगे और उन्हें फौरन अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उन्हें नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस (Necrotizing Fasciitis) है और उनके बच पाने की संभावना काफी कम है।
उन्होंने बीबीसी को बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें साफ बता दिया था कि उनके बच पाने की उम्मीदें काफी कम हैं। अब वह बिल्कुल स्वस्थ हैं, तो वह मानती हैं कि बिना समय गंवाए अस्पताल जाना और डॉक्टरों द्वारा बीमारी का सही और जल्दी डायग्नोसिस से उनकी जान बच पाई।चार्ली ने मीडिया को बताया कि उनके पेट में उभरे चक्कते बिल्कुल उबलती हुई केतली जितने गर्म महसूस होते थे और साथ ही उन्हें फ्लू की तरह के लक्षण का भी अनुभव हो रहा था। कई टेस्ट के बावजूद डॉक्टर्स यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर समस्या है क्या। उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही थी और उनका होश में रह पाना भी मुश्किल हो रहा था। तभी एक स्कैन में उनके टिशूज़ के नीचे गैस के पॉकेट का पता चला। इसी से डॉक्टरों का ध्यान नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस की तरफ गया। जिसके बाद चार्ली की फौरन सर्जरी की गई और डॉक्टरों ने मृत टिशू का एक बड़ा हिस्सा काट कर निकाल दिया ताकि मांस खाने वाले बैक्टीरिया को फैलने से रोका जा सके।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी के बाद चार्ली को तीन दिन के लिए दवाओं की मदद से बेहोश रखा। तीन दिनों के बाद जब उन्हें होश आया, तो उनके पेट पर दो बड़े घाव थे, जिनको 6 दिनों के लिए खुला छोड़ा गया था, ताकि उनका शरीर अच्छी तरह से रिकवर हो सके। चार्ली को दो हफ्ते के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई और उन्होंने कहा, " मैं शारीरिक तौर पर बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रही हूं, लेकिन मानसिक तौर पर जो कुछ भी हुआ उसे अब भी समझ पाना मुश्किल हो रहा है। मेरे शरीर पर बड़े-बड़े दो निशान हैं, कुछ तंत्रिका को नुकसान भी पहुंचा है, लेकिन फिर भी खुद को खुशनसीब मान रही हूं। मैं जिंदा हूं, यह जानकर खुशी हो रही है।"
चार्ली ने कहा, "मेरे साथ जो हुआ उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मैं सभी तक पहुंचाना चाहती हूं क्योंकि ज्यादातर लोगों ने इस बारे में कभी सुना भी नहीं होता। इसका पता जितनी जल्दी चल जाए, जिंदगी बचने की उम्मीद भी उतनी ही बढ़ जाती है।"
नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस किस तरह की बीमारी है?
सीडीसी के अनुसार, नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस एक दुर्लभ संक्रमण है, जो तेजी से पूरे शरीर में फैलता है। ज्यादातर मामलों में इसकी वजह से मरीज की मौत हो जाती है। यह बैक्टीरिया त्वचा के संपर्क में आमतौर पर किसी कट के जरिए आ जाता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में इसका खतरा ज्यादा हो जाता है, जो प्रेग्नेंसी और बच्चे के जन्म के समय पर हो सकता है।
शरीर में कैसे पहुंचता है यह बैक्टीरिया?
- घाव
- कीड़े के काटने से
- घाव पर छेद हो जाना
- सर्जरी के बाद के घाव
- जलने का घाव
- ब्लंट ट्रॉमा के जरिए भी बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकता है।
शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं?
- त्वचा का गर्म और लाल हो जाना
- स्किन पर सूजन के साथ रेडनेस
- तेज दर्द
- बुखार
बाद की स्टेज के लक्षण कैसे होते हैं?
- त्वचा पर छाले या काले स्पॉट्स
- स्किन के रंग में बदलाव आना
- पस पड़ जाना
- कमजोरी
- मितली
- त्वचा जहां से लाल, गर्म और सूजी हुई है, वहां दर्द होना