हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए फॉलो करें Dash Diet
साल 1997 में New England Journal of Medicine में डैश डाइट को पब्लिश किया गया था। एक शोध के जरिए खुलासा हुआ है कि डैश डाइट हाई बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। इस शोध में 456 लोगों को शामिल किया गया था।
By Pravin KumarEdited By: Updated: Sat, 09 Oct 2021 10:26 AM (IST)
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आधुनिक समय में लोग बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए एटकिंस डाइट, Mediterranean डाइट, केटोजेनिक डाइट, वेगन डाइट, डॉक्टर दीक्षित डाइट और इंटरमिटेंट फॉस्टिंग फॉलो करते हैं। इन डाइट को फॉलो करने से न केवल वजन कंट्रोल में रहता है, बल्कि अन्य बीमारियों में भी आराम मिलता है। खासकर Dash Diet को फॉलो करने से उच्च रक्तचाप कंट्रोल में रहता है। कई शोधों में खुलासा हो चुका है कि Dash Diet को फॉलो कर उच्च रक्तचाप को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो उच्च रक्तचाप का प्रमुख तनाव है। इसके लिए सबसे पहले तनाव न लें। आसान शब्दों में कहें तो तनाव बिल्कुल न लें। वहीं, खानपान में विशेष व्यापक बदलाव करें। अगर आप भी उच्च रक्तचाप की समस्या से परेशान हैं, तो Dash Diet फॉलो करें। आइए, इसके बारे में सब कुछ जानते हैं-
Dash Diet क्या हैइस डाइट में साबुत अनाज, मछली, नॉन फैट डेयरी, पोल्ट्री और लीन मीट, फल और सब्जियां खाने की आजादी होती है। वहीं, बहुत कम मात्रा में चीनी और नमक खाने की इजाजत होती है। यह डाइट मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। साथ ही इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है। इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है। जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए काम करना बंद कर देती हैं।
क्या कहती है शोध हाल के दिनों में डैश डाइट बेहद पॉपुलर हुआ है। इस डाइट से न केवल वजन, बल्कि उच्च रक्तचाप को भी कंट्रोल किया जा सकता है। Harvard T.H. Chan School of Public Health की मानें तो डैश डाइट को पहली बार साल 1996 में American Heart Association की वार्ता में पेश किया गया था। इसके बाद साल 1997 में New England Journal of Medicine में डैश डाइट को पब्लिश किया गया था। एक शोध के जरिए खुलासा हुआ है कि डैश डाइट हाई बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। इस शोध में 456 लोगों को शामिल किया गया था।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।