तमिलनाडु में Rabies ने ली चार साल के बच्चे की जान, डॉक्टर ने बताया कैसे करें अपना बचाव
हाल ही में तमिलनाडु (Rabies in Tamil Nadu) में एक 4 साल के बच्चे की Rabies से मौत हो गई। कुत्ते के काटने के बाद वह रेबीज का शिकार हो गया है और इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। यह एक गंभीर बीमारी है जो समय पर इलाज न मिलने पर मौत का कारण बन जाती है। ऐसे में डॉक्टर से जानते हैं कैसे करें इससे बचाव।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिनों तमिलनाडु (Rabies in Tamil Nadu) से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। यहां एक चार साल के बच्चे की कुत्ते के काटने के बाद रेबीज (Rabies) के कारण मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक रानीपेट जिले के अरकोनम के रहने वाले निर्मल पर 27 जून को कुत्ते ने तब हमला किया, जब वह अपने घर के पास खेल रहा था। इसके बाद उसके इलाज के लिए तुरंत हॉस्पिटल ले जाया, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई, जिससे कुछ दिनों पहले उनकी मौत हो गई।
इस खबर के सामने आने के बाद से ही अब एक बार फिर रेबीज को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इससे पहले पिछले साल गाजियाबाद में भी एक बच्चे की रेबीज की वजह से मौत हो गई थी। ऐसे में इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की बेहद जरूरत है। आइए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीनियर रजिस्ट्रार मुजामिल सुल्तान से जानते हैं इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें-यह भी पढ़ें- क्या Dengue Fever के इलाज में मददगार हैं गिलोय, पपीते के पत्ते और बकरी का दूध? जानें एक्सपर्ट की राय
क्या है रेबीज और कैसे फैलता है?
मनुष्यों और अन्य मेमल्स के सेंट्रल नर्वस सिस्टम रेबीज नामक वायरल डिजीज से प्रभावित होते हैं। यह आमतौर पर कुत्ते, चमगादड़ या रकून जैसे संक्रमित जानवर के काटने से होता है। लगभग हमेशा इसके लक्षण सामने आते ही रेबीज घातक हो जाता है। रेबीज लाइसावायरस के कारण होता है, जो सूजन का कारण बनता है और काटने की जगह से ब्रेन तक पहुंच जाता है।
बुखार, सिरदर्द और थकावट इसके शुरुआती लक्षणों में से हैं। वहीं, आगे चलकर यह पैरालिसिस, हेलुसिनेशन और हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) जैसे गंभीर लक्षण में बदल जाते हैं। इसके बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए रेबीज वैक्सीन सहित तुरंत मेडीकल हेल्थ लेना जरूरी है।
कैसे होती है ये बीमारी?
रेबीज के लिए जिम्मेदार वायरस आमतौर पर संक्रमित जानवर की लार से फैलता है। कुत्ता, चमगादड़, रकून या लोमड़ी के काटने पर आमतौर पर कोई इंसान रेबीज का शिकार होता है। घाव के जरिए वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद दिमाग में चला जाता है, जहां इसके लक्षण प्रकट होते हैं। दुर्लभ मामलों पर यह वायरस खरोंच, खुले घावों या म्यूकस मेमब्रेन के जरिए भी फैल सकता है, जो संक्रमित जानवर की लार के संपर्क में आते हैं।
कब वैक्सीन लगवाना है ज्यादा असरदार?
डॉक्टर बताते हैं कि वायरल एक्सपोजर के बाद जितनी जल्दी हो सके इसकी वैक्सीन लगवा लें। आदर्श रूप से, किसी जानवर के काटने या संपर्क के 24 घंटों के भीतर - रेबीज वैक्सीनेशन दिया जाता है, जिससे यह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। यह पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) का एक कम्पोनेंट है, जिसका उद्देश्य वायरस को सेंट्रल नर्वस सिस्टम में फैलने से रोकना है।कैसे करें बचाव
- अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करें और खुद को जानवरों से दूर रखें।
- जानवरों के काटने से हुए घावों के इलाज के लिए तुरंत साबुन और पानी का इस्तेमाल करें।
- अगर आप खतरनाक जानवरों के संपर्क में आते हैं, तो जितनी जल्दी हो सके मेडीकल हेल्प लें।
रेबीज का इलाज
- एक्सपोजर के बाद, तुरंत पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) शुरू करें, जिसमें घाव की सफाई और रेबीज वैक्सीनेशन शामिल है।
- एक बार लक्षण नजर आने पर रेबीज लगभग हमेशा घातक होता है, इसलिए बिना लापरवाही किए तुरंत वैक्सीनेशन करवाना जरूरी है।