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हर वक्त गैजेट्स का इस्तेमाल कर सकता है रीढ़ की हड्‍डी पर हमला, ऐसे करें बचाव

देर तक बैठ कर काम करते रहने गैजेट्स का लंबे देर तक इस्तेमाल करने से आंखों के साथ ही आपकी स्पाइन भी हो सकती है कई तरह की बीमारियों का शिकार। जिससे बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Tue, 30 Mar 2021 09:01 AM (IST)
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लैपटॉप कर काम करते-करते स्पाइनल प्रॉब्लम से परेशान महिला

गैजेट्स के बढ़ते यूसेज के बीच एक चौंकाने और परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। इसके मुताबिक, जो युवा हर वक्त गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं और देर तक एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं, उन्हें रिपिटेटिव स्ट्रेन इंजरी (आरएसआई) होने की आशंका बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, ऑफिस जाने वाले और खेलों से जुड़े लोग भी इस बीमारी की गिरफ्त में आसानी से आ जाते हैं। खासतौर पर 20 से 40 साल की उम्र वाले प्रोफेशनल्स के बीच रीढ़ से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं। यही वजह है कि 18 लाख लोग हर साल आरएसआई से अफेक्टेड हो रहे हैं। वैसे, इस प्रकार के 80 परसेंट मामलों का समाधान लाइफस्टाइल में बदलाव से किया जा सकता है, जैसे अच्छा पोषण और भरपूर व्यायाम।

क्यों होती है बीमारी?

इस उम्र वाले ज्यादातर लोग वर्किंग प्रोफेशनल होते हैं जो ऑफिस पहुंचने के लिए लंबा ट्रेवल करके, ड्राइव करके पहुंचते हैं और इसके बाद पूरा दिन एक ही जगह बैठकर काम करते रहते हैं।

वर्क फ्रॉम होम ही नहीं नॉर्मली ऑफिस में ही कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं, कॉन्फ्रेसिंग और मीटिंग के लिए बैठे रहते हैं और बाकी समय में मोबाइल पर बिजी रहते हैं।

फुर्सत के पलों में कुछ लोग किताबें पढ़ने के लिए भी गैजेट का इस्तेमाल करते हैं और पढ़ते-पढ़ते सो जाते हैं।

स्क्रीन पर इतना लंबा वक्त बिताना और अनावश्यक एक्सपोजर स्पाइन पर तनाव डालता है और इससे लिगामेंट में स्प्रेन की संभावना बढ़ जाती है जो वर्टिब्रा को बांधकर रखता है।

ऐसे में मांसपेशियां कड़ी होने लगती है और डिस्क में प्राब्लम का खतरा बढ़ जाता है।

क्या है लक्षण?

प्रभावित जोड़ या मांसपेशी में टेंडरनेस या दर्द होना।

झनझनाहट होना, खासतौर से हाथ या बांह में।

संवेदनशीलता और शक्ति कम होना।

ये भी हैं कारण

एक ही मसल या मांसपेशियों के समूह को अत्यधिक इस्तेमाल करना।

वाइब्रेटिंग उपकरण का इस्तेमाल।

कम तापमान में काम करना।

खराब मुद्रा में बैठे रहना, खासतौर पर वर्क प्लेस पर।

अतितीव्र गतिविधियां करना।

एक ही अवस्था व मुद्रा में लंबे समय तक रहना।

ये है बचाव

आराम पाने के लिए बीच-बीच में ब्रेक लें।

एक ही मुद्रा में बैठे रहने पर खड़े होकर स्ट्रेचिंग करें।

किसी दूर रखी वस्तु को कुछ देर देखें।

ये भी इलाज

फिजियोथेरेपी कराएं।

स्ट्रेच करने वाले व्यायाम

चोट को बढ़ने से रोकने वाले व्यायाम

सिकाई

Pic credit- freepik