एक्सपर्ट से जानें क्या होती है Geriatric Pregnancy और ये कैसे बढ़ाती है खतरा
दीपिका पादुकोण ने कुछ दिनों पहले अपनी प्रेग्नेंसी की अनाउंसमेंट की जिसके बाद से लोगों में जेरीऐट्रिक प्रेग्नेंसी को लेकर काफी चर्चा होने लगी। कई लोगों ने चिंता भी जताई कि 35 साल से ज्यादा उम्र होने की वजह से आमतौर पर प्रेग्नेंसी में काफी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की। जानें इस बारे में उनका क्या कहना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Geriatric Pregnancy: बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, जो 38 साल की हैं, ने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की सूचना दी। इस पोस्ट को देखने के बाद कई लोगों ने उन्हें और उनके पार्टनर को बधाई दी, लेकिन इसी के साथ कई लोगों का ध्यान इस बात भी गया कि 38 साल की उम्र में मां बनना काफी चैलेंजिंग हो सकता है।
मां बनना किसी भी महिला के लिए काफी खास होता है। अपने बच्चे को अपने शरीर के एक भाग की तरह पालना बेहद खुशनुमा एहसास होता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं और चुनौतियां भी बढ़ने लगती हैं।
क्या है जेरीएट्रिक प्रेग्नेंसी?
35 साल की उम्र के बाद होने वाली प्रेग्नेंसी को जेरीऐट्रिक प्रेग्नेंसी या एडवांस्ड मेटरनल एज कहा जाता है। जेरियाट्रिक प्रेग्नेंसी से जुड़ी चुनौतियां और इस दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, के बारे में जानने के लिए हमने सी.के. बिरला अस्पताल की प्रसुति एवं स्त्री रोग की लीड कंसल्टेंट डॉ. आस्था दयाल से बात की। आइए जानते हैं इस बारे में उनका क्या कहना है।यह भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान वीगन डाइट बन सकती है प्री-एक्लेमप्सिया का कारण, स्टडी में सामने आई वजहइस बारे में बात करते हुए डॉ. दयाल ने बताया कि 35 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना एडवांस्ड मेटरनल एज या एएमए (AMA) कहा जाता है। इस प्रेग्नेंसी को ही जेरीऐट्रिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। इन प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे, दोनों के लिए ही काफी रिस्क होता है। यह रिस्क उम्र के साथ और बढ़ता जाता है, खासकर अगर महिला की उम्र 40 वर्ष से अधिक है, तो चुनौतियां और गंभीर हो जाती हैं।
किन चुनौतियों का रहता है खतरा?
उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई मेडिकल कंडिशन्स, जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा आदि का जोखिम भी बढ़ता जाता है। इन कारणों से प्रेग्नेंसी के दौरान कॉमप्लिकेशन्स भी बढ़ने लगते हैं। महिलाओं में उम्र के साथ अंडों की मात्रा और गुणवत्ता दोनों कम हो जाती है। जिससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी कमजोर होती है और प्रेग्नेंसी के दौरान क्रोमोजोम असामान्यताएं और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
इससे जुड़ी अन्य चुनौतियों के बारे में बात करते हुए डॉ. दयाल ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ जेस्टेशनल डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर या प्रीएक्लेमप्सिया का जोखिम अधिक रहता है। इसके अलावा, प्रीटर्म बर्थ, भ्रूण के विकास में रुकावट, मल्टिपल प्रेग्नेंसी, लो बर्थ वेट, जन्मजात बीमारियां या जेनेटिक डिसऑर्डर और स्टिल बर्थ का खतरा भी काफी ज्यादा रहता है। इसके अलावा, लेबर इंड्यूस करने में असफलता और सीजेरियन बर्थ की संभावना भी बढ़ जाती है।