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एक्सपर्ट से जानें कैसे प्रेग्नेंसी के दौरान Diabetes बन सकती है शिशु में हार्ट डिजीज की वजह

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं जिससे कई महिलाएं प्रभावित होती हैं। यह मां की सेहत के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ पर भी काफी असर डालती है। प्रग्नेंसी के दौरान ब्लड शुगर लेवल अधिक होने की वजह से शिशु के दिल पर क्या प्रभाव पड़ता है यह जानने के लिए हमने एक वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट से बात की। जानें इस बारे में उनका क्या कहना है।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Thu, 22 Feb 2024 12:32 PM (IST)
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गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज, हो सकता है शिशु के लिए खतरनाक

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Gestational Diabetes: प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं। महिलाओं के लिए यह समय जितना खास होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी होता है। इस दौरान शरीर में जो भी बदलाव होते हैं, वे किसी न किसी तरीके से होने वाले बच्चे को भी प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज (Gestational Diabetes) एक ऐसी ही चुनौती है, जो न केवल मां को बल्कि, बच्चे के सेहत पर भी प्रभाव डालती है, लेकिन क्या यह बच्चे में हार्ट डिजीज का कारण भी बन सकती है? इस बारे में जानने के लिए हमने एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और एसएएओएल हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के निर्देशक, डॉ. बिमल छाजर, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में उन्होंने क्या बताया।

जेस्टेशनल डायबिटीज बढ़ाता है CHD का खतरा...

जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में बात करते हुए डॉ. छाजर ने बताया कि बच्चों में जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease) को गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज से जोड़कर देखा जाता है, खासकर तब, जब डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए सही कदम न उठाए गए हो। जेस्टेशनल डायबिटीज को बेहतर तरीके से कंट्रोल न करने की वजह से बच्चों में कंजेनिटल हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

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दिल की कार्य करने की क्षमता हो सकती है प्रभावित...

प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में ब्लड शुगर अधिक होने की वजह से बच्चे के हृदय के सामान्य विकास में बाधा आ सकती है, जिस वजह से संरचनात्मक दोष यानी दिल की संरचना में विकार आ सकता है। इस समस्या के पीछे टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज दोनों ही दोषी पाए गए हैं। मां में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की वजह से इंफ्लेमेशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और जीन एक्सप्रेशन में परिवर्तन आ सकते हैं, जो बच्चे के हृदय के विकास में बाधा बन सकते हैं और हृदय के कार्य करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

जेस्टेशन डायबिटीज बढ़ाता है इन हार्ट डिजीज का खतरा...

इस बारे में और जानकारी देते हुए डॉ. छाबर ने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के शिशुओं में, बिना डायबिटीज वाली महिलाओं के शिशुओं की तुलना में कंजेनिटल हार्ट डिजीज का खतरा काफी अधिक होता है। सेप्टल असामान्यताएं ( वेंट्रिकुलर और एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट), ग्रेट आर्टरीज का ट्रांस्पोजिशन, ट्रेटालॉजी ऑफ फैलोट और हाइपोप्लास्ट लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम, कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें अक्सर जेस्टेशनल डायबिटीज से जोड़कर देखा जा सकता है।

गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल कितना है और गर्भावस्था के दौरान कब डायबिटीज की समस्या शुरू हुई, ये दोनों फैक्टर्स शिशु में हार्ट डिजीज के खतरे को प्रभावित करते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना बेहद आवश्यक होता है ताकि शिशु में कंजेनिटल हार्ट डिजीज का खतरा कम किया जा सकता है।

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Picture Courtesy: Freepik