ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के लिए खुशखबरी, इलाज में वैक्सीन ने दिखाए बेहतरीन नतीजे
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर में से एक है। आमतौर पर कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी की मदद ली जाती है लेकिन आपको बता दें कि हाल ही में ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ एक वैक्सीन (Breast Cancer Vaccine) का ट्रायल किया गया है जिसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। आइए जानते हैं कैसे किया गया यह ट्रायल।
वाशिंगटन, रायटर। Breast Cancer Vaccine: महिलाओं में होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर में गिना जाता है। स्तन में होने वाले इस कैंसर की वजह से हर साल कई महिलाओं की जान जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है इलाज में देरी या सही इलाज न मिल पाना।
आपको बता दें कि ब्रेस्ट कैंसर काफी तेजी से फैलता है। इसलिए इसका सही इलाज करवाना जरूरी है। अब तक बीमारियों के इलाज और बचाव के लिए कई तरह की वैक्सीन के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए भी अब वैक्सीन आ चुकी है। इस वैक्सीन का कुछ मरीजों पर ट्रायल किया गया, जिसके बारे में हम यहां आगे जानेंगे।
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सबसे खतरनाक माने जाने वाले ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के लिए एक प्रायोगिक वैक्सीन के छोटे ट्रायल में आशाजनक नतीजे देखने को मिले हैं। जीनोम मेडिसिन में गुरुवार को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार यह प्रयोग ट्रिपल-निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित पाए गए 18 नए मरीजों पर किया गया। इनमें कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला था।
इन मरीजों को कीमोथेरेपी और उस ट्यूमर को हटाने वाली सर्जरी के बाद विशेषरूप से उनके लिए बनाई गई वैक्सीन की तीन खुराक दी गईं। तीन वर्ष बाद इनमें से 16 मरीजों का कैंसर खत्म हो गया। हालांकि, शोधकर्ताओं ने माना कि केवल मानक देखभाल के जरिये ही आधे मरीजों की तीन वर्ष में कैंसरमुक्त होने की उम्मीद थी।
यह वैक्सीन इस तरह डिजाइन की गई थी कि वो मरीज के ट्यूमर (नियोएंटीजेंस) के मुख्य जीन म्यूटेशन को निशाना बनाए। इस वैक्सीन को इस तरह भी डिजाइन किया गया था कि वो मरीज के इम्यून सेल्स को इस तरह प्रशिक्षित करे ताकि वो इन म्यूटेशन को लेने वाली किसी भी सेल की पहचान करके उस पर हमला कर दे। इस ट्रायल की अगुवाई करने वाले वा¨शगटन यूनिवर्सिटी में स्कूल आफ मेडिसिन के डा. विलियम गिलैंडर्स ने कहा कि इस तरह के छोटे और कम समय वाले अध्ययन वैक्सीन के असर का नहीं बल्कि सुरक्षा का परीक्षण करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। वैसे नतीजे हमारी उम्मीदों से बेहतर हैं।
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