Dementia: हाथ कांपने की समस्या बढ़ा सकता है डिमेंशिया का खतरा
आपने देखा होगा कि कई लोगों के हाथ अपने आप कांपने शुरू हो जाते हैं और वे इसे चाहकर भी कंट्रोल करने में असक्षम होते हैं। यह कंडिशन असेंसियल ट्रेमर कहलाती है। हाल ही में एक स्टडी में इससे जुड़ी एक बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है। इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका वक्त पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। जानें क्या पाया गया इस स्टडी में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Dementia: डिमेंशिया एक बेहद गंभीर दिमागी कंडिशन होती है, जिसमें व्यक्ति की कॉग्नीटिव हेल्थ प्रभावित होने लगती है। इस कारण व्यक्ति को रोजमर्रा के काम करने में भी काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। याददाश्त कमजोर होना, ठीक से सोच-समझ न पाना, कंफ्यूजन, मूड स्विंग्स, एकाग्रता की कमी, आस-पास क्या हो रहा है न समझ पाना, ऐसे कई लक्षण डिमेंशिया का संकेत हो सकते हैं।
क्या है यह रिसर्च?
हाल ही में, एक स्टडी सामने आई है, जिसमेंअसेंसियल ट्रेमर और डिमेंशिया के बीच का कनेक्शन पता चला है। इस स्टडी में असेंसियल ट्रेमर से पीड़ित 222 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी इसकी स्टडी के शुरुआत में 79 वर्ष उम्र थी।उनके कॉग्नीटिव स्किल्स को परखने के लिए थिंकिंग और मेमोरी टेस्ट किए गए, ताकि पता लगा सकें कि उनके कॉग्नीटिव स्किल्स नॉर्मल हैं, हल्की-फुल्की दिकक्त है या वे डिमेंशिया से प्रभावित हैं। स्टडी की शुरुआत में 168 लोगों के कॉग्नीटिव स्किल्स सामान्य थे, 35 लोगों में माइल्ड कॉग्नीटिव इंपेयरमेंट थे और 19 लोगों को डिमेंशिया था।
इन प्रतिभागियों का 5 वर्षों तक फॉलो अप किया गया, जिसमें हर 1.5 साल पर इनके कॉग्नीटिव स्किल्स की जांच की जाती थी। जांच में पाया गया कि 59 व्यक्तियों में माइल्ड कॉग्नीटिव इंपेयरमेंट था और 41 लोग डिमेंशिया का शिकार हुए।
इन परिणामों के बाद शोधकर्ताओं ने सामान्य लोगों और असेंसियल ट्रेमर से पीड़ित लोगों के बीच डिमेंशिया या माइल्ड इंपेयरमेंट के दर की तुलना की। इसके साथ ही, इस बात का भी पता लगाने की कोशिश की गई कि असेंशियस ट्रेमर से पीड़ित व्यक्तियों में किस दर से डिमेंशिया विकसित हुआ। उन्होंने प्रतिभागियों की तुलना पार्किंसंस रोग वाले लोगों की दर और व्यापकता से भी की।
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