Health Risks of Poor Sleep: समय पर न सोने और 6 घंटे से कम सोने से हो सकती हैं सेहत से जुड़ी ये समस्याएं
Health Risks of Poor Sleep नींद की कमी ओवरऑल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकती है। इसी वजह से एक्सपर्टस रोजाना रात में 6-8 घंटे की नींद लेने को जरूरी बताते हैं। सोने- उठने का सही टाइम न होना या 6 घंटे से कम सोने से पाचन सिस्टम डिस्टर्ब हो सकता है और पाचन खराब होने का मतलब कई समस्याओं की शुरूआत।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 10 Aug 2023 07:32 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Health Risks of Poor Sleep: पेट अकसर रहता है खराब। कभी कब्ज, कभी गैस तो कभी पेट दर्द की समस्या के चलते सुबह की शुरुआत कभी ठीक से नहीं होती, तो इसकी वजह आपका स्लीपिंग पैटर्न हो सकता है। जी हां, नींद की कमी के अलावा सोने- उठने का कोई सही समय न होने से भी डाइजेस्टिव सिस्टम गड़बड़ा सकता है। नींद के खराब पैटर्न से पेट में हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है। जिसका सीधा असर पाचन सिस्टम पर पड़ता है।
एक रिसर्च में इस बात का पता चला है और यह पहली ऐसी रिसर्च है, जिसमें सर्केडियन रिदम को पाचन से जुड़ी समस्याओं से जोड़कर देखा गया है। रिसर्चर्स का कहना है कि, सोने और जागने के समय में 90 मिनट का अंतर भी माइक्रोबायोम को प्रभावित कर सकता है, जिससे हेल्थ पर कई तरह के नेगेटिव असर देखने को मिलते हैं।
नींद की कमी का सेहत पर असर
रिसर्चर्स कहते हैं, नींद की कमी मूड या पेट को ही नहीं बल्कि ओवलऑल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकती है। यही कारण है कि लोगों को रोजाना रात में 6-8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस रिसर्च के अनुसार, इस बारे में लोग बहुत ज्यादा जागरूक नहीं हैं कि सोने के पैटर्न किस तरह हमारे शरीर को प्रभावित कर सकता है। इस अध्ययन में पाया गया है कि पाचन से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या बहुत नुकसानदायक हो सकती है।क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर और शोध के वरिष्ठ लेखक डॉ. वेंडी हॉल कहती हैं, हम जानते हैं कि नींद में डिस्टर्बेंस, जैसे कि नाइट शिफ्ट में काम करना आपकी हेल्थ पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आंत में रोगाणुओं की संरचना पाचन से लेकर मेटाबॉलिज्म तक को भी प्रभावित करने वाली हो सकती है। अध्ययन से 934 लोगों के एक समूह का मूल्यांकन किया गया। उनके ब्लड, मल और आंतों के माइक्रोबायोम सैंपल के साथ-साथ रोजाना नींद के टाइम का भी आकलन किया गया।Pic credit- freepik