Health Tips: तेजी से बढ़ रहे हैं व्हाइट ब्लड सेल्स तो हो जाएं सावधान! जो करते हैं इस गंभीर बीमारी की ओर इशारा
Health Tips क्रॉनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन यह 40 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति में पाया जाता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में सीएमएल की समस्या ज्यादा पता चलता है जबकि बच्चों में यह बीमारी कम पाई जाती है।
By JagranEdited By: Priyanka SinghUpdated: Fri, 30 Sep 2022 07:50 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Health Tips: व्हाइट ब्लड सेल्स यानी श्वेत रक्त कणिकायें (डब्ल्यूबीसी) खून का एक अहम तत्व होता है। डब्ल्यूबीसी संक्रमण के खिलाफ लड़ाई करने की अपनी भूमिका के कारण सेहत और तंदुरुस्ती के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। हालांकि, इनकी बढ़ी हुई मात्रा खासतौर से धीरे-धीरे बढ़ती कैंसर की बीमारी की तरफ इशारा करता है। यह बोन मैरो के सेल्स में खून का निर्माण करने वाली कोशिकाओं में बनना शुरू होता है, जिसे क्रॉनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया कहते हैं।
क्या होता है क्रॉनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल)
इसमें रोगी का बोन मैरो काफी ज्यादा मात्रा में व्हाइट ब्लड सेल्स का निर्माण करता है। पहले तो ये कोशिकाएं सामान्य रूप से काम करती हैं, लेकिन जैसे ही स्थिति बदलती है, बेकार एवं निष्क्रिय व्हाइट ब्लड सेल्स, जिन्हें मायलोब्लास्ट्स कहते हैं, बढ़ने लगते हैं। मायलोब्लास्ट्स का अत्यधिक निर्माण होने से अन्य रक्त कोशिकाओं के बनने में रुकावट पैदा होती है, जिससे कि शरीर में स्वस्थ प्लेटलेट्स और रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणिकाएं) कम हो जाती हैं।
सीएमएल का संकेत डब्ल्यूबीसी काउंट द्वारा पता चल सकता है जो प्रति माइक्रोलीटर खून 1 में 4,500-11,000
कोशिकाओं की सामान्य सीमा से बाहर है। सीएमएल के मामले में, म्युटेटेड जीन - बीसीआर-एबीएल (BCR-ABL)एक स्विच के रूप में कार्य करता है जो हमेशा के लिए 'ऑन' मोड में होता है। इससे काफी ज्यादा संख्या में व्हाइट ब्लड सेल्स का निर्माण होता रहता है। इसके साथ ही ब्लड प्लेटलेट्स में लगातार वृद्धि होती है, जो रक्त के थक्के जमने में मदद करती है। इसके अलावा, ऑक्सीजन ले जाने वाले रेड ब्लड सेल्स कम हो सकते हैं।
सीएमएल के चरण
यह बीमारी तीन चरणों में आगे बढ़ती है- क्रॉनिक चरण, एक्सीलरेटेड चरण और ब्लास्ट चरण।- क्रॉनिक चरण में मायलोब्लास्ट्स, 10% से भी कम ब्लड सेल्स का निर्माण करता है और परिपक्व व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ जाती है। इस चरण में सीएमएल के लक्षण हल्के या मौजूद नहीं होते और धीरे- धीरे बढ़ते हैं। क्रॉनिक चरण महीनों से लेकर सालों तक चल सकता है।- एक्सीलरेटेड चरण में, थोड़े ज्यादा मायलोब्लास्ट्स होते हैं, जोकि लगभग 10-29% ब्लड सेल्स का निर्माण करते हैं। सामान्यतौर पर एक्सीलरेटेड चरण 4 से 6 हफ्तों तक चलता है। यदि, इसका इलाज ना किया जाए तो अंतत: सीएमएल ब्लास्ट चरण के सीएमएल में तब्दील हो जाएगा।
- ब्लास्ट चरण में मायलोब्लास्ट्स, कम से कम 30% या उससे ज्यादा ब्लड या बोन मैरो सेल्स का निर्माण करता है।जिन रोगियों में क्रॉनिक चरण में इसकी पहचान होती है, वे लंबे समय तक इलाज का पालन कर, बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। गंभीर मामलों में आधुनिक थैरेपी उपलब्ध हैं, जोकि रोग के बढ़ने को नियंत्रित कर रोगियों को लगभग सामान्य जिंदगी जीने में मदद करती हैं।