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तीन महीने जमकर सताएगी भीषण गर्मी, Heat Wave से बचने के लिए करने ही होंगे ये काम

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक अप्रैल से जून के बीच गर्मी का सितम चरम पर रहने वाला है। हीटवेव (Heat wave) दौरान स्वस्थ रहने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। खासकर छोटे बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत है। आइए जानते हैं हीटवेव से बचाव (Heat wave safety tips) के लिए सभी जरूरी बातें।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 03 Apr 2024 04:53 PM (IST)
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हीटवेव से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अप्रैल का महीना यानी चिलचिलाती धूप और लू (Heat wave) के थपेड़े, जिसे लेकर हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ओर से चेतावनी भी जारी की गई है। IMD के मुताबिक इस साल अप्रैल से जून के बीच भयंकर गर्मी आपका जीना मुहाल करने वाली है। ऐसे में इन दौरान चलने हीटवेव (Heat wave safety tips) से अपना बचाव करना बेहद जरूरी है। अत्यधिक गर्मी और उमस बेहद असुविधाजनक हो सकती है और खासकर शिशुओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकती है।

सावधानी के बिना, ज्यादा गर्मी से हीट स्ट्रोक और यहां तक कि मौत हो सकती है। ऐसे में गर्मियों में चलने वाली हीट वेव के बचाव के लिए आज हम आपको बताएंगे यूनिसेफ द्वारा बताए गए कुछ सेफ्टी टिप्स और हीटवेव से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में-

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हीटवेव क्या है?

हीटवेव, जिसे लू भी कहा जाता है, तब चलती है जब तापमान लगातार कई दिनों तक सामान्य से अधिक रहता है। ह्यूमिडिटी यानी उमस के कारण ज्यादा गर्मी महसूस हो सकती है।

हीटवेव का क्या कारण है?

गर्म हवा के वायुमंडल में फंसने के कारण हीटवेव उत्पन्न होती हैं और यह एक मौसम से जुड़ी एक प्राकृतिक घटना है। ग्रीनहाउस गैस इमिशन की वजह से क्लाइमेट चेंज के कारण हीटवेव की इनटेंसिटी और फ्रीक्वेसी में वृद्धि हो रही है, जो गर्मी को लंबे समय तक रोके रखती है।

हीटवेव से सबसे ज्यादा खतरा किसे है?

बहुत ज्यादा गर्मी हर किसी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। हलांकि, शिशु, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग खासतौर पर गर्मी से होने वाली समस्याओं के प्रति संवेदनशील होते हैं।

बहुत ज्यादा गर्मी वयस्कों की तुलना में शिशुओं और बच्चों के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है। इससे बच्चों में डिहाईड्रेशन खतरनाक या जानलेवा भी हो सकता है। बच्चों के शरीर को वयस्कों की तुलना में तापमान को नियंत्रित करने में ज्यादा परेशानी होती है। यही वजह है कि वे गर्मी से खुद को बचाने के लिए वयस्कों पर निर्भर रहते हैं।

वहीं, गर्भवती महिलाओं को भी इसका ज्यादा खतरा होता है। बहुत अधिक गर्मी और डिहाईड्रेशन से गर्भ में मौजूद शिशु का वजन कम होने, समय से पहले जन्म और यहां तक ​​कि स्टीबर्थ यानी मृत जन्म का भी खतरा बढ़ सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाएं को जल्दी प्रसव पीड़ा में हो सकती हैं और जेस्टेशनल डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है।

डीटवेव से बचने के लिए क्या करें?

बाहरी काम करने के पहले उस दिन, सप्ताह और महीने कितनी गर्मी और उमस रहने वाली है, इसकी जानकारी रखें।

तैयारी रखें

  • घर पर एक इमरजेंसी किट रखें, जिसमें ओरल रिहाइड्रेशन नमक (ओआरएस) के पैकेट, एक थर्मामीटर, पानी की बोतलें, गीली पट्टी के लिए तौलिये या कपड़े, एक हैंडहेल्ड पंखा या बैटरी वाला फैन आदि शामिल हों।
  • मेडीकल इमरजेंसी के लिए आसपास मौजूद हेल्थ केयर प्रोवाइडर या एम्बुलेंस/परिवहन सेवाओं के कॉन्टैक्ट अपने पास रखें।
घरों को ठंडा रखें

  • जब संभव हो, दिन के सबसे गर्म समय में घरों के पर्दे बंद कर दें और रात के समय घर को ठंडा करने के लिए खिड़कियां खोल दें।
  • अगर उपलब्ध हो तो पंखे और कूलर का उपयोग करें।
कूल और हाइड्रेटेड रहें

  • जबतक बहुत ज्यादा जरूरी न हो, तब तक दिन के सबसे गर्म समय में बाहर न निकलें। दिन में पहले या बाद में जब ठंडक हो तो कार्यों को पूरा करने का प्रयास करें।
  • अगर आप बाहर हैं, तो सनस्क्रीन लगाएं और छाया में रहने का प्रयास करें या सुरक्षा के लिए टोपी और छतरी का उपयोग करें।
  • डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें।
  • गर्मी में अधिक कपड़े पहनने से आप डिहाइड्रेट हो सकते हैं और तेजी से गर्म हो सकते हैं, इसलिए हल्के और ढीले कपड़े पहनें।
  • गर्मी के दिनों में घमौरियों को कम करने और पसीना सोखने के लिए कॉटन परफेक्ट है।
  • एक पानी की बोतल और एक छोटा तौलिया अपने साथ रखें, ताकि आप अपनी गर्दन पर गीला तौलिया रखकर हाइड्रेट और ठंडा हो सकें।

गर्मी से जुड़ी बीमारी के लक्षण

सामान्य लक्षण

  • सूखे होंठ/चिपचिपा मुँह
  • ज्यादा प्यास लगना
  • बहुत ज्यादा पसीना आना
  • कमजोरी/चक्कर आना
  • मतली या उल्टी होना
  • छोटे-छोटे छाले/चकत्ते
  • हीट रैशेज
  • हल्का बुखार
  • नकसीर
  • ऐंठन, आमतौर पर बाहों और पैरों में
गंभीर लक्षण

  • बेहोशी
  • तेजी से सांस लेना
  • पसीना नहीं आना
  • गहरे रंग का पेशाब आना
  • तेज दिल की धड़कन
  • दौरे पड़ना/कोमा (सबसे गंभीर)
  • 8 घंटे से ज्यादा समय तक पेशाब न आना
  • कंफ्यूजन/स्पष्ट रूप से प्रतिक्रिया न देना
  • 2 घंटे से अधिक समय तक शरीर का बहुत ज्यादा तापमान (40 डिग्री सेल्सियस/104 डिग्री फारेनहाइट)

हीटस्ट्रोक और गर्मी से जुड़ी बीमारियों का इलाज कैसे करें

शांत रहें और तुरंत मेडीकल हेल्प लें

  • अगर परिवार का कोई सदस्य गर्मी से संबंधित बीमारियों के गंभीर लक्षणों का शिकार हो गया है, तो व्यक्ति को अच्छे वेंटिलेशन वाले ठंडे छायादार जगह में बैठने या लेटने में मदद करें। अगर उपलब्ध हो तो पंखा या एयर कंडीशनर ओपन करें। गीले तौलिये को सिर, गर्दन, बगल और कमर की त्वचा पर लगाएं।
तापमान कम करें

  • अगर पहले से ऐसा नहीं किया गया है, तो व्यक्ति को ठंडी जगह पर ले जाएं। ज्यादा छाया करने के लिए सभी पर्दे बंद कर दें। अगर आसपास पंखा या एयर कंडीशनर मौजूद हो, तो उन्हें ओपन करें।
  • शरीर पर, विशेषकर सिर, गर्दन, बगल और कमर पर गीला तौलिया या ठंडे पानी की पट्टी लगाएं। पंखा चलाते समय गर्दन, बगल या कमर पर बर्फ या गीला तौलिया रखें।
  • शरीर को तेजी से ठंडा करने के लिए हाथों और पैरों को ठंडे पानी के कंटेनर में रख रख सकते हैं। अगर संभव हो तो बड़े बच्चों और वयस्कों को ठंडे पानी (लेकिन बर्फ जैसा ठंडा नहीं) या ठंडे शॉवर में डुबाया जा सकता है।
यह भी ध्यान रखें

  • शिशुओं और छोटे बच्चों को बहुत ठंडे पानी में न डुबोएं।
  • पंखे को चेहरे की ओर न रखें, विशेषकर शिशुओं के चेहरे की ओर न रखें।
  • डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह के बिना पेरासिटामोल/एसिटामिनोफेन न दें।

रिहाइड्रेट

  • छह महीने से कम उम्र के शिशुः छह महीने से कम उम्र के बच्चों को रिहाइड्रेट करने के लिए स्तनपान कराएं। मां को भी अधिक पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें, खासकर स्तनपान कराते समय।
  • बड़े शिशु और बच्चे: अपने शिशु या बच्चे को रिहाइड्रेशन में मदद करने के लिए थोड़ी मात्रा में पानी दें।
  • अगर बच्चे को बहुत पसीना आया है या बहुत ज्यादा पसीना आ रहा है तो बच्चे के लिए पानी में थोड़ा सा ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) मिलाएं। पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से फॉलो करें। अगर कोई गाइडलाइंस नहीं हैं, तो ये स्टेप्स फॉलो करें-
  • दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे को कम से कम 1/4 से 1/2 बड़े कप (250 मिली) ओआरएस ड्रिंक की जरूरत होती है।
  • दो वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के बच्चे को कम से कम 1/2 से 1 पूरा बड़ा (250 मिली) कप ओआरएस ड्रिंक की आवश्यकता होती है।
  • अगर आपको पास ओआरएस घोल या पाउडर उपलब्ध नहीं है, तो 1 लीटर साफ पानी में छह चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक घोलें।
  • बड़े बच्चे और गर्भवती महिलाएं: ज्यादा पसीना आने पर पानी में ओआरएस मिलाएं। उन्हें बेहतर दिखने तक हर 5 मिनट में 100 मिलीलीटर ओआरएस पीना चाहिए।
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Picture Courtesy: Freepik

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