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Uric Acid: हाई यूरिक एसिड बन सकता है कई गंभीर बीमारियों की वजह, समय रहते लक्षणों की पहचान है सबसे जरूरी

Uric Acid यूरिक एसिड का लेवल हाई होने से शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार डायबिटीज हाइपरटेंशन या दोनों के रोगियों में से 30% से ज्यादा में यूरिक एसिड के हाई होने का खतरा होता है। जो कई सारी बीमारियों की वजह बन सकता है। बढ़े यूरिक एसिड की जल्द जांच और उसका सही मैनेजमेंट इस सभी खतरों को टालने के लिए बेहद जरूरी है।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sun, 03 Dec 2023 08:33 AM (IST)
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Uric Acid: हाई यूरिक एसिड का खतरा, बचाव व उपचार
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Uric Acid: व्यक्ति के खून में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ने से सेहत पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। यह आम स्थिति है, जिसे हाइपरयूरिसीमिया भी कहते हैं। लोगों को इस बीमारी के बारे में कई बार पता नहीं चल पाता, जिस वजह से इसका निदान नहीं हो पाता, तो इसके लिए आपको इसके लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए जिससे समय रहते इसका उपचार किया जा सके। 

भारत में एबॅट के एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. कार्तिक पीताम्बरन ने कहा कि, “हालांकि यूरिक एसिड का लेवल हाई होने से शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, लेकिन ज्यादातर रोगियों में इसके लक्षण नजर ही नहीं आते। इस वजह से लोगों के लिए जोखिम के घटक की पहचान करना और जल्द से जल्द खुद की जांच करवाना ज़रूरी हो जाता है, जिससे वे समय पर इसका पता लगा सकें, प्रभावशाली रूप से इसे संभाल सकें और इससे सम्बंधित जटिलताओं का ख़तरा कम कर सकें।”

डॉ. संजीव गुलाटी, नेफ्रोलॉजिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली ने कहा कि, “एक अध्ययन के अनुसार, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या दोनों के रोगियों में से 30% से अधिक को हाइपरयूरिसीमिया होता है। यूरिक एसिड का उच्च स्तर स्थायी किडनी रोग और किडनी से जुड़ी दूसरी समस्याओं की भी वजह बन सकता है। हालांकि, लक्षण न नजर आने वाले मामले निदान के बगैर गंभीर हो सकते हैं। बढ़े यूरिक एसिड की जल्द जांच और उसका सही मैनेजमेंट इस सभी खतरों को टालने के लिए बेहद जरूरी है।”

आमतौर पर, किडनियां शरीर में उत्पन्न होने वाले यूरिक एसिड का 60% से 65% हिस्सा पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। बाकी बचा यूरिक एसिड आंतों और पित्त (बाइल) के रास्ते निकलता है। जब बहुत ज्यादा यूरिक एसिड बनने लगता है या सही तरीके से बाहर नहीं निकल पाता, तब समस्या हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप क्रिस्टल जमा होने लगते हैं और ये शरीर के जोड़ों में या किडनियों में इकट्टा होकर गठिया (अर्थराइटिस का एक कष्टदायक रूप), किडनी में पथरी (किडनी स्टोन) या दूसरी समस्याओं की वजह बन सकते हैं।

यह समस्या कितनी आम है?

अध्ययन बताते हैं कि हाइपरयूरिसीमिया भारत में तेजी से बढ़ रही समस्या बन रही है। भारत के विभिन्न राज्यों में इसकी फैलने की दर अलग-अलग है और कुछ क्षेत्रों में तो 47.2% तक है। उच्च यूरिक एसिड पुरुषों और बुजुर्गों सहित कुछ ख़ास आबादी में बहुत ही आम है। खून में यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ लेवल किडनी, जठरांत्र और हॉर्मोन से सम्बंधित रोगों के कारण हो सकता है, जो शरीर से यूरिक एसिड का नॉर्मल प्रोसेस को बाधित कर देते हैं।

बहुत ज्यादा फैटी मीट्स, सीफूड, एल्कोहल, सूखे बीन्स, मटर, सेब, तरबूज आदि जैसे फ्रक्टोज से भरपूर फल, जिनमें प्राकृतिक रूप से ज्यादा शुगर होते हैं का सेवन करने पर भी यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है।

हाइपरयूरिसीमिया की पहचान

कुछ लोगों में यूरिक एसिड का स्तर ज्यादा होने पर जोड़ों में तेज दर्द, कोमलता, लालिमा, या सूजन हो सकती है। जब यूरिक एसिड का उच्च स्‍तर किडनी में पथरी का रूप ले लेता है, तब पीठ के एक या दोनों ओर निचले हिस्से में या पेट में दर्द, मितली, पेशाब करते समय कठिनाई या दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। लेकिन हाइपरयूरिसीमिया से पीड़ित करीब 60% लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। नतीजतन, अनेक लोग निदान के बिना रह जाते हैं। फिर भी, लक्षण रहित हाइपरयूरिसीमिया एक जोखिम है जिससे हार्ट से जुड़ी प्रॉब्लम्स, मोटापा, डायबिटीज आदि हो सकते हैं।

इस अवस्था का आपका ख़तरा तब बढ़ सकता है: अगर आप पुरुष हैं, बुजुर्ग हैं, मोटापा या उच्च बॉडी मास इंडेक्स के शिकार हैं या अत्यधिक रेड मीट, सीफूड, एल्कोहल या फ्रक्टोज का सेवन करते हैं। हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज, किडनी रोग, हाइपरलिपिडेमीया, और हाइपोथाइरॉइडिज्म जैसी अवस्था वाले लोगों को भी इसका भारी ख़तरा रहता है।

हाई यूरिक एसिड से होने वाला खतरा

अध्ययनों से पता चला है कि यूरिक एसिड के उच्च स्तर के कारण हृदयधमनी रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरटेंशन, स्ट्रोक या कोरोनरी आर्टरी रोग वाले लोगों में हाइपरयूरिसीमिया की संभावना ज्यादा है। रिसर्च से यह भी संकेत मिलता है कि यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ स्तर इन्सुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा दे सकता है जिसके कारण टाइप-2 डायबिटीज हो सकता है।

हाई यूरिक एसिड से बचाव

लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी हाइपरयूरिसीमिया या इससे सम्बंधित जटिलताओं को रोका जा सकता है। इन बदलावों में रोजाना व्यायाम, शारीरिक वजन पर नियंत्रण, रेड मीट, मछली और शराब के सेवन में कमी, कम चर्बी वाले दुग्ध उत्पादों का सेवन, पर्याप्त विटामिन सी वाले फूड्स लेना और ज्यादा वानस्पतिक प्रोटीन, नट्स, और फलियों का सेवन करना, उच्च फ्रक्टोज वाले कॉर्न सिरप (शुगर का एक प्रकार) से बचना और शुगर मिश्रित पेय पदार्थों को अवॉयड करना शामिल है। लोगों को अगर शक हो कि उन्हें हाइपरयूरिसीमिया का ज्यादा खतरा हो सकता है या इससे सम्बंधित कोई लक्षण है, तो उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए। इससे उन्हें अपना यूरिक एसिड स्तर कम करने के लिए कारगर कार्य योजना बनाने में मदद मिलेगी। 

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Pic credit- freepik

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