वायु प्रदूषण की वजह से कम हो सकती है फर्टिलिटी, एक्सपर्ट से जानें कैसे कर सकते हैं इससे बचाव
वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर सेहत के लिए कई तरीकों से खतरनाक साबित हो सकता है। प्रदूषण की वजह से सिर्फ फेफड़े ही नहीं बल्कि रिप्रोडक्टिव सिस्टम भी प्रभावित (How Air Pollution Effect Fertility) होता है जिस वजह से कंसीव करने में या प्रेग्नेंसी के दौरान काफी परेशानियां आ सकती हैं। आइए इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं कि क्या परेशानियां हो सकती हैं और इससे कैसे बचें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Air Pollution Health Tips: वायु प्रदूषण आज दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह न केवल हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है। अब सवाल उठता है कि कैसे और इससे कैसे बचाव (Air Pollution Prevention Tips) किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने डॉ. आस्था दयाल (डायरेक्टर-आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, सी. के. बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम) से बात की। आइए जानें उन्होंने क्या बताया (Tips For Fertility Protection)।
वायु प्रदूषण कैसे फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है?
डॉ. दयाल का कहना है कि वायु प्रदूषण महिलाओं और पुरुषों दोनों की ही फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। प्रदूषक तत्व, जैसे- PM2.5 पार्टिकुलेट मैटेर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं। इनके कारण हार्मोनल असंतुलन, स्पर्म और एग्स की गुणवत्ता कम होना शामिल है।यह भी पढ़ें: देश में सबसे अधिक प्रदूषित रही दिल्ली, अगले तीन दिनों तक हालात 'गंभीर'; 16 इलाकों में AQI 400 पार
वायु प्रदूषण पुरुषों की फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?
- स्पर्म की गुणवत्ता में खराबी- वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कण और केमिकल स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता को कम कर सकते हैं।
- टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी- वायु प्रदूषण टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकता है, जो पुरुषों की यौन इच्छा और रिप्रोडक्शन की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।
- डीएनए को नुकसान- वायु प्रदूषण में मौजूद केमिकल स्पर्म के डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे अबॉर्शन और कनजेनिटल डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण महिलाओं की फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?
- अंडाणु की गुणवत्ता में कमी- वायु प्रदूषण अंडाणु की गुणवत्ता को कम कर सकता है और समय से पहले ओवरी फेलियर का खतरा बढ़ा सकता है।
- हार्मोनल असंतुलन- वायु प्रदूषण महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे अनियमित माहवारी और ओव्यूलेशन की समस्या हो सकती है।
- गर्भपात का खतरा- गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण में ज्यादा समय तक रहने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
- बच्चे के जन्म के समय कम वजन- वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से पैदा हुए बच्चे का वजन कम हो सकता है और शारीरिक विकास में देरी हो सकती है।
कैसे कर सकते हैं इससे बचाव?
रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए वायु प्रदूषण के संपर्क में कम से कम आने की कोशिश करें। आउट डोर एक्टिविटीज, जैसे- बाहर एक्सरसाइज या घूमना बंद कर दें, खासकर पॉल्युशन के पीक समय में। इसके अलावा, घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें ताकि घर में प्रदूषक कम हों। साथ ही, खाने में एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फल, सब्जियां और नट्स को अपनी डाइट में शामिल करें। ये प्रदूषण की वजह से होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। जो कपल कंसीव करना चाहते हैं, उन्हें स्मोकिंग और शराब पीना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए, क्योंकि ये प्रदूषण से होने वाले नुकसान को और बढ़ा सकते हैं।
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