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World Cancer Day: एक बेहतर लाइफस्टाइल कैंसर के जोखिम को रख सकती है दूर!

असंतुलित जीवनशैली ने आज एक नहीं कई शारीरिक समस्याओं के जोखिम को बढ़ा दिया है। ऐसा ही एक जोखिम है कैंसर जो लंबे समय तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अक्सर गंभीर रूप धारण कर लेता है। अगर कुछ सावधानियों को जीवन का हिस्सा बना लें तो हम ऐसी समस्याओं को आने से पहले ही रोक सकते हैं। विश्व कैंसर दिवस पर जानें कैसे-

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Thu, 01 Feb 2024 10:01 PM (IST)
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World Cancer Day: ऐसे कर सकते हैं कैंसर के जोखिम को कम
नई दिल्ली। World Cancer Day: कैंसर अब एक तरह से जीवनशैली से जुड़ी बीमारी बनती जा रही है। कई बार तो लंबे समय तक यह बीमारी पकड़ में ही नहीं आती। इसका एक बड़ा कारण जागरूकता का अभाव भी है। हालांकि, कैंसर पूर्व के कुछ लक्षण दिखते हैं, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। मुंह में सफेद या लाल धब्बे, शरीर में कहीं गांठ बन जाना और उसका बढ़ना, लंबे समय तक खांसी, कब्ज की लगातार समस्या, अधिक थकान और वजन में गिरावट जैसे लक्षणों को कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

महिलाओं को अधिक सतर्क होने की जरूरत

भारत ही नहीं दुनियाभर में महिलाएं ब्रेस्ट और सर्विकल यानी बच्चेदानी के कैंसर का सामना कर रही हैं। कैंसर के कुल मामलों में से 11.7 प्रतिशत अकेले ब्रेस्ट से संबंधित होते हैं। भारत में यह आंकड़ा 13.5 प्रतिशत है। दूसरे नंबर पर मुंह का कैंसर और तीसरे नंबर पर है बच्चेदानी का कैंसर। इसमें ब्रेस्ट और बच्चेदानी का कैंसर महिला के अंगों से जुड़े कैंसर हैं। ब्रेस्ट कैंसर की बात करें तो महिला-पुरुष का अनुपात 9:1 का है। मुंह का कैंसर दोनों को होता है। स्पष्ट है कि कैंसर का जोखिम महिलाओं को अधिक है और इसीलिए उन्हें अधिक सावधान भी रहना है। सरकार इन तीनों ही कैंसर की स्क्रीनिंग पर जोर दे रही है।

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कई तरह के होते हैं कैंसर

कैंसर अनेक तरह के होते हैं और सबके लक्षण भी भिन्न होते हैं। आंख, त्वचा, गला, मुंह, आंत, किडनी, मूत्राशय, बच्चेदानी, ब्रेस्ट, फेफड़े आदि के कैंसर सामान्य रूप से चिह्नित होते हैं। भारत में तीन तरह के कैंसर-ब्रेस्ट, सर्विकल और ओरल कैंसर को चिह्नित व इसकी स्क्रीनिंग पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

क्यों होता है कैंसर

जीवनशैली के अलावा इसके पीछे पर्यावरणीय कारण भी होते हैं। पानी में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ जाने, खाद्य पदार्थों में विषाक्तता बढ़ने (जैसे कि फंगस लगने से) से लिवर कैंसर का जोखिम रहता है। दूसरा, मोटापा और आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं।

रिस्क फैक्टर को कर सकते हैं कम

उम्र बढ़ने के साथ कई तरह की बीमारियों का जोखिम होना स्वाभाविक है। कुछ अध्ययनों में रेडिएशन को भी जोखिम कारक माना गया है। हालांकि, ठोस कारण के रूप में इसे स्थापित करने के लिए अभी व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है। दूसरा, ओवरी, सर्विक्स, ब्रेस्ट के कैंसर के कारणों का शुरुआती स्तर पर पता नहीं चल पाता। इससे समस्या बढ़ती है। इस तरह के खतरों को कम करने के लिए हमारे पास विकल्प नहीं होते, लेकिन सतर्कता से जुड़ी कुछ बातें हैं, जिनके जरिये हम बड़े संकट को टाल सकते हैं।

इसे कैसे कर सकते हैं कंट्रोल?

  • शराब का सेवन किसी भी मात्रा में सुरक्षित नहीं है। इसे सीमित करने का प्रयास करना चाहिए।
  • रेड मीट के सेवन और स्मोकिंग को कंट्रोल करना चाहिए।
  • अधिक वसा युक्त, ट्रांसफैटी एसिड युक्त खाद्य का सेवन कम हो, ताकि मोटापा न बढ़े।
  • मोटापे से ब्रेस्ट, गाल ब्लेडर, किडनी, आंतों समेत कुल 11 तरह के कैंसर का जोखिम जुड़ा हुआ है।
  • अगर वजन और ऊंचाई अनुपात (बॉडी-मास इंडेक्स) 23 से अधिक हो रहा है, तो वह मोटापा है।
  • जीवनशैली में शिथिलता, शारीरिक गतिविधियां नहीं हैं, तो यह जोखिम को आमंत्रण है।
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ब्रेस्ट कैंसर की पहचान और बचाव

अगर ब्रेस्ट में कोई गांठ हो गई और वह बढ़ रही है। दर्द नहीं हो रहा है, तो लोग उसे नजरअंदाज कर देते हैं। ध्यान रखें ऐसी कोई गांठ है, त्वचा का रंग बदल गया है या आकार बदल गया, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सर्जन से जरूर परामर्श लें। हर महिला को इसे लेकर जागरूक रहने की जरूरत है।

सर्वाइकल कैंसर को लेकर सतर्कता

पर्सनल हाइजीन यानी खुद के स्तर पर शरीर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है। असुरक्षित यौन संबंध, अस्वच्छता इस तरह के कैंसर का कारण है। किसी भी तरह का संक्रमण होने पर सतर्क हो जाएं। अगर ब्लीडिंग माहवारी या यौन संबंध के बाद भी हो रही है, तो यह शुरुआती लक्षण हो सकता है। इसी तरह मनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो रही है, तो यह गंभीरता का संकेत है। जनवरी सर्विकल कैंसर जागरूकता माह के तौर पर भी मनाया जा रहा है। सरकार एचपीवी वैक्सीन सर्वावैक देने की तैयारी में है। नौ से 13 वर्ष की बच्चियों को इसकी दो खुराक दी जाएगी। यह वैक्सीन कैंसर कारक एचपीवी (ह्यूमन पपिलोमा वायरस) से सुरक्षा प्रदान करती है।

डॉ. अनीता खोखर

डायरेक्टर, प्रोफेसर एवं हेड, कम्युनिटी मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली

बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र