अलग-अलग अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि पटाखों के धुएं में कई ऐसे हानिकारक रसायन होते हैं जो सीधे हमारे फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। दीवाली के बाद खांसी, अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं के मामले में काफी इजाफा देखा जाता है। इन समस्याओं से न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं।बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए हर साल पटाखे न चलाने की अपील की जाती है, लेकिन फिर भी बाजारों में पटाखों की बिक्री होती रहती है। कई बार पटाखों के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं जिनमें लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे में, इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि पटाखों के धुएं से हमारी सेहत को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, किन बीमारियों से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी (Firecracker Smoke Prevention Tips) बरतनी चाहिए और अगर पटाखों से त्वचा जल जाए तो क्या उपाय (Diwali Firecracker Precautions Tips) किए जा सकते हैं।
पटाखों का सेहत पर क्या पड़ता है असर?
कैंसर का खतरा
पटाखों का धुआं सिर्फ फेफड़ों तक ही सीमित नहीं रहता; इसके गंभीर परिणाम पूरे शरीर पर होते हैं। इनमें से सबसे खतरनाक खतरा है कैंसर का। जी हां, पटाखों की रंगीन चमक के लिए जिन रसायनों और रेडियोधर्मी तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है, वे कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देते हैं। ये हानिकारक पदार्थ शरीर में प्रवेश कर विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
अस्थमा की परेशानी
दीवाली की रौनक के बाद हवा में फैले जहर से हमारी सेहत खतरे में पड़ जाती है। धूल के कणों में मौजूद जहरीले तत्व हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा के मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल बना देते हैं। कैडमियम नामक तत्व खून में ऑक्सीजन की कमी पैदा कर हमें कमजोर बना देता है।
हार्ट अटैक का जोखिम
दिल के मरीजों के लिए पटाखों का धुआं बेहद खतरनाक हो सकता है। पटाखों से निकलने वाला धुआं सीधे फेफड़ों में जाकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है और सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है। इसके अलावा, पटाखों की तेज आवाज दिल पर दबाव डालती है और दिल की धड़कन को अनियमित बना सकती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। छोटे बच्चों और जानवरों के लिए भी पटाखों की आवाज बहुत डरावनी होती है। वे डर के मारे रोने लगते हैं और उनकी दिल की धड़कन बहुत तेज हो जाती है।
गर्भवती महिलाओं को खतरा
पटाखों से निकलने वाला धुआं गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। धुएं में मौजूद हानिकारक रसायन श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, इन रसायनों के संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे में जन्मजात विकलांगता होने का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है।
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ट्रिगर होता है स्ट्रेस
पटाखों की आवाज बहुत से लोगों को परेशान करती है। तेज आवाज़ से कई लोगों को ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और वे डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। पटाखों की वजह से अच्छी नींद नहीं आती जिससे और भी परेशानी होती है। कई बार लोग बहुत चिड़चिड़े भी हो जाते हैं।
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किन लोगों को बरतनी चाहिए विशेष सावधानी?
अस्थमा के मरीज
पटाखे जलाने से बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है जो हफ्तों तक रहता है। दिल्ली में हर साल ऐसा होता है। इससे हवा बहुत खराब हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जो लोग पहले से ही अस्थमा के मरीज हैं, उनकी बीमारी और बढ़ सकती है। बहुत समय तक प्रदूषण में रहने से फेफड़े खराब हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाएं
डॉक्टर बताते हैं कि दीवाली के समय हवा बहुत खराब हो जाती है, जिससे गर्भवती महिलाओं पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर कोई गर्भवती महिला प्रदूषित हवा में सांस लेती है तो उसके बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है या बच्चा कम वजन का पैदा हो सकता है। समय से पहले जन्मे बच्चे बीमार रह सकते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को बहुत सावधान रहने की जरूरत है।
आंखों से जुड़ी समस्याएं
वायु प्रदूषण के बढ़ने से आंखों में जलन, खुजली और लालपन जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। स्मॉग में मौजूद हानिकारक नाइट्रोजन ऑक्साइड इस समस्या का प्रमुख कारण है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कंजंक्टिवाइटिस, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित धब्बेदार अध:पतन जैसी गंभीर आंखों की बीमारियां हो सकती हैं। प्रदूषण के कारण आंखों की रोशनी कम होने का खतरा भी बढ़ जाता है। दीवाली के बाद नाक और गले में जलन भी एक आम समस्या है।
पटाखों से चोट लगने पर सबसे पहले क्या करें?
बर्फ की सिकाई
अगर पटाखे से हाथ या शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो सबसे पहले जले हुए स्थान को 10-15 मिनट तक बर्फ से सेकें। इससे जलन कम होगी और सूजन नहीं बढ़ेगी। फिर जले हुए स्थान को साफ कपड़े से ढक दें ताकि उसमें कोई गंदगी न जाए। अगर छाले पड़ गए हैं तो उन्हें फोड़ें नहीं, क्योंकि इससे इन्फेक्शन हो सकता है।
एलोवेरा जेल और नारियल का तेल
त्वचा जलने पर एलोवेरा और नारियल का तेल दोनों ही बहुत फायदेमंद होते हैं। एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकने और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। पौधे से सीधे निकाला गया शुद्ध एलोवेरा जेल सबसे अच्छा होता है। नारियल के तेल में विटामिन ई होता है जो जलने के निशान को कम करने में मदद करता है।
त्वचा को ड्राई होने से बचाएं
जलन वाले स्थान पर मॉइस्चराइज़िंग लोशन लगाने से त्वचा को नमी मिलती है और वह सूखती नहीं है। हालांकि, किसी भी प्रकार की क्रीम या लोशन का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। दर्द के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवाएं ही लें। डॉक्टर आपको एंटीसेप्टिक क्रीम भी दे सकते हैं जो संक्रमण को रोकने में मदद करती है।
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