No Smoking Day 2024: महिलाओं से लेकर पुरुषों तक की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है धूम्रपान की बुरी लत
धूम्रपान किसी भी तरह से सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होता। कैंसर के अलावा इससे हार्ट से जुड़ी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है और तो और इससे महिलाओं से लेकर पुरुषों तक की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। जहां पुरुषों के स्पर्म की क्वॉलिटी खराब होती है वहीं महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी हो सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। No Smoking Day 2024: निकोटिन तंबाकू के पौधों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक केमिकल है। धूम्रपान की लत लगाने के लिए यही केमिकल जिम्मेदार होता है। यह श्वसन-तंत्र, हार्ट हेल्थ के साथ गले और नाक को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। इससे कैंसर, दिल की बीमारियों, डायबिटीज और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के होने का खतरा बढ़ जाता हैं। इतना ही नहीं, निकोटिन पुरुषों से लेकर महिलाओं तक की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर डालता है।
यह दूसरे मादक पदार्थों की ही तरह व्यक्ति के मस्तिष्क में डोपामाइन रिलीज करता है। शोध से पता चला है कि लगभग दो तिहाई स्मोकर्स धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं और करीब आधे तो हर साल इसकी कोशिश भी करते हैं, लेकिन सहायता के बिना इसमें सफलता पाना चुनौतीपूर्ण होता है। निकोटिन आपके बिहेवियर, मूड और इमोशन्स को प्रभावित करता है। तंबाकू का सेवन करने वालों के लिए इसे छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
प्रजनन स्वास्थ्य पर निकोटिन का प्रभाव
महिलाओं परडॉ. निधि, फर्टिलिटी एक्सपर्ट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, पटना का कहना है कि, 'आज लोग कम उम्र में ही धूम्रपान का सेवन करने लगे हैं। जिससे फर्टिलिटी पर असर पड़ रहा है। धूम्रपान से एग्स के निर्माण, फर्टिलाइजेशन प्रोसेस, कंसीव करने और गर्भावस्था के दौरान शिशु की सही विकास मतलब हर एक चीज़ पर असर पड़ सकता है। महिलाओं में धूम्रपान से ऊसाइट्स कम हो सकते हैं और निषेचन की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। भ्रूण में कई सारे स्पर्म सेल होने से उसका विकास बाधित हो सकता है। इस स्थिति में गर्भपात के साथ प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है। और तो और निकोटिन की ज्यादा मात्रा से पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। जिसमें सेकंडरी एमेनोरीया, योनि से ज्यादा खून बहना और लुटीयल फेस यूरिनरी एस्ट्रोजन्स जैसी समस्याएं शामिल हैं।
पुरुषों पर
पुरुषों में निकोटिन को स्पर्म की क्वॉलिटी और मात्रा में कमी से जोड़कर देखा जाता है। ई-सिगरेट वैपर में पाये जाने वाले रसायन, जैसे कि निकोटिन और फॉर्मेल्डीहाइड से स्पर्म बनने में बाधा और स्पर्म की गतिशीलता कम होने का पता चला है। इसके अलावा, धूम्रपान करने वालों का स्पर्मेटोज़ोआ उनके सेमिनल प्लाज़्मा के संपर्क में आता है, तब स्पर्म की गति और निषेचन क्षमता काफी कम हो जाती है। इतना ही नहीं, निकोटिन से टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो जाता है और फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
इसके अलावा, निकोटिन सेलुलर प्रक्रियाओं और जीन एक्सप्रेशन में बाधा डालकर भ्रूण के विकास में अड़चन पैदा कर सकता है। ऐसे में संतान में जन्मगत विकृतियों और विकास के रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। यह पशुओं पर किये गये अध्ययन में पता चला है।