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महिलाओं से काफी अलग होती है पुरुषों की Mental Health, इन तरीकों से करें उनकी मदद

काम के बोझ और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अक्सर पुरुष अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में उनकी शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों की Mental Health काफी अलग होती है। ऐसे में इसे समझना और समझकर इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान करना जरूरी है। आइए जानते हैं कैसे करें पुरुषों की मेंटल हेल्थ को डील।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Thu, 11 Jul 2024 08:20 AM (IST)
महिलाओं से काफी अलग होती है पुरुषों की Mental Health, इन तरीकों से करें उनकी मदद
ऐसे समझें पुरुषों की मेंटल हेल्थ (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कुछ समय से मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि अब लोग अब अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी बराबर ध्यान देने लगे हैं। हालांकि, आज भी मेंटल हेल्थ और इससे जुड़ी समस्याओं को लेकर लोगों की धारणा बनी हुई है। आज भी कई लोगों का ऐसा मानना है कि सबसे ज्यादा महिलाएं भी मानसिक समस्याओं का सामना करती हैं। वहीं, बात अगर पुरुषों की करें, तो एक महिला की तुलना में एक पुरुष की मेंटल हेल्थ स्ट्रगल काफी अलग होती है। ऐसे में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना काफी जरूरी है।

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पुरुषों को प्रभावित करने वाली सबसे आम 5 मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं और इनसे राहत पाने के कुछ आसान तरीकों के बारे में-

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पुरुषों में पाई जाने वाली सबसे आम 5 मेंटल हेल्थ स्ट्रगल-

  • डिप्रेशन
  • एंग्जायटी
  • बाइपोलर डिसऑर्डर
  • ईटिंग डिसऑर्डर
  • सिजोफ्रेनिया

कैसे महिलाओं से अलग है पुरुषों की मेंटल हेल्थ-

  • ज्यादातर पुरुष अपनी भावनाएं जताने की बजाय उन्हें दबा लेते हैं और फिर अकेले अंदर ही अंदर कुढ़ते रहते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं कि समाज में ये स्टीरियोटाइप फैला है कि मर्दों को टूटकर अपनी बातें शेयर करना और आंसू नहीं बहाना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी मर्दानगी कम हो गई।
  • बचपन से ही पुरुषों को मर्दानगी, आंसू न बहाना और हर समय मजबूती से खड़े रहने की सीख दी जाती है। अपनी कमजोर पर्सनेलिटी और अपना पक्ष दुनिया के सामने न रखने का पाठ पुरुष बचपन में ही सीखते हैं। इसी प्रकार इनकी परवरिश होती है, जिसके कारण ये चाह कर भी अपनी भावनाएं शेयर नहीं कर पाते हैं।
  • पढ़ाई का टेंशन हो या फिर रिश्तों और जिम्मेदारियों का तनाव, पुरुष किसी प्रोफेशनल की मदद लेने के बारे में सोचते तक नहीं हैं। यही कारण है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या दर 3 गुना अधिक है। ऐसे में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

कैसे करें पुरुषों की मदद-

  • हम पुरुषों के लिए घर में एक सेफ स्पेस बना सकते हैं, जहां उन्हें बिना जज किए शांति से उनकी समस्याएं हम सुन सकें।
  • समय-समय पर उनसे बात करें और उनके दिल की बातें जानने की कोशिश करें। उनके जीवन में क्या कैसा चल रहा है, इसकी जानकारी रखें।
  • टॉक्सिक पुरुषत्व और स्टीरियोटाइप की प्रथा खत्म करें और उन्हें एक सामान्य इंसान की तरह अपनी हर छोटी-बड़ी बात बताने के लिए प्रेरित करें।
  • अगर पुरुष स्ट्रगल करते हुए नजर आएं तो उनके खुद से खुलने का इंतजार न करें। संवाद खुद ही शुरू करें, जिससे वे सहज हो कर अपनी समस्या आप से आसानी से शेयर कर सके।

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