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Mental Health: कितनी गंभीर होती हैं मानसिक बीमारियां? जानें इनके निदान का तरीका क्या है

Mental Health बीते दिनों मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझते एक आरपीएफ जवान ने ट्रेन में हिंसक घटना को अंजाम दे दिया। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है क्या हम अपने और आसपास मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे लोगों के प्रति सचेत हैं? आइए यहां समझते हैं इस अदृश्य समस्या की गंभीरता और निदान के कुछ जरूरी उपायों के बारे में....

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 08 Aug 2023 03:23 PM (IST)
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Mental Health: कितनी गंभीर होती हैं मानसिक बीमारियां
नई दिल्ली। Mental Health: जब हमारे आसपास कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान या बीमार रहने लगता है, तो शुरुआत में लोगों को इस बारे में पता नहीं चल पाता। दरअसल, मानसिक बीमारियां कई तरह की होती हैं और सबके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। शुरुआती लक्षणों को देखते हुए समुचित उपाय किए जाएं, तो इस समस्या का प्रभावी निदान किया जा सकता है। जागरूकता और सही जानकारी नहीं होने के कारण मरीज लंबे समय तक इलाज से वंचित रह जाता है, जिससे समस्या धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है।

चिंताजनक है साइकोसिस

मानसिक अस्वस्थता का एक गंभीर प्रकार है-साइकोसिस यानी मनोविकृति। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज का संबंध काफी हद तक वास्तविकता से टूट जाता है। इसका लक्षण यही है कि मरीज को कुछ ऐसी चीजें वास्तविक लगने लगती हैं, जो अन्य लोगों के लिए वास्तविक नहीं होतीं। उसे वहम हो जाता है कि कोई मेरे बारे में या पीठ पीछे बात कर रहा है या कोई दुश्मन लगा है। उसे यह समझ में आने लगे कि फलां व्यक्ति ने मेरे घर में चोरी की है या किसी ने मोबाइल हैक कर लिया है, तो यह गंभीर मानसिक समस्या के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

परेशानी को समझें कैसे

अब सवाल है कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक तौर पर अस्वस्थ हो रहा है, तो स्वजन को यह बात कैसे पता चलेगी। आमतौर पर लोग शुरुआती लक्षण को समझ नहीं पाते या नजरअंदाज कर देते हैं। जब कोई दुर्घटना होती है, तब बीमारी का पता चलता है। दूसरा, जो व्यक्ति बीमार है, यह बात वह किसी से कहता भी नहीं है। हालांकि जब इस तरह से कोई व्यक्ति अंदर से परेशान रहता है, तो उसके स्वभाव में भी यह दिखने लगता है, जैसे-गुस्सा, चिड़चिड़ापन, उदासी या भय आदि। उसके व्यवहार में असामान्य परिवर्तन होता है।

इन लक्षणों को पहचानें व सतर्कता बढ़ाएं

  • कोई व्यक्ति डर, बेचैनी, घबराहट में हो।
  • वह लोगों से कटकर रहने लगे या भीड़ में जाकर भाषण देना पसंद करने लगे।
  • बात-बात पर गुस्सा हो, नींद खराब हो या उसके भोजन करने की आदत बदल जाए।

इलाज से होगा समाधान

यदि किसी व्यक्ति की दिनचर्या में असामान्य परिवर्तन दिखने लगे, तो स्वजन को सतर्क हो जाना चाहिए और डाक्टर से मिलकर उचित इलाज शुरू कर देना चाहिए। डाक्टर जब मरीज से बात करेगा, तो सही जानकारी बाहर आने लगेगी, बीमारी का कारण पता चलेगा और इलाज होगा, तो वह ठीक हो जाएगा।

अवसाद की समस्या बिल्कुल अलग

मनोविकृति (साइकोसिस) और अवसाद (डिप्रेशन) को अलग-अलग तरीके से समझने की जरूरत है। डिप्रेशन में व्यक्ति दूसरों को नहीं बल्कि खुद को नुकसान पहुंचाता है। दूसरों को नुकसान पहुंचाने और खुद को नुकसान पहुंचाने में अंतर होता है। यदि भारत की बात करें, तो आज देश में आठ से दस प्रतिशत आबादी डिप्रेशन में है। तुलनात्मक रूप से महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इसके पीछे मासिक धर्म शुरू होने या गर्भकाल के दौरान शारीरिक बदलाव जैसे कुछ कारण होते हैं। डिप्रेशन में मरीज उदास रहने लगता है, मनोरंजन की चीजों में रुचि घट जाती है, काम में मन नहीं लगता, अच्छी नींद नहीं आती और आत्मविश्वास कम हो जाता है। उसे लगता है कि जीवन बेकार हो गया है।

कैसे बेहतर हो मानसिक सेहत

  • सबसे पहले जीवनशैली को दुरुस्त और संतुलित करें।
  • दिनचर्या में योग और व्यायाम को शामिल करें।
  • सभी प्रकार के नशे से दूर रहें।
  • परिवार के साथ अगर मनमुटाव हो, तो शांति से समाधान निकालें।
  • परिवार या समाज में किसी के साथ दुर्व्यवहार न करें।
  • यदि मन में किसी तरह की दुविधा या उलझन हो, तो डाक्टर से जरूर संपर्क करें।
  • देश में हर साल करोड़ों लोगों का उपचार हो रहा है। मनोचिकित्सा से उन्हें लाभ होता है।
डॉ. विनय कुमार, प्रेसिडेंट, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी

बातचीत: ब्रह्मानंद मिश्र
Picture Courtesy: Freepik