Allergic Asthma: एलर्जी के मौसम में आसानी से ट्रिगर हो सकता है अस्थमा, समझें कैसे करें इसे मैनेज
अगर आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो एलर्जी वाले मौसम में आपको खास सावधानी बरतनी चाहिए। हवा में पराग और धूल के कण बढ़ने के कारण ये ट्रिगर हो सकता है। इसलिए इन मौसमों में अस्थमा के मरीजों को कुछ खास सावधानियां बरतनी चाहिए (Allergic Asthma Care Tips)। इस बारे में जानने के लिए हमने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या बताया।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अस्थमा, एक ऐसी कंडीशन है जिसमें श्वांस नली सिकुड़ जाती है, सूज जाती है, और ज्यादा बलगम बनने लगता है (Allergic Asthma Sysmptoms), जो विशेष रूप से एलर्जी के मौसम में एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कुछ लोगों में अस्थमा के विकसित होने के सटीक कारण पूरी तरह से पता नहीं लगते हैं। इसके पीछे पर्यावरणीय और जेनेटिक फैक्टर्स का हाथ माना जाता है।
हालांकि, ये ट्रिगर कई कारणों (Allergic Asthma Cause) से हो सकता है। इस वजह से कुछ मौसमों में अस्थमा ज्यादा आसानी से ट्रिगर हो सकता है। किन वजहों से ये ट्रिगर हो सकता है और कैसे इसे मैनेज कर सकते हैं (Allergic Asthma Care Tips), इस बारे में हमने डॉ. मनु मदान (मैक्स अस्पताल, साकेत में सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट) से बातचीत की।
अस्थमा के ट्रिगर्स और लक्षण
अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग एलर्जेंस आते हैं, जो अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी डिजीज से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति के लिए काफी परेशानी भरे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गर्मी के मौसम में हवा में पराग और वायु प्रदूषक जैसे धुआं और प्रदूषण बढ़ जाते हैं। जबकि मानसून में फफूंदी, नमी और यहां तक कि सामान्य सर्दी जैसी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन में बढ़ोतरी जैसे खास ट्रिगर्स होते हैं।
और तो और, गर्म हवा खुद भी लक्षणों को ट्रिगर कर सकती है, खासकर उन जगहों में जहां गर्मी ज्यादा उमस के साथ होती है। गर्म हवा और ह्यूमिडिटी ज्यादा एलर्जेंस को ट्रैप कर सकती है, जिससे हवा की गुणवत्ता और अस्थमा के लक्षण बिगड़ सकते हैं।
ये स्थितियां विशेष रूप से बच्चों में सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न और घरघराहट जैसे लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं। लंबे समय तक संपर्क से अस्थमा और गंभीर हो सकता है, जिससे फेफड़ों की कार्य क्षमता घट सकती है।यह भी पढ़ें: शोध में मिला Asthma के गंभीर मामलों का इलाज, जानें क्या कहती है नई रिसर्च
अस्थमा के लक्षण मैनेज कैसे करें?
अस्थमा का इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है, ताकि इस स्थिति से प्रभावित व्यक्ति बिना किसी समझौते के, सक्रिय जीवन जी सके।प्रोफेशनल मदद लें
अस्थमा के बारे में आज भी लोगों में कई प्रकार के मिथक और गलत धारणाएं बनी हुई हैं। खासकर इनहेलेशन थेरेपी को लेकर। इसलिए ये जरूरी है कि हमेशा अपने डॉक्टर, विशेष रूप से विशेषज्ञ जैसे चेस्ट फिजिशियन या पल्मोनोलॉजिस्ट से परामर्श करें, ताकि इस बारे में सही जानकारी और इलाज मिल सके।दवा और सावधानी
एलर्जी के मौसम के दौरान जरूरी बदलावों के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें, अपने डिवाइस तकनीक के बारे में पूछें, ताकि निर्धारित दवा से अधिकतम दक्षता सुनिश्चित हो सके। साथ ही, अस्थमा एक्शन प्लान का पालन करें।और किन बातों का ध्यान रखें?
- अस्थमा के लक्षण बढ़ने से बचने के लिए, हवा में पराग और प्रदूषण बढ़ने पर घर के अंदर ही रहें। यदि बाहर जाना आवश्यक हो, तो मास्क जरूर पहनें।
- नियमित सफाई के जरिए घर के भीतर एलर्जेन-फ्री वातावरण बनाएं। इसके लिए बिस्तर की सफाई, गद्दों, तकियों आदि की वैक्यूमिंग पर खास ध्यान दें।
- अपने घर के लिए एक अच्छा एयर फिल्टर चुनें, ताकि पराग और धूल के कणों को कम करने में मदद मिले। इससे हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- एक डीह्यूमिडिफायर या एयर कंडीशनर हवा में नमी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो फफूंदी, और धूल के कणों को भी कम कर सकता है।
- हाइड्रेटेड रहना और फलों और सब्जियों से भरपूर खाना खाने से फेफड़ों में इर्रिटेशन और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि वे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।
- लाइफस्टाइल में सुधार करें, जिसमें योग, मेडिटेशन आदि के जरिए स्ट्रेस मैनेजमेंट और सबसे जरूरी, स्मोकिंग या वेपिंग से बचें।