वायु प्रदूषण से बढ़ रहा COPD का खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके
वायु प्रदूषण से COPD जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारी धीरे-धीरे पूरे फेफड़ों को जकड़ लेती है। इस दौरान सांस की नली पतली हो जाती है। जिससे सांस लेना भी दुश्वार हो जाता है। अगर इस बीमारी का जल्दी पता लगा लिया जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है। इस बीमारी में बलगम के साथ खांसी आती है। कुछ बदलाव कर इससे बचा जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सांस लेने की समस्या दुनिया भर में चिंता का कारण बन गई है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों में ये समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) ऐसी ही एक बीमारी है जो फेफड़ों और सांस की नली को प्रभावित करने का काम करती है। ये बीमारी समय के साथ बढ़ती जाती है और वायु प्रदूषण की वजह से और भी गंभीर हो सकती है। ऐसे में प्रदूषित माहौल में रहते हुए इस बीमारी से खुद को बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। लाइफस्टाइल में बदलाव करने चाहिए। दवाइयों का सही इस्तेमाल भी बेहद जरूरी है। आज हम आपको इस बीमारी से बचने के उपाय बताने जा रहे हैं।
क्या है क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज
न्यूबर्ग लैबोरेटरी के प्रबंध निदेशक डॉ. अजय शाह ने बताया कि COPD फेफड़ों की आम बीमारी है। ये बीमारी धीरे-धीरे फैलती है। जिसमें सांस की नली (Wind pipe) पतली हो जाती है। जिससे सांस लेने और छोड़ने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अगर इस बीमारी का जल्दी पता लगाया जा सके तो इसका इलाज संभव है। क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस में बलगम के साथ खांसी आती रहती है।
COPD से बचाव के उपाय
बाहर जाने से बचें: सुबह और शाम के वक्त प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, इसलिए इस समय बाहर निकलने से बचना चाहिए।मास्क का इस्तेमाल करें: अगर बाहर जाना ही पड़े तो N95 मास्क का इस्तेमाल करें, ताकि हानिकारक कणों से बचा जा सके।यह भी पढ़ें: क्या COPD को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है? डॉक्टर से समझें इसे मैनेज करने के तरीके
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
- घर में एयर प्यूरीफायर प्लांट लगाएं जैसे अरेका पाम या स्नेक प्लांट। ये पौधे हवा की गुणवत्ता सुधारने में मदद करते हैं।
- अधिक मात्रा में पानी पीने से फेफड़ों में जमा बलगम पतला हो जाता है, जिससे उसे बाहर निकालना आसान होता है।
दवाई और चिकित्सा
डॉ. अजय शाह ने बताया कि इन्हेलर का नियमित रूप से इस्तेमाल करने से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। साथ ही विशेषज्ञों द्वारा संचालित कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहिए, जिसमें व्यायाम, सांस लेने की तकनीक और COPD के बारे में जानकारियां दी जाती हैं।
उन्होंने बताया कि अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर काफी बढ़ा हुआ हो, तो अतिरिक्त सावधानियां बरतनी चाहिए। नियमित रूप से पल्मोनोलॉजिस्ट के पास जाकर चेकअप करवाना जरूरी है, ताकि इलाज में किसी बदलाव की जरूरत हो तो समय रहते किया जा सके। इस तरह की छोटी-छोटी सावधानियों से आप COPD के प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं और अपनी फेफड़ों की सेहत का ध्यान रख सकते हैं।यह भी पढ़ें: क्यों हर साल मनाया जाता है World COPD Day? जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के तरीके