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कम उम्र में नहीं बनना चाहते Diabetes और Heart Disease का शिकार, तो एक्सपर्ट से जानें कैसे करें बचाव

अपनी सेहत का ख्याल रखना हमारी पहली जिम्मेदारी होती है। हालांकि नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज के बढ़ते मामलों को देखकर यह कहा जा सकता है कि लोग अपनी सेहत को काफी नजरअंदाज कर रहे हैं। इसलिए इन बीमारियों के जोखिम को कम कैसे किया जा सकता है यह जानने के लिए हमने एक हेल्थ एक्सपर्ट से बात की। आइए जानते हैं उनका क्या कहना है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 12 Apr 2024 02:34 PM (IST)
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इन तरीकों से करें नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से बचाव
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर डायबिटीज (Diabetes), हार्ट डिजीज (Heart Disease), कैंसर (Cancer) जैसी बीमारियों से जुड़े मामले सामने आते रहते हैं। ये बीमारियां संक्रामक नहीं होती है, इसलिए इन्हें नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज (Non Communicable Disease) कहा जाता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 1.7 करोड़ मौतों की वजह ये बीमारियां होती हैं, जो कुल मौतों का 74 प्रतिशत है। इन बीमारियों में स्ट्रोक, हार्ट डिजीज, डायबिटीज और क्रॉनिक लंग डिजीज जैसी बीमारियां सबसे अधिक शामिल हैं।

ये नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियां मरीज से किसी अन्य व्यक्ति को भले ही नहीं फैलता, लेकिन इनकी वजह से व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे भीतर से कमजोर होने लगता है। इसकी वजह से भी शरीर से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए कैसे इन बीमारियों से बचाव किया जा सकता है, यह जानने के लिए हमने सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन विभाग के प्रमुख कंसल्टेंट, डॉ. तुषार तयाल से बात की। आइए जानते हैं, इस बारे में उनका क्या कहना है।

नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से बचाव के लिए लाइफस्टाइल में सुधार करना ही सबसे कारगर उपाय है। हालांकि, तकनीकी विकास और रहन-सहन में कई बदलावों की वजह से हमारी सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। सेडेंटरी लाइफस्टाइल और अनहेल्दी डाइट की वजह से नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों का जोखिम बढ़ता है और इनके बढ़ते मामलों के पीछे भी यह एक बड़ा कारण है।

Healthy lifestyle

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  • इसलिए डॉ. तयाल बताते हैं कि अपने बिजी शेड्यूल से समय निकालकर, किसी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी करें। एक्सरसाइज और योग खुद को फिजिकली एक्टिव रखने के लिए अच्छा विकल्प हैं। इसलिए अपने दिन का कम से कम 30 मिनट समय एक्सरसाइज करने के लिए निकालें, जिसमें कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को महत्व दें। साथ ही, योग और प्राणायाम करने से भी सेहत को काफी फायदा पहुंचता है। फिजिकल एक्टिविटी करने से स्ट्रेस हार्मोन, कॉर्टिसोल कम होता है और हैप्पी हार्मोन, जैसे- एंडोर्फिन का लेवल बढ़ता है।
  • हेल्दी रहने के लिए फिजिकल एक्टिविटी के साथ-साथ खान-पान पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है। अपनी डाइट में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, ड्राई फ्रूट्स की मात्रा को बढ़ाएं और प्रोसेस्ड और पैकेट बंद फूड्स को खाना कम करें। साथ ही, डाइट में ऐसे फूड्स को शामिल करें, जिनमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स की मात्रा अधिक हो।
  • युवाओं में स्मोकिंग और शराब पीने का प्रचलन काफी तेजी से फैल रहा है। इन आदतों का स्वास्थय पर काफी गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये कैंसर के साथ-साथ दिल, फेफड़े और लिवर से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कई हद तक बढ़ाते हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाएं और स्मोकिंग और शराब पीने की लत को छोड़ने की कोशिश करें। अगर जरूरत लगे, तो इसके लिए आप किसी प्रोफेशनल की मदद भी ले सकते हैं।
  • नींद पूरी न होने की वजह से भी सेहत को नुकसान पहुंचता है। इस वजह से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने लगता है और कई बीमारियां आसानी से आपको अपना शिकार बना सकती हैं। इसलिए रोज कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।
  • पानी कम मात्रा में पीना काफी नुकसानदायक होता है। इसलिए रोजाना कम से कम 2 लिटर पानी पीएं।
  • नियमित तौर से अपने डॉक्टर से मिलकर, अपना बीपी, ब्लड शुगर और वजन जैसी बेसिक जांच करवाएं, ताकि अगर कोई समस्या शुरू भी हो रही हो, तो उसका पता लगाने में मदद मिल सके।
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Picture Courtesy: Freepik

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