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World Glaucoma Day 2024: काला मोतिया यानी 'ग्लूकोमा' की आशंका से कैसे बचें?

ग्लूकोमा यानी काला मोतिया होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है आंखों पर दबाव बढ़ना। जिस तरह बीपी बढ़ने से शरीर को नुकसान होता है उसी तरह दबाव बढ़ने से आंखों को भी नुकसान होता है। इसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है।

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Tue, 05 Mar 2024 05:04 PM (IST)
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हर साल 12 मार्च को विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है।
नई दिल्ली। ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद को 'दृष्टि चोर' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश समय तक इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते और धीरे-धीरे दिखना बंद हो जाता है। काला मोतिया और सफेद मोतिया दोनों में ही दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन दोनों में एक अंतर है, सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद दृष्टि वापस आ जाती है, लेकिन काला मोतिया के कारण जो नजर जाती है, वह लौटती नहीं है। इसका बड़ा कारण है काला मोतिया में आंखों की भीतरी नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं यानी जो नसें आंखों को दिमाग से जोड़ती हैं, जिससे इंसान देख पाता है, वे पूरी तरह खराब हो जाती हैं।

यही वजह है कि हर साल 12 मार्च को दुनियाभर में विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इसी सिलसिले में जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. रोहित सक्सेना (प्रोफेसर, राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र, एम्स, नई दिल्ली) से बातचीत की।

क्यों होता है काला मोतिया

काला मोतिया होने का सबसे बड़ा कारण है आंखों का दबाव बढ़ना। जिस तरह रक्तचाप बढ़ने से शरीर को नुकसान होता है, उसी तरह दबाव बढ़ने से आंखों को भी नुकसान होता है। इसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। एक बार इन नसों के नष्ट होने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता।

क्या होते हैं लक्षण

  • दबाव बढ़ने पर आंखों के चारों तरफ और सिर में दर्द महसूस होता है।
  • रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष दिखने लगता है।
  • धीरे-धीरे देखने में भी परेशानी बढ़ने लगती है।
  • अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो पता चलता है कि नजर जा चुकी होती है।
  • यदि कभी आंखों में बहुत तेज दर्द महसूस होता है तो उसका मतलब है कि आंखों पर प्रेशर अचानक काफी बढ़ गया है।

बच्चों को भी होता है काला मोतिया

कभी-कभी काला मोतिया बच्चों में भी देखा जाता है। आमतौर पर यह समस्या जन्मजात होती है। कुछ ही मामलों में बच्चों में काला मोतिया होने की आशंका रहती है। हालांकि, बच्चों में काला मोतिया के मामले अपेक्षाकृत कम होते हैं। बच्चों में इसके लक्षणों की बात करें तो, उनकी आंखें बड़ी लगने लगती हैं। लगातार आंसू आते रहते हैं। रोशनी में उन्हें आंखें खोलने में दिक्कत होती है। वैसे अधिकतर काला मोतिया 40-45 वर्ष की उम्र के बाद ही होना शुरू होता है।

स्क्रीन टाइम बढ़ना कहीं कारण तो नहीं

आजकल लोग काफी समय स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य तरह के गैजेट्स की स्क्रीन पर बिता देते हैं। हालांकि, यह काला मोतिया होने का सीधे तौर पर कारण नहीं है। अभी तक ऐसा प्रमाण नहीं मिला है कि स्क्रीन के अधिक इस्तेमाल से काला मोतिया बढ़ता है या नहीं। अगर परिवार में किसी को काला मोतिया पहले हो चुका है, तो जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, साथ ही समय-समय पर जांच करा लेनी चाहिए।

क्या करें

जैसे हम नियमित रूप से रक्तचाप की जांच कराते रहते हैं, उसी तरह दृष्टि और आंखों पर दबाव पड़ने की भी जांच वर्ष में एक बार जरूर करा लेनी चाहिए। यह इसलिए भी आवश्यक है कि कई बार आंखों पर बढ़ रहा दबाव हम महसूस नहीं कर पाते हैं और समस्या बढ़ती रहती है। जांच करा लेने से काला मोतिया जल्दी पकड़ में आ जाता है और सही समय पर सही उपचार मिल जाता है।

उपयोगी सुझाव

  • 40 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूरी है।
  • लगातार स्क्रीन पर समय बिताने के बजाय ब्रेक लेना आवश्यक है।
  • स्मार्टफोन या लैपटाप पर काम करते समय आसपास पर्याप्त रोशनी रखें, अंधेरे में काम न करें।
  • हर आधे घंटे में पांच मिनट का ब्रेक लेकर दूर देखें, आंखों को थोड़ी राहत दें।
  • हमारी आंखें नजदीक नहीं, दूर देखने के लिए बनी हैं। लगातार नजदीक में देखते रहने से आंखों पर जोर पड़ता है।
  • आंखों को ब्लिंक करते रहें यानी पलकों को झपकाते रहें, अन्यथा आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है।
  • आंखों में ड्राइनेस बढ़ जाने पर जलन, खुजलाहट महसूस होती है।
  • अगर में आंखों में तकलीफ महसूस हो रही है, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

सतर्कता आवश्यक

  • भोजन में विटामिन और पोषक तत्वों को शामिल करें।
  • अक्सर लोग सुबह उठते ही काफी पानी पी लेते हैं, यह नुकसानदेह हो सकता है। इससे आंखों पर अचानक प्रेशर बढ़ जाता है।
  • पानी जरूरी पिएं, लेकिन रुक-रुक कर।
  • पर्याप्त व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां करें।
  • डायबिटीज, हाइपरटेंशन की अवश्य जांच कराते रहें, क्योंकि इन सबका आंखों पर काफी असर पड़ता है।डायबिटीज में काला मोतिया होने की आशंका अपेक्षाकृत अधिक रहती है।