नाश्ते में अगर आप भी रोजाना खाते हैं ब्रेड, तो जान लें व्हाइट और ब्राउन ब्रेड में से कौन सी है ज्यादा बेहतर
ब्रेड की वैराइटी देखकर कई बार समझ नहीं आता कि कौन सा सेहत के लिए है बेहतर। तो अगर आप भी रोजाना नाश्ते में ब्रेड खाते हैं तो जान लें इसे बनाने की प्रक्रिया और सबसे बेस्ट कौन सा है इसके बारे में।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Oct 2020 08:25 AM (IST)
ब्रेड आज से ही नहीं काफी पहले से नाश्ते का सस्ता और अच्छा ऑप्शन रहा है। कभी बटर के साथ, कभी रोल की तरह तो कभी सैंडविच के रूप में इसे अलग-अलग तरीकों से शामिल किया जाता है। इसके बिना नाश्ते की कल्पना करना थोडा मुश्किल है। तो ब्रेड सेहत के लिए अच्छी है या नहीं, इसे जानने के लिए ब्रेड के बारे में कुछ बेसिक बातें जानना जरूरी है।
कैसे बनती है ब्रेड ब्रेड में आमतौर पर आटा, नमक, शुगर, ओट्स, दूध, ऑइल, प्रिजर्वेटिव्स आदि डाले जाते हैं। इसके अलावा टेस्ट के अनुसार चीजें शामिल की जाती हैं। ब्रेड को यीस्ट की मदद से खमीर उठाकर बनाया जाता है। ब्रेड की कई वैरायटी मार्केट में मौजूद हैं।
व्हाइट ब्रेड: सबसे कॉमन है व्हाइट ब्रेड। व्हाइट ब्रेड को मैदे से तैयार किया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया में इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू काफी कम हो जाती है क्योंकि गेहूं का छिलका (ब्रेन) और ऊपरी कोने वाला हिस्सा (जर्म)आदि निकल जाते हैं। इससे फाइबर और दूसरे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। ऐसे में सिर्फ स्टार्च से भरपूर हिस्सा बचता है। यानी इसे खाने से पोषण नहीं मिलता। व्हाइट ब्रेड खाना चाहते हैं तो इसके साथ अंडा, पनीर, हरी सब्जियां (टमाटर, प्याज, खीरा) एवोकैडो (नाशपाती जैसा फल) आदि खाएं। इससे आपके ब्रेकफस्ट की न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ जाती है। ब्
ब्राउन ब्रेड: ब्राउन ब्रेड को आमतौर पर लोग आटा ब्रेड समझ कर खरीदते हैं लेकिन यह भी ज्य़ादातर मैदे से ही तैयार की जाती है। कई कंपनियां इसे बनाते वक्त आर्टिफिशियल कलर या कैरेमल डालती हैं, जिससे इसका कलर ब्राउन हो जाता है। यह जान लें कि कोई भी ब्राउन ब्रेड जो रोटी के रंग से गहरी हो तो उसमें कलर मिलाया गया है। आमतौर पर न्यूट्रिशन के लिहाज से यह व्हाइट ब्रेड से खास बेहतर नहीं होती इसलिए ब्रेड खरीदते समय उसमें शामिल की गई सामग्री को अच्छी तरह पढ़ना चाहिए।
होलव्हीट ब्रेड: यह ब्रेड गेहूं के आटे से बनाई जाती है। इसमें फाइबर ज्य़ादा मात्रा में होता है। एक स्लाइस में 2-3 ग्राम तक फाइबर होता है। यह पाचन और पोषण दोनों लिहाज से बेहतर है लेकिन अगर ब्रेड सॉफ्ट और लाइट है तो इसमें होलव्हीट आटा ज्य़ादा होने का चांस कम है। इसके लिए जरुरी है कि खरीदते वक्त पैकेट पर सामग्री को देखें इसमें गेहूं का आटा (40-45 फीसदी), होलव्हीट (20-25 फीसदी), व्हीट फाइबर (4-5 फीसदी) आदि होते हैं। आप कई कंपनियों के ब्रेड की तुलना कर सकते हैं, जिसमें होलव्हीट ज्य़ादा, हो उसे ही खरीदना चाहिए।
मल्टीग्रेन ब्रेड: इसमें आटे के अलावा ओट्स (जौ), फ्लैक्स सीड्स (अलसी), सनफ्लार सीड्स, बाजरा और रागी शामिल होते हैं। आमतौर पर मल्टीग्रेन में आटा और मैदा (50-60 फीसदी) तक होता है लेकिन इससे ज्य़ादा हो तो वह सही नहीं है, इसलिए लेने से पहले यह चेक करना न भूलें। नुकसानदेह नहीं ब्रेड मल्टीग्रेन और होलव्हीट ब्रेड कॉम्प्लेक्स कार्ब का अच्छा सोर्स है। अगर ब्रेड को लो-ग्लाइसिमिक इंडेक्स (जो चीजें धीरे-धीरे ग्लूकोज में बदलती हैं) वाली चीजों, जैसे ओट्स, नट्स, सोया, दालों से बनाया जाए तो मेटाबॉलिज्म बढता है। इस लिहाज से ब्रेड खाना भी बुरा नहीं है। ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है। साथ ही इसमें फैट और आयरन भी होता है लेकिन ट्रांस-फैट और कॉलेस्ट्रॉल नहीं होता। हालांकि कोई भी ब्रेड जिसमें ज्य़ादा मैदा हो, उसे कम मात्रा में ही खाना चाहिए क्योंकि मैदा रिफाइंड कार्ब है और यह सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। जिन लोगों को ग्लूटोन इंटॉलरेंस हो, उन्हें भी ब्रेड नहींखानी चाहिए। ग्लूटोन वह होता है जो किसी खाद्य पदार्थ को चिपचिपा बनाता है। इसके साथ ही उन लोगों को, जिनका ब्लड प्रेशर हाई रहता है, उन्हें भी ब्रेड कम खानी चाहिए। दरअसल ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। खासकर रिफाइंड व्हाइट ब्रेड खाने से अचानक ब्लड का शुगर लेवल बढ जाता है और फिर थोडे समय बाद एकदम गिर जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है इसलिए हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीडित लोगों को इसका कम से कम सेवन की सलाह दी जाती है। अगर ब्रेड खाना जरूरी हो तो होलव्हीट ब्रेड ले सकते हैं।
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