Kidney Health: इन टेस्ट्स के जरिए 30 की उम्र में ही पता कर सकते हैं अपनी किडनी का हाल
Kidney Health शरीर को सही तरह से फंक्शन करने में मदद करने वाले सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक किडनी भी है। हालांकि हम इसे लेकर काफी लापरवाही बरतते हैं। कई बार किडनी को सही देखभाल न मिलने के चलते यह अंदर ही अंदर डैमेज हो जाता है जिसका पता तब तब लगता है जब स्थिति हाथ से निकल जाती है।
By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Wed, 02 Aug 2023 06:00 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Kidney Health: किडनी हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है, जो शरीर को सही तरह से फंक्शन करने में काफी अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, यह सबसे ज्यादा नजरअंदाज भी होता है। हमारा ध्यान तबतक किडनी की ओर नहीं जाता जबतक की यह गंभीर प्रभाव न दिखाने लगे। वहीं, इसकी बीमारी का भी अक्सर तब तक पता नहीं चलता जब तक कि यह हद से ज्यादा बढ़ न जाए। कई बार इसके बारे में तब पता लगता है जब व्यक्ति को किडनी डायलिसिस या ट्रांस्प्लांट कराने की नौबत आ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि समस्या शुरू होने से पहले गुर्दे की बीमारी का पता लगा लिया जाए। इसके लिए हमने विशेषज्ञ से राय लेनी चाही कि आखिर ऐसे कौन से टेस्ट्स हैं, जिनकी मदद से व्यक्ति 30 की उम्र में ही किडनी से जुड़ी समस्याओं का पता लगा सकता है।
किडनी की बीमारी का पता कैसे लगाएं?
रेगुलर किडनी फंक्शन टेस्ट इसमें काफी अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि इससे किडनी रोग की शुरुआती पहचान में काफी मदद मिलती है। इससे किडनी क्रॉनिक कंडीशन पर नजर रखने, दवाओं के जरिए होने वाले किडनी डैमेज समेत सम्पूर्ण स्वास्थ्य का अंदाजा लगाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह जांच सही इलाज के लिए गाइड करता है और किडनी फेलियर या दिल से जुड़ी परेशानियों से भी बचाता है।
इसके अलावा 30 की उम्र के व्यक्ति को हड्डियों के सूजन, एनीमिया या हाई ब्लड प्रेशर की जांच के लिए डॉक्टक की सलाह पर जांच करवाना चाहिए। इससे किडनी सम्बंधित समस्याओं के लक्षण की पहचान करने में मदद मिल सकती है। यहां तीन महत्वपूर्ण टेस्ट्स के बारे में बताया गया है, जो किडनी की सेहत का आंकलन करने में मदद कर सकते हैं।
यूरिन टेस्ट: यूरिन में प्रोटीन या रक्त की उपस्थिति जानने के के लिए यूरिन टेस्ट कराया जाता है। यदि यूरिन टेस्ट में प्रोटीन या रक्त पता चलता है, तो उस व्यक्ति में किडनी रोग की संभावना हो सकती है। इसके लिए उसे समय रहते विशेषज्ञ से मिलकर सही उपचार लेने की सलाह दी जाती है।
सीरम क्रिएटिनीन ब्लड टेस्ट: सीरम क्रिएटिनीन के साधारण ब्लड टेस्ट से किडनी रोग का पता लगाया जा सकता है। अगर यह सामान्य मात्रा से ज्यादा होता है, तो उस व्यक्ति को और मेडिकल टेस्ट की जरूरत होगी। क्रिएटिनीन किडनी द्वारा बाहर निकाले जाने वाला एक विषैला उत्पाद है। अगर सीरम क्रिएटिनीन का लेवल ज्यादा हो जाए, तो यह किडनी फंक्शन को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि यह जितनी ज्यादा मात्रा में होगी किडनी को इसे रक्त से निकालने में उतनी ही कठिनाई हो सकती है। अगर टेस्ट के दौरान ये सामान्य से अधिक मात्रा में मिलता है, तो उसे दूसरे मेडिकल असेसमेंट की भी जरूरत होगी, ताकि किडनी रोग के कारण और गंभीरता का पता लगाया जा सके।
पेट का उल्ट्रासोनोग्राफी: पेट का उल्ट्रासोनोग्राफी किडनी के शेप और साइज को देखने के लिए किया जाता है, जिससे किडनी रोग को डायग्नोस किया जा सके। अगर किडनी का आकार और दिखावट सामान्य नहीं होता है, तो इससे पता चलता है कि उस व्यक्ति को किडनी रोग होने की संभावना है।ये तीन टेस्ट्स साथ मिलकर किडनी हेल्थ के बारे में जरूरी जानकारियां दे सकते हैं और किडनी रोग को पहले स्टेज पर ही डायग्नोस करने में मदद मिल सकती है।
बातचीत में, डॉ. रवि शंकर बी, कंस्लटेंट, नेफ्रोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल ओल्ड एयरपोर्ट रोडडॉ. विज्ञान मिश्रा, लैब प्रमुख, न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्सPic Credit:freepik