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क्या आपका बच्चा भी दिनभर देखता है टीवी, तो हो सकता है Myopia का शिकार, इन तरीकों से करें इससे बचाव

कम उम्र में बच्चों में मायोपिया (Myopia in Kids) की समस्या होना काफी मुसीबत भरा हो सकता है। इसकी वजह से उन्हें दूर की चीजें नजर नहीं आती जो उनके लिए परेशानी का सबब बनने लगता है। वैसे तो इसके पीछे जेनेटिक कारण भी होते हैं लेकिन लाइफस्टाइल की भी इसमें अहम भूमिका होती है। आइए जानते हैं Myopia Prevention के लिए कुछ टिप्स।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Published: Thu, 04 Jul 2024 02:23 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 02:23 PM (IST)
बच्चों में बढ़ रहा है Myopia का खतरा (Picture Courtesy: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Myopia in Children: तकनीक के विकास की वजह से बच्चों के जीवन में भी काफी बदलाव आ चुके हैं। पहले की तरह अब गलियों में बच्चे दोस्तों के साथ खेलते नजर नहीं आते, बल्कि अब वे स्मार्टफोन या प्ले स्टेशन पर गेम्स खेलते हैं। कोविड-19 महामारी के बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई में भी कई बदलाव आए हैं। उनकी कई क्लासेज और होमवर्क के लिए भी उन्हें फोन या लैपटॉप की जरूरत होती है। इन वजहों से उनके दिन का एक बड़ा हिस्सा फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखते हुए बीतता है।

इसकी वजह से वे गतिहीन जीवनशैली का शिकार होने लगते हैं, जिसके कारण मोटापे जैसी समस्या उन्हें आसानी से अपना शिकार बना सकती है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव उनकी आंखों पर भी पड़ता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों में मायोपिया (Myopia) की समस्या हो सकती है, जिसके मामले अब बढ़ते नजर आ रहे हैं। इसलिए आजकल कम उम्र में ही बच्चों को मोटा चश्मा लगाने की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ बातों का ख्याल रखें, जिससे आपके बच्चे को मायोपिया की समस्या से न जूझना पड़े (Myopia Prevention)। आइए जानें।

क्या है मायोपिया (Myopia)?

मायोपिया यानी Nearsightedness, एक ऐसी समस्या है, जिसमें पास की चीज तो साफ नजर आती है, लेकिन दूर की चीज देखने में काफी तकलीफ महसूस होने लगती है। मायो क्लीनिक के मुताबिक, मायोपिया (Myopia) की समस्या तब होती है, जब आंखों का या आंखों के हिस्से का आकार बदल जाता है, जिसके कारण रोशनी रिफ्रेक्ट होने लगती है, यानी मुड़ने लगती है। इसके कारण रोशनी रेटिना के पीछे फोकस होने के बदले आगे फोकस होने लगती हैं, जिसकी वजह से दूर की चीजें धुंधली नजर आती हैं। मायोपिया की समस्या आमतौर पर बचपन में ही शुरू हो जाती है, जिसके पीछे जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल दोनों की अहम भूमिका है।

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मायोपिया के लक्षण

  • दूर की चीजें धुंधली नजर आना
  • बार-बार आंखें रगड़ना
  • आंखों को सिकोड़कर देखना
  • बार-बार पलक झपकाना
  • सिर दर्द
  • आंखों पर जोर पड़ना
  • आंखों में दर्द होना
  • पढ़ते या टीवी देखते समय किताब या स्क्रीन को काफी नजदीक से देखना

कैसे करें मायोपिया से बचाव?

  1. बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करें। कोशिश करें कि उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजें। फोन या कंप्यूटर पर गेम न खेलने दें। साथ ही, खाते समय या उनके खाली समय में वे फोन का इस्तेमाल कम से कम करने दें। ऐसे ही वे कितनी देर टीवी देखते हैं, कहां बैठकर देखते हैं, इन बातों का भी ख्याल रखें। स्क्रीन टाइम कम होने से मायोपिया का खतरा कम होता है।
  2. आंखों को हेल्दी रखने के लिए योग करवाएं। ऐसे कई योगासन हैं, जिनसे आंखों को आराम मिलता है और उससे जुड़ी समस्याओं का खतरा कम होता है।
  3. अंधेरे में फोन न चलाने दें। साथ ही, जब वे पढ़ाई करें, तब ध्यान रखें कि उस कमरे में खूब सारी रोशनी हो। अंधेरे में न पढ़ने दें।
  4. उनके आंखों की नियमित चेकअप कराएं। खासकर, अगर आपके परिवार में किसी को मायोपिया की समस्या रही है। जेनेटिक्स की वजह से भी इसका खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, रेगुलर चेकअप से इस बीमारी का जल्दी पता लगाने में भी मदद मिलती है।

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