वजन कम करने में असरदार Intermittent Fasting, लेकिन दिल को भी नुकसान पहुंचा सकता है ये प्रयोग
दुनिया में हर दूसरा व्यक्ति बढ़ते वजन से जूझ रहा है और इसे किसी भी तरह रोकना या कम करना चाहता है। वजन घटाने के लिए एक्सरसाइज से लेकर डाइटिंग सभी कुछ आजमाने से पीछे नहीं हटता। आजकल एक्सरसाइज के अलावा कई तरह की डाइटिंग या फास्टिंग भी पॉपुलर हो रही हैं। इन्हीं में से एक है इंटरमिटेंट फास्टिंग जिसे लेकर नई रिसर्च सामने आई है।
नई दिल्ली। Intermittent Fasting: आजकल लोग फैट को कम करने और फिट रहने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं, इसमें सबसे लोकप्रिय तरीका है इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी आंतरायिक उपवास। लेकिन, खानपान में इस तरह का प्रयोग दिल की सेहत के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है। इसे समझने के लिए जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने प्रो. (डॉ.) एचएस इस्सर, विभागाध्यक्ष, कार्डियोलाजी, वीएमएमसी, नई दिल्ली से बातचीत की।
पिछले कुछ वर्षों से इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन दिखने लगा है। आसान शब्दों में समझें तो इसमें कुछ घंटे के लिए भोजन किया जाता है और उसके बाद कई घंटों तक बिना कुछ खाए-पिए रहा जाता है। आमतौर पर, आठ और 16 घंटे में समय विभाजित होता है यानी आठ घंट के दौरान खानपान, शेष 16 घंटे के लिए पूरी तरह उपवास। लोग दिन के 12 बजे से शाम 7-8 बजे तक खाते-पीते हैं, उसके बाद पूरी तरह उपवास पर रहते हैं, जबकि आमतौर पर लोगों की 12-14 घंटे के दौरान कुछ खाते-पीते रहने की आदत होती है और बाकी आठ घंटे (रात के समय) बिना खाए रहते हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं?
शुरुआती कुछ अध्ययनों में दावा किया गया कि इस तरह की फास्टिंग से एक से दो महीने में ही वजन में कमी होने लगती है। साथ ही, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज में भी कमी आ जाती है। इससे लगा कि इसके बहुत फायदे हैं। धीरे-धीरे यह चलन पूरी दुनिया में शुरू हो गया। हालांकि इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी हैं, जो अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के हालिया अध्ययन से स्पष्ट होता है।बीमारियों का जोखिम
अध्ययन में शामिल 20,000 लोगों के स्वास्थ्य की 10-15 वर्षों तक निगरानी कर आंकड़े जुटाए गए। इसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग और बिना उपवास वालों का ग्रुप बनाया गया। जो लोग सालों से इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे थे, उनमें हृदय संबंधी समस्याएं 90 प्रतिशत अधिक देखने में आईं, खासकर हार्ट अटैक और इससे जुड़ी मौतें ऐसे ग्रुप में अधिक हुईं। अब इस अध्ययन से इंटरमिटेंट फास्टिंग से अल्पावधि में लाभ मिलने की मान्यता उलट गई है। पहले जो अध्ययन हुए, वे कम अवधि के प्रभावों पर आधारित थे और उसमें भी कार्डियक अरेस्ट या मौतों का अध्ययन शामिल नहीं था। अब स्पष्ट है कि खान-पान में समयबद्धता की जिद हृदय के लिए जोखिमकारक हो सकती है।
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कैसे बढ़ती है समस्या
लगातार 16 घंटों तक बिना कुछ खाए-पिए रहने से मेटाबालिज्म स्विच यानी ग्लूकोज से फैट में स्विच होता है। शरीर को ग्लूकोज से एनर्जी नहीं मिलती, तो वह फैट से एनर्जी लेने लगता है। पहले माना गया कि फैट से एनर्जी लेने पर इसमें कमी आएगी, जिससे वजन कम हो जाएगा। लेकिन, फैट में जो कमी आती है, दरअसल वह मांसपेशियों के द्रव्यमान (मसल्स मास) में गिरावट होती है। जो वास्तिवक फैट है वह कम नहीं होता। साथ ही उपयोगी मांसपेशियों में कमी आने से बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इससे हृदय पर किस हद तक प्रभाव पड़ रहा है, इसका आगे और भी अध्ययन होना है।
नियमित अंतराल पर खाना जरूरी
शरीर को लगातार ऊर्जा की जरूरत होती है। 15-16 घंटों तक भूखे रहने से शरीर पर दबाव बढ़ता है। अतः नियमित अंतराल पर पौष्टिक भोजन लेते रहने की परंपरा ज्यादा लाभदायक है। कब और कितनी बार खाते हैं, इससे अधिक जरूरी है कि हम क्या खाते हैं। अब आठ घंटे के दौरान अधिक वसायुक्त भोजन और धूमपान, अल्कोहल ले रहे हैं, तो वह शरीर के लिए खतरनाक ही साबित होगा।हृदय संबंधी समस्याएं
हृदय से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर जीवनशैली के कारण ही होती हैं। कुछ मामलों में आनुवांशिक होती हैं, लेकिन अधिकांशतः अव्यवस्थित जीवनशैली ही जोखिम बढ़ा रही है। जंक फूड, अधिक वसा और नमक युक्त भोजन, आरामतलब जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों में कमी, धूम्रपान, अल्कोहल जैसे कारण दिल की बीमारी बढ़ा रहे हैं। पारंपरिक भारतीय भोजन, मौसमी, हरी-पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, फल, प्रोटीन के अच्छे प्राकृतिक स्रोतों से हमारी दूरी बहुत ही नुकसानदेह साबित हो रही है। ट्रांस फैटी भोजन, अशुद्ध डेरी प्रोडक्ट, तैलीय भोजन और नमक का अधिक प्रयोग रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापे का कारण बन रहा है, जो आगे चलकर हृदय के लिए खतरा बनता है। हृदय की मांसपेशियों के कमजोर पड़ जाने से भारत में यह समस्या बढ़ रही है। यह भी पढ़ें: मौत के खतरे को 91% तक बढ़ा देती है Intermittent Fastingअपनाएं ये उपाय
- हमारा पारंपरिक भारतीय भोजन सबसे गुणकारी है, जिसमें दाल, सूखे मेवे, हरी सब्जियां अच्छी सेहत के लिए आवश्यक हैं।
- सरसो का तेल, कनोला, ऑलिव आयल अच्छा होता है, इसका प्रयोग कर सकते हैं।
- भोजन में नमक और मीठे की मात्रा को सीमित रखना चाहिए।
- नियमित व्यायाम और शारीरिक सक्रियता जरूर हो।
- कम से कम हफ्ते में पांच दिन 40 मिनट व्यायाम जरूर करें।
- जिम में जाकर एक्सरसाइज करने के बजाय ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं।
- अगर प्रतिदिन 40 मिनट बिस्क वॉक करते हैं, तो सेहतमंद रहने के लिए पर्याप्त है।
- अगर ब्लडप्रेशर और डायबिटीज है, तो नियमित जांच कराएं, परहेज रखने के साथ डॉक्टर से परामर्श कर आवश्यक दवाओं का सेवन करें।
- कोलेस्ट्रॉल है, तो खानपान में विशेष सावधानी रखें और दवाओं की जरूरत है, तो उसका सेवन करें।