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बच्चों में भी आम हो रहे हैं कुछ तरह के कैंसर, इन लक्षणों पर रखें नजर ताकि बनी रहे मासूमों की मुस्कान

बच्चों में कई तरह के कैंसर देखे जा रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि हम इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी रखें। इनके लक्षणों के प्रति सजग रहना और साथ ही उचित समय पर इलाज की जागरूकता होने से इससे बचाव की संभावना बढ़ जाती है। तो आइए जानते हैं कि इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Tue, 13 Feb 2024 02:57 PM (IST)
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हर साल 15 फरवारी को अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस मनाया जाता है
नई दिल्ली। बच्चों में कैंसर की बात करें तो सौ में से तीन या पांच प्रतिशत को अलग-अलग प्रकार के कैंसर होते हैं। इसमें सबसे सामान्य प्रकार है रक्त कैंसर व दूसरा ब्रेन ट्यूमर। जागरूकता ही बच्चों में कैंसर से सबसे बड़ा बचाव है। अगर किसी भी तरह के लक्षण दिखें तो तुरंत बच्चों के कैंसर विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। वे लक्षण की गंभीरता को सटीक तरीके से बता सकते हैं।

अभी साफ नहीं हैं कारण

बच्चों में कैंसर होने की वजह अभी साफ नहीं है। इसे चिकित्सकीय भाषा में एथियोपैथिक कहा जाता है। वहीं वयस्कों में जो कैंसर के मामले देखे जाते हैं, उनके ठोस कारण होते हैं। जैसे, फेफड़े का कैंसर है तो माना जाता है कि इसका कारण अत्यधिक तंबाकू या अल्कोहल का सेवन हो सकता है। जीवनशैली से भी बच्चों के कैंसर का सीधा संबंध नहीं है। बच्चों में कैंसर का एक कारण आनुवंशिक हो सकता है, पर यह भी बहुत दुर्लभ है।

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समय पर हो इलाज

भारत में हर साल लगभग 50,000 से अधिक बच्चों के कैंसर के मामले सामने आते हैं। अगर इनका समय पर इलाज हो जाए तो वे पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं। अक्सर अस्पतालों में या कैंसर विशेषज्ञ के पास लक्षण को लेकर पहुंचने में देर हो जाती है। इससे इलाज में जटिलताएं पैदा होती हैं। कोशिश करें कि बच्चों में कैंसर से जुड़े लक्षणों को लेकर सचेत हों ताकि कैंसर का प्रभावी इलाज सुनिश्चत हो सके।

इन लक्षणों को न करें अनदेखा

  • अचानक वजन में कमी आने लगे
  • सुबह के समय सिर दर्द या मिचली आना
  • बार-बार दौरे पड़ना
  • हड्डियों, जोड़ों, पीठ या पैरों में निरंतर सूजन या दर्द रहना।
  • बार-बार बुखार आना
  • रक्तस्राव (अक्सर अचानक)
  • त्वचा पर गहरे लाल धब्बे होना आदि।

डॉ. विकास दुआ

बाल कैंसर विशेषज्ञ, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीटयूट, गुरुग्राम

बातचीत: सीमा झा