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International Stuttering Awareness Day: हकलाहट की समस्या से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं ये तरीके

International Stuttering Awareness Day हकलाहट बोलने संबंधित एक डिसऑर्डर है जिससे कोई भी प्रभावित हो सकते हैं। हर साल 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को इस डिसऑर्डर के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। आइए जानते हैं इस विकार के बारे में साथ ही इससे निपटने के कुछ कारगर तरीकों के बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sat, 21 Oct 2023 10:14 AM (IST)
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International Stuttering Awareness Day: हकलाहट दूर करने के कारगर तरीके

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। International Stuttering Awareness Day: हकलाना एक बोलने से जुड़ा विकार है। हर साल 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हकलाना जागरूकता दिवस (इंटरनेशनल स्टमरिंग अवरनेस डे) मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य लोगों को इस विकार के बारे में जागरूक करना है। अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस सबसे पहले 1998 में नामित किया गया था। हर साल इसे एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार इस दिन को 'One Size Does Not Fit All' थीम के साथ मनाया जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इस विकार के बारे में।

डॉ. शुचिन बजाज, फाउंडर और डायरेक्ट, उजाला सिगनस ग्रूप ऑफ हॉस्पिटल्स का कहना है कि, 'हकलाना, बीमारी नहीं है। यह एक स्पीच डिसऑर्डर है, जो बोलने की गति में रुकावट के कारण होता है। यह आवाज, अक्षरों में दोहराव, बोलने में लंबा समय या झिझक के रूप में सामने आ सकता है। हकलाहट के पीछे, जेनेटिक और पर्यावरण से जुड़े कारण हो सकते हैं। यह समस्या अक्सर बचपन में ही दिखाई देने लगती है, जो बड़े होने तक बनी रह सकती है या उम्र के साथ इसमें सुधार आ सकता है। भले ही यह बीमारी नहीं है, लेकिन जो इससे परेशान हैं, उनके लिए यह चुनौतीपूर्ण और निराश करने वाली स्थिति होती है।'

आइए जानते हैं हकलाहट और उससे निपटने के कुछ कारगर तरीकों के बारे में 

जल्दी देखभाल

बच्चों में हकलाहट की पहचान और उससे निपटना बहुत जरूरी होता है। जितनी जल्दी इस ओर ध्यान दिया जाएगा, बच्चे में इसकी स्थिति बिगड़ने से रोकने या इसे दूर करने की संभावना भी ज्यादा होगी।

बिहेवियरल थेरेपी

कुछ लोगों को बिहेवियरल थेरेपी जैसे - कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) या डिसेंसिटाइजेशन तकनीकों से फायदा हो सकता है और हकलाहट के कारण के रूप में एंजाइटी को कम किया जा सकता है। इससे हालत सुधर सकती है।

हेल्प ग्रूप्स

सहयोगी समूहों में शामिल होना या काउंसलिंग की मदद लेना भी हकलाहट से जुड़े भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं से निपटने में मदद कर सकता है। ये समूह अनुभव साझा करने और दूसरों से सीखने के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराते हैं।

दवाइयां

दवाइयों का प्रयोग सीधे तौर पर हकलाहट के इलाज के लिए नहीं किया जाता, बल्कि कुछ मामलों में एंजाइटी या डिप्रेशन को दूर करने के लिए इनका सहारा लेना पड़ सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे - डिलेड ऑडिट्री फीडबैक (डीएएफ) उपकरण या स्पीच रिस्ट्रक्चरिंग सॉफ्टवेयर का प्रयोग हकलाहट दूर करने और बेहतर साफ बोली के लिए किया जा सकता है।

निरंतर अभ्यास

हकलाहट दूर करने के लिए आमतौर पर निरंतर अभ्यास और धैर्य की जरूरत होती है। साथ ही, उन स्पीच-तकनीकों और तरीकों का निरंतर प्रयोग करना होगा, जिन्हें बोलने की क्षमता सुधारने के लिए प्रयोग की गई थेरेपी में समझाया गया था।

जागरूकता और अपनाना

हकलाहट को स्वीकार करना और उसके बारे में जागरूक रहना मददगार हो सकता है। हकलाहट से किसी की बुद्धिमता या क्षमताओं का पता नहीं चलता। कई सफल लोगों ने अपनी हकलाहट पर अच्छी तरह काबू पाया है।

हकलाहट का निश्चित 'इलाज' नहीं है, लेकिन इसमें काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है। इससे निपटने की कोशिशों के पीछे यह उद्देश्य होना चाहिए कि इससे परेशान व्यक्ति किस प्रकार अपनी स्थिति से निपट सकता है। अपने कम्युनिकेशन स्किल को कैसे सुधार सकता है और कुल मिलाकर अपने जीवन की गुणवत्ता किस प्रकार बेहतर कर सकता है। इलाज का तरीका हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। इनमें से क्या सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि किसी व्यक्ति की खास जरूरतें और स्थितियां क्या हैं? इसलिए, हकलाहट से परेशान व्यक्ति को सही और व्यक्तिगत रूप से तैयार इलाज के तरीकों के लिए किसी स्पीच थेरेपिस्ट या हेल्थकेयर प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।'

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Pic credit- freepik