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International Yoga Day 2024: PCOS की समस्या से राहत दिलाएंगे ये 3 योगासन, एक्सपर्ट से जानें इन्हें करने सही तरीका

PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। दुनियाभर में कई महिलाएं इससे प्रभावित हैं और इसकी वजह से अनियमित मेंस्ट्रुअल साइकिल वजन बढ़ने मुंहासे और इनफर्टिलिटी जैसे लक्षणों का अनुभव करना पड़ता है। ऐसे में एक्सपर्ट के बताए कुछ योगासनों की मदद से इससे राहत पाई जा सकती है। जानते हैं ऐसे ही 3 आसनों के बारे में।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 20 Jun 2024 07:26 PM (IST)
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PCOS में मददगार हैं ये योगासन (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में होने वाली एक प्रचलित समस्या है, जो दुनियाभर में कई महिलाओं को प्रभावित करती है। यह समस्या अनियमित मेंस्ट्रुअल साइकिल, वजन बढ़ने, मुंहासे और इनफर्टिलिटी जैसे लक्षणों का कारण बनती है। हालांकि, दवाओं और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों की मदद से इसे काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है। इसके अलावा योग भी इस समस्या में काफी हद तक कारगर साबित होता है।

ऐसे में पीसीओएस से राहत पाने के लिए योग की भूमिका और कुछ असरदार आसनों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने योग एक्सपर्ट (आत्म योग स्टूडियो, नई दिल्ली), विद्या झा से बातचीत की।

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पीसीओएस में कैसे कारगर योग

योग एक्सपर्ट के मुताबिक योग, शारीरिक मुद्राओं, सांस नियंत्रण और ध्यान को एक साथ लाने वाली एक प्राचीन प्रथा है। योग ने पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। यह पीसीओएस के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों पहलुओं को मैनेज करता है। नियमित रूप से योग का अभ्यास कोर्टिसोल के स्तर को कम कर तनाव दूर करने में मदद कर सकता है, जो पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ाने वाला एक ज्ञात कारक है।

पीसीओएस के लिए योगासन

कुछ विशेष योगासन पीसीओएस के लिए फायदेमंद होते हैं। उदाहरण के लिए, सुप्त बद्ध कोणासन (रिक्लाइनिंग बाउंड एंगल पोज) और बालासन (बच्चों का पोज) जैसे आसन विश्राम और तनाव में कमी को बढ़ावा देते हैं। भुजंगासन (कोबरा पोज) और धनुरासन (बो पोज) जैसे आसन पेट के अंगों को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करते हैं। यहां तीन ऐसे योग अभ्यास दिए गए हैं, जो पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं:-

सुप्त बद्ध कोणासन (रिक्लाइनिंग बाउंड एंगल पोज)

फायदे

  • रिलैक्सेशन को बढ़ावा देता है और तनाव कम करता है।
  • पेल्विक एरिया में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।
  • कूल्हों और कमर के हिस्से को खोलने में मदद करता है।
कैसे करें

  • सबसे पहले अपनी पीठ पर लेटें।
  • अपने पैरों के तलवों को एक साथ जोड़े, जिससे आपके घुटने बगल की तरफ खुले रहें।
  • अपनी भुजाओं को बगल में रखें और हथेलियां ऊपर की ओर रखें।
  • फिर अपनी आंखें बंद करें और 5-10 मिनट तक इसी मुद्रा में रहकर गहरी सांस लें।

भुजंगासन (कोबरा पोज)

फायदे

  • पेट के अंगों को स्टीमूलेट और ओवेरियन फंक्शन में सुधार करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
  • तनाव और थकान को कम करने में मदद करता है।
कैसे करें

  • अपने पैरों को फैलाकर और पैरों को एक साथ मिलाकर चटाई पर मुंह के बल लेट जाएं।
  • अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे, कोहनियों को अपने शरीर के पास रखें।
  • गहरी सांस लें और अपनी पीठ की मांसपेशियों की मदद से धीरे-धीरे अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • अपने पेल्विस को जमीन पर रखें और थोड़ा ऊपर की ओर देखें।
  • गहरी सांस लेते हुए 15-30 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें, फिर उसी पोजिशन में आ जाए।

अनुलोम-विलोम

फायदे

  • एंडोक्रिन सिस्टम को संतुलित करता है और हार्मोनल फंक्शन में सुधार करता है।
  • एंग्जायटी कम करता है और मेंटल क्लेरिटी बढ़ाता है।
  • रेस्पिरेटरी सिस्टम और पूरी हेल्थ में सुधार करता है।
कैसे करें

  • रीढ़ की हड्डी सीधी करके आराम से बैठें।
  • अपने दाहिने अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका बंद करें।
  • अपनी बाईं नासिका से गहरी सांस लें।
  • अपनी दाहिनी अनामिका से अपनी बाईं नासिका को बंद करें और अपने अंगूठे को अपनी दाहिनी नासिका से हटा दें।
  • अपनी दाहिनी नासिका से पूरी सांस छोड़ें।
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