क्या आप भी हैं चावल खाने के शौकीन, तो जानें कैसे फूड पॉइजनिंग की वजह बन सकता है दोबारा गर्म किया राइस
कई लोग चावल खाने के शौकीन होते हैं। चावल के बिना कई लोगों का खाना पूरा नहीं होता है। ऐसे में सुबह-शाम चावल खाने के लिए अक्सर लोग बासी चावल खाते हैं। हालांकि बचे हुए चावल खाना कई बार आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अगर आप भी अक्सर बचे हुए चावल को गर्म कर खाते हैं तो जानते हैं इसका सेहत पर प्रभाव-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। चावल कई लोगों के खाने का अहम हिस्सा है। इसके बिना कई लोगों का खाना तक अधूरा रह जाता है। ऐसे में सुबह-शाम चावल खाने के लिए लोग अक्सर रखे हुए बासी चावल खाते हैं। हालांकि, बासी चावल या दोबारा गर्म किया हुआ चावल खाना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा न करने के लिए खुद को न्यूट्रिशनिस्ट सलाह देते हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो सामने आए, जिसमें यह चेतावनी दी गई कि एक दिन पुराने या दोबारा गरम किए गए चावल खाने से फूड पॉइजनिंग और गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं क्या सच्चाई-
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क्या बचा हुआ चावल खतरनाक है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कभी-कभी बचे हुए चावल खाना हानिकारक हो सकता है। पके हुए चावल की बनावट और जिस तरह से यह नमी को बरकरार रखता है, उस पर बैक्टीरिया का तेजी से पनपना आसान हो जाता है, खासकर गर्म तापमान में। चावल और पास्ता जैसे स्टार्चयुक्त अनाज से होने वाली फूड पॉइजनिंग आम तौर पर बैसिलस सेरेस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।
ऐसे में चावल पकाने के बाद अगर आप इसे लंबे समय तक रूम टेम्परेचर में रखते हैं और फ्रिज में नहीं रखते हैं, तो संभावना है कि यह बैक्टीरिया बहुत तेजी से फैल सकता है। ऐसे में बैक्टीरिया वाले इस चावल को खाने से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:-
- दस्त
- उल्टी
- डिहाईड्रेशन
दोबारा गर्म किया खाना कितना सुरक्षित?
सिर्फ चावल नहीं, पकाया गया कोई भी फूड आइटम माइक्रोबियल विकास के लिए एक आकर्षक मीडियम होता है, लेकिन यह किस हद तक विकसित होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह भोजन किस प्रकार का है। बैक्टीरिया पनपने की यह प्रक्रिया रूम टेम्परेचर में तेज हो जाती है, क्योंकि जर्म्स लगभग 37 डिग्री सेल्सियल पर सबसे अच्छे से बढ़ते हैं। ऐसे में खाना गर्म करने से इन कीटाणुओं से छुटकारा नहीं मिलता।
हालांकि, यह घबराने की कोई खास वजह नहीं है। अगर खाना थोड़ी मात्रा में कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं, तो ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण विकसित नहीं होते, लेकिन यह कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाएं, जीआई (गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल) समस्याओं या संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए चिंता का कारण हो सकता है। इसलिए इन लोगों को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।