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भारत के लिए कितना खतरनाक है Monkeypox Virus, डॉक्टर ने बताई इस बीमारी से जुड़ी हर जरूरी बात

WHO ने मंकीपॉक्स को दूसरी बार ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। भारत में सामने आए एमपॉक्स के मामले (Monkeypox Cases in India) भले ही क्लैड-1 वेरिएंट जितने खतरनाक नहीं है लेकिन फिर भी दुनिया के कई देशों में यह वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में आइए एक्सपर्ट की मदद से जानते हैं कि भारत में इसका खतरा लक्षण और बचाव के उपाय।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 14 Sep 2024 02:23 PM (IST)
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एक्सपर्ट से जानें भारत में मंकीपॉक्स का खतरा, लक्षण और बचाव के उपाय

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल के वर्षों में कई नए वायरस उभरकर सामने आए हैं, जिनमें मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus) भी शामिल है। अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पहले से ही मौजूद यह वायरस अब दुनिया के कई देशों में फैल चुका है। भारत में भी इस बीमारी को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। हालांकि, भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के मामले सीमित हैं, फिर भी इसके खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आइए इस आर्टिकल में यशोदा हॉस्पिटल, कौशांबी की सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. छवि गुप्ता की मदद से जानते हैं इससे जुड़ी हर जरूरी बात।

मंकीपॉक्स के लक्षण और पहचान

डॉ. छवि गुप्ता बताती हैं कि मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 7 से 14 दिनों के भीतर उभरते हैं। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, और थकान शामिल हैं। इसके अलावा, चेहरे, हाथ, और शरीर के अन्य हिस्सों में दाने या फफोले दिखाई देने लगते हैं। जैसे ही ये लक्षण उभरें, तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है, ताकि बीमारी को गंभीर होने से पहले काबू किया जा सके।

मंकीपॉक्स का संक्रमण और फैलाव

मंकीपॉक्स मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंचने या उनके तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इंसानों में यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या उनकी त्वचा से निकलने वाले तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है।

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मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय

  • स्वच्छता बनाए रखें: नियमित रूप से हाथ धोएं और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें: यदि किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें, तो उससे दूरी बनाए रखें।
  • मास्क और दस्ताने का इस्तेमाल करें: खासकर जब आप किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हों।
  • जानवरों से सतर्क रहें: खासकर बंदरों और चूहों जैसे जंगली जानवरों से दूर रहें।
  • संक्रमित त्वचा को ढककर रखें: घावों और फफोलों को कवर करें और भरपूर पानी पिएं।

क्यों जरूरी है प्रारंभिक पहचान?

यशोदा हॉस्पिटल, कौशांबी की सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. छवि गुप्ता कहती हैं कि मंकीपॉक्स के लक्षण शुरुआती चरण में अन्य वायरल संक्रमणों जैसे दिख सकते हैं। अगर शरीर पर फफोले या दाने उभरने लगें, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। प्रारंभिक निदान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बीमारी को जटिल होने से रोका जा सकता है।

सुविधाएं और जागरूकता

भारत सरकार ने कई स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में मंकीपॉक्स की पहचान के लिए टेस्टिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। आम जनता को इस बारे में जागरूक रहना चाहिए और शुरुआती लक्षणों के दिखते ही परीक्षण कराना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप न केवल जटिलताओं को कम करता है, बल्कि बीमारी के फैलाव को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।

चिकनपॉक्स का टीका एमपॉक्स में भी है असरदार

चिकनपॉक्स की रोकथाम में प्रयोग में लाया जाने वाला बवेरियन नॉर्डिक ए/एस टीका काफी हद तक मंकीपॉक्स के संक्रमण से बचाव में असरदार साबित हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार इस टीके को एमपॉक्स संक्रमण के खिलाफ करीब 58 प्रतिशत सुरक्षात्मक पाया गया है। इस टीके ने साल 2022 में मंकीपॉक्स के प्रकोप को रोकने में काफी मदद की। ऐसे में विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इस बार के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए भी इसे इस्तेमाल में लाकर लाभ हासिल किया जा सकता है।

भारत में मंकीपॉक्स का प्रभाव

अब तक भारत में मंकीपॉक्स के मामले सीमित हैं, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और सतर्कता बहुत जरूरी है। सही समय पर पहचान और उपचार से इस वायरस के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

मंकीपॉक्स एक गंभीर वायरस है, लेकिन सही जानकारी और सतर्कता से इससे बचाव संभव है। अगर आप किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और स्वच्छता बनाए रखें। प्रारंभिक पहचान से जटिलताओं से बचा जा सकता है और वायरस के फैलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

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