Non Stick Pans Cause Cancer: क्या नॉन स्टिक पैन से हो सकता है कैंसर का खतरा? जानें वैज्ञानिकों की राय
आज कल हर कोई Non Stick बर्तनों का इस्तेमाल अपने घरों में कर रहा है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल रहता है कि क्या इसके इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इन्हीं सवालों का जवाब हमने आर्टिकल में दिया है। आप भी जान लें कि वैज्ञानिकाें की क्या राय है। अगर आप सुरक्षित तरीके से खाना बनाते हैं तो कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नॉन-स्टिक पैन का इस्तेमाल आजकल हर घरों में हो रहा है। इससे खाना बनाना आसान हो जाता है क्योंकि इनमें तेल कम लगता है और सफाई भी आसान होती है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये पैन भोजन को चिपकने से रोकते हैं। ऐसे में लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेहतमंद रहने के लिए आप जिन नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वही बर्तन आपको गंभीर बीमारियों का शिकार भी बना सकते हैं। आपने भी कई बार सुना होगा कि नॉन-स्टिक पैन में खाना पकाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नॉन स्टिक पैन कैसे बनता है, इसके इस्तेमाल से क्या वाकई सेहत को नुकसान हाेते हैं, तो चलिए जानते हैं सब कुछ-
दरअसल, नॉन-स्टिक पैन में एक खास तरह की कोटिंग होती है, जिसे टेफ्लॉन कहा जाता है। टेफ्लॉन, पॉलीटेट्राफ्लोरोएथिलीन (PTFE) से बनता है। इसे 1950 के दशक में पहली बार कुकवेयर में इस्तेमाल किया गया था। यह कोटिंग पैन को चिकना बनाती है जिससे खाना चिपकता नहीं है। आपको बता दें कि टेफ्लॉन खुद में जहरीला नहीं होता, लेकिन समस्या तब होती है जब इसे ज्यादा गर्म कर दिया जाता है।
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नॉन-स्टिक पैन के इस्तेमाल को लेकर चिंता
अगर आप नॉन-स्टिक पैन को 260°C से ज्यादा तापमान पर गर्म करेंगे तो इसके हानिकारक केमिकल्स जैसे कि पर्फ्लोरोऑक्टेनोइक एसिड (PFOA) रिलीज हो सकते हैं। PFOA एक ऐसा रसायन है जिसके लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जोड़ा गया है। दरअसल सालों से नॉन-स्टिक पैन के उपयोग को लेकर चिंता रही है।
आज नॉन स्टिक बर्तनों में नहीं हो रहा PFOA का इस्तेमाल
आजकल ज्यादातर कंपनियां अपने नॉन स्टिक के बर्तनों में PFOA (परफ्लुओरोऑक्टेनोइक एसिड) का इस्तेमाल नहीं करती हैं। लेकिन पुराने बर्तनों की बात करें तो उनमें अभी भी PFOA हो सकता है। इसलिए जब भी नॉन स्टिक के बर्तन खरीदें तो ये सुनिश्चित कर लें कि आपका बर्तन PFOA-फ्री है या नहीं। PFOA के गुणों के कारण, इसका उपयोग अक्सर ऐसे उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है जो गर्मी, पानी, ग्रीस और चिपकने से बचने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।नॉन-स्टिक पैन का सुरक्षित तरीके से ऐसे करें इस्तेमाल
- कम तापमान पर पकाएं भोजन- नॉन-स्टिक पैन को हाई फ्लेम पर न रखें। मीडियम आंच पर खाना पकाएं ताकि टेफ्लॉन कोटिंग सुरक्षित रहे।
- पैन को स्क्रैच से बचाएं- नॉन-स्टिक पैन में मेटल के बर्तनों का उपयोग बिल्कुल भी न करें। इससे पैन की कोटिंग खराब हो सकती है, जो कि नुकसानदेह हो सकता है।
- पुराने पैन में न बनाएं खाना- अगर पैन की कोटिंग उतरने लगी है या उसमें खरोंचें आ गई हैं, तो उसे बदल दें। अगर आप इसमें खाना बनाते हैं तो इससे आपकी सेहत काे नुकसान हो सकता है।
क्या नॉन-स्टिक पैन से कैंसर का खतरा होता है?
वैज्ञानिकों की शोध बताती है कि नॉन-स्टिक पैन में बना खाना खाने से कैंसर का खतरा तभी होता है जब इसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए। अगर इसे अधिक तापमान पर गर्म किया जाए या पुराने पैन को इस्तेमाल किया जाए तो निश्चित ही नुकसान संभव है। लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर इसका खतरा काफी कम हो जाता है। नॉन-स्टिक पैन का इस्तेमाल बिल्कुल सुरक्षित है, बशर्ते कि आप इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें। हमेशा कम आंच पर पकाएं, कोटिंग खराब होने पर पैन बदलें और PFOA-फ्री उत्पाद ही खरीदें।
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