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कूल्हे और जोड़ों के दर्द से निपटने के लिए इन उपायों के बारे में जानना जरूरी

ऑस्टियोआर्थराइटिस कूल्हे के जोड़ का एक प्रगतिशील क्षय है जो आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है। इसका कारण उम्र बढ़ना मोटापा आनुवंशिक कारक और पुरानी चोटें या संक्रमण होता है। इसके लक्षणों में कूल्हे में दर्द विशेषकर चलने या लंबे समय तक बैठने के बाद कूल्हे में अकड़न विशेषकर सुबह उठने पर कूल्हे की गतिशीलता में कमी कूल्हे के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी आदि होता है।

By Jagran News Edited By: Anurag Mishra Updated: Mon, 09 Sep 2024 12:00 AM (IST)
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कूल्हे और घुटने की समस्याओं को समय पर पहचाना और उचित उपचार किया जाना चाहिए
 नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।

भारत में कूल्हे और घुटने की समस्याएं एक बढ़ती हुई चिंता का विषय हैं, जो न केवल बुजुर्गों को प्रभावित करती हैं, बल्कि युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों को भी। इन समस्याओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे जीवनशैली में बदलाव, बैठे रहने की आदतें, मोटापा, और पोषण संबंधी कमियां। एक्पपर्ट मानते हैं कि भारत में विशेषकर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में घुटने का ऑस्टियोआर्थराइटिस भारत में बहुत आम है।

ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मुद्दस्सिर सिद्दीकी बताते हैं कि ऑस्टियोआर्थराइटिस कूल्हे के जोड़ का एक प्रगतिशील क्षय है, जो आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है। इसका कारण उम्र बढ़ना, मोटापा, आनुवंशिक कारक और पुरानी चोटें या संक्रमण होता है। इसके लक्षणों में कूल्हे में दर्द, विशेषकर चलने या लंबे समय तक बैठने के बाद, कूल्हे में अकड़न, विशेषकर सुबह उठने पर, कूल्हे की गतिशीलता में कमी, कूल्हे के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी आदि होता है।

वह कहते हैं कि कूल्हे और घुटने की समस्याओं को समय पर पहचाना और उचित उपचार किया जाना चाहिए, ताकि जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके और रोगी स्वतंत्रता से जीवन का आनंद ले सके। सही जानकारी और उपचार विकल्पों के साथ, भारत में इन समस्याओं से निपटने में बड़ी मदद मिल सकती है। मांसपेशियों को संतुलित करने और संरेखण को सुधारने के लिए ⁠फिजियोथेरेपी काफी लाभदायक होती है तो वहीं दवाएं सूजन और दर्द को नियंत्रित करने के लिए दी जाती है। इसके अलावा छोटे चीरों के माध्यम से मेनिस्कस की मरम्मत की जाती है। क्षतिग्रस्त मेनिस्कस के हिस्से को हटाया जाता है। गंभीर मामलों में, पूरे मेनिस्कस को बदला जा सकता है। इसके अलावा हिप रिप्लेसमेंट में क्षतिग्रस्त कूल्हे के जोड़ को कृत्रिम जोड़ से बदल दिया जाता है। वहीं कूल्हा रीसरफेसिंग जो कि कम इनवेसिव विकल्प है जहाँ केवल क्षतिग्रस्त सतह को बदला जाता है।

डॉ. सिद्दीकी निम्नलिखित घरेलू उपचारों की सलाह देते हैं:

1.⁠ ⁠व्यायाम: क्वाड्रिसेप्स को मजबूत करने के लिए

2.⁠ ⁠आराम: गतिविधियों को सीमित करें जो दर्द बढ़ाते हैं

3.⁠ ⁠बर्फ: सूजन और दर्द को कम करने के लिए

4.⁠ ⁠सपोर्टिव ब्रेसेस का उपयोग: घुटने को सहारा देने के लिए

5.⁠ ⁠वजन प्रबंधन: अतिरिक्त वजन घुटने पर दबाव डालता है

Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।