मुश्किल नहीं है डायबिटीज से बचाव, बस रखना होगा कुछ जरूरी बातों का ध्यान
डायबिटीज से जूझने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डायबिटीज से पूर्व स्थिति यानी प्री-डायबिटिक स्टेज पर अगर थोड़ी सावधानी बढ़ा दें तो इससे बचना (Diabetes Prevention Tips) कठिन नहीं है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के साथ-साथ हमें किन जरूरी बातों का रखना है ध्यान रखना चाहिए इस बारे में हम यहां जानने की कोशिश करेंगे। आइए जानें।
नई दिल्ली। Diabetes Prevention Tips: डायबिटीज का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। तरह-तरह के परहेज और सावधानी को लेकर चिंताएं बढ़ने लगती हैं। ऐसे में अगर हम समय रहते जीवन को सेहतमंद बनाए रखने की आदत डाल लें, तो न केवल डायबिटीज बल्कि अन्य कई तरह की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के जोखिम से बचे रहेंगे। डायबिटीज एक तरह का साइलेंट किलर है जो शरीर को धीरे धीरे कमजोर कर देता है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे- किडनी, आंखें आदि प्रभावित होने लगते हैं।
यदि आप पर्याप्त शारीरिक श्रम कर रहे हैं, स्वस्थ खानपान व कसरत करना नहीं भूलते तो डायबिटीज से आसानी से बचाव हो सकता है। पर, आपको यह भी याद रखना चाहिए कि लंबे समय तक बैठे रहना, शारीरिक मेहनत से जी चुराना, कुछ भी खा लेने की आदतों के कारण आप इसे आमंत्रण दे रहे हैं। लांसेट की एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि लगभग आधे भारतीयों की शारीरिक सक्रियता पर्याप्त नहीं है। वास्तव में अपनी जीवनशैली के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही के कारण भारत आज डायबिटीज की वैश्विक राजधानी कहा जाने लगा है।
यहां छुपा है बड़ा अवसर
डायबिटीज के चपेट में आने से पहले लोग प्री-डायबिटीज स्टेज पर होते हैं। यह ऐसा चरण है जब शुगर का स्तर वहां नहीं होता जो डायबिटीज कहा जाए। बता दें प्री-डायबिटीज की पहचान ब्लड शुगर की जांच से हो सकती है। खाने से पूर्व यानी भूखे पेट ब्लड शुगर का स्तर 110 मिलीग्राम प्रति डीएल और खाने के बाद 140 मिलीग्राम प्रति डीएल तक है तो यह प्री-डायबिटीज अवस्था कही जाती है। आप यदि इस स्तर या अवस्था पर हैं तो इसका एक अर्थ कि आप भविष्य में डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। अच्छी बात है कि प्री-डायबिटीज स्तर की पहचान कर ली जाए तो आपके पास डायबिटीज को रोकने का अवसर होता है।आइए इस बारे में डा. जुगल किशोर (जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली) से जानते हैं।ज्यादातर लोग प्री-डायबिटीज अवस्था को हल्के में लेते हैं। चिकित्सक भी ऐसी सलाह नहीं देते कि जिससे प्रेरित होकर लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की पहल करें। इस अवस्था में जोखिम भरे कारकों जैसे मोटापा, वजन बढ़ने से रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कसरत को दिनचर्या का अंग बना लेना है और खानपान की आदतों में तुरंत बदलाव लाना है। व्यक्ति के साथ परिवार और सामुदायिक स्तर पर इसे लेकर पहल होनी चाहिए। सार्वजनिक पहल से लोगों को अपनी पुरानी जोखिम भरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए प्रेरणा मिलती है। जैसे, अल्कोहल, धूमपान की तरह खानपान की आदतें भी लत की तरह हैं, इससे छुटकारा पाने के लिए स्वत: प्रयास करना चाहिए।
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बच्चों में भी डायबिटीज!
छोटे बच्चों को वयस्कों से अलग डायबिटीज हो सकती है। उन्हें इंसुलिन असंतुलन की परेशानी हो सकती है। इसके कारण आनुवंशिक भी है, जिसके कारण इंसुलिन नहीं बनता। किडनी की परेशानी हो तो भी वे इससे पीड़ित हो सकते हैं। इन दिनों बच्चों की दिनचर्या में हो रहा बदलाव उन्हें यह बीमारी दे रहा है। माता-पिता के साथ स्कूलों में भी इसे लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए। बच्चों को खानपान के प्रति सजग करना है और खेलकूद व शारीरिक श्रम के प्रति प्रोत्साहित करना है।3 जोखिम हैं बड़े
- निष्क्रियता, शारीरिक मेहनत से बचना
- अल्कोहल, धूमपान की आदत
- मोटापा और वजन बढ़ना।
चीनी से जुड़े मिथक
यदि आप चीनी अधिक खा रहे हैं तो यह सही नहीं है। चीनी खाना बुरा नहीं है, पर ऐसी जीवनशैली में जब खानपान शर्करा युक्त है, कार्ब का अत्यधिक सेवन हो और शारीरिक श्रम भी न हो तो वहां यह मुसीबत बन जाती है। यदि आप पर्याप्त मेहनत कर रहे हैं तो शर्करा या ग्लूकोज के रूप में कैलोरी आसानी से उपयोग हो जाती है। लेकिन, निष्क्रियता होने पर शरीर में ये जमा हो जाती हैं और बनने वाले इंसुलिन का उपयोग नहीं हो पाता।आदतों में बदलाव एक प्रक्रिया
यदि आप अपनी जीवनशैली को बदलना चाहते हैं तो इसके लिए एक चरणबद्ध तरीके से प्रयास करें। जैसे खानपान को ठीक करना है तो धीरे धीरे इसे आदत में लाएं। ऐसे लोगों या समुदाय के संपर्क में रहें जो आपको इस ओर प्रेरित करे।इन लक्षणों को मानें चेतावनी
- अधिक प्यास लगना
- अधिक भूख लगना
- थकान बने रहना
- खानपान ठीक हो तो भी वजन घटना
- जल्दी जल्दी यूरिन महसूस होना आदि।
इन बातों का रखें ध्यान
- वजन जितना अधिक होगा, मांसपेशियां और ऊतक कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन के प्रति उतनी ही प्रतिरोधी होंगी।
- अपनी आरामपसंद दिनचर्या बदलें। साइकिल चलाएं, घर के छोटे मोटे काम स्वयं करने की आदत डालें।
- यदि मोटापा है, घुटनों में दर्द रहता है तो बैठकर भी सक्रिय रहने वाला काम कर सकते हैं।
- सप्ताह में न्यूनतम पांच बार कम से कम 30 मिनट मध्यम-तीव्र गति से चलने का लक्ष्य तय करें।
- भूख लगने पर कुछ भी खाने जैसे, समोसा, जंक फूड, शर्करायुक्त पेय पदार्थ आदि से बचें।
- डिब्बाबंद संरक्षित खाना, रेडी टू ईट भोजन से छुटकारा पाने का प्रयास शुरू करें और पारपंरिक भोजन यानी मोटा अनाज, साग सब्जियां भोजन में वापस लाएं।
तनाव नियंत्रण पर रहे ध्यान
तनाव के समय निकलने वाले कार्टिसोल हार्मोन से शुगर लेवल बढ़ जाता है। तनाव से नींद भी बाधित होती है। नींद कम हो तो अधिक क्रेविंग यानी आपको बार-बार खाने की इच्छा होती है। यह आपके वजन को बढ़ा देता है और धीरे धीरे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।खानपान में बरतें सावधानियां
- रोजाना नाश्ता, दोपहर का खाना और रात के खाने को आदत बना लें। इससे आहार पर नियंत्रण होगा और अपने लिए सही खाद्य पदार्थ चुनने में मदद मिल सकती है।
- खाने की थाली आधे हिस्से में ब्रोकली, भिंडी जैसी हरी सब्जियां लें। एक चौथाई हिस्से में चिकन, मछली, दाल जैसी प्रोटीन युक्त चीजें लें और अन्य चौथाई हिस्से में ओट्स, ब्राउन राइस, गेहूं जैसै कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ।
- किसी पदार्थ के साथ यदि 'कम चीनी', 'चीनी मुक्त' या 'कृत्रिम रूप से मीठा' होने का दावा है तो भी अधिक मात्रा में न खाएं।
- अदरक, प्याज, लहसुन, काली मिर्च, टमाटर, नींबू घास, आदि जैसे प्राकृतिक मसालों का प्रयोग करें।