Jagran Dialogues: क्या स्ट्रेस की वजह से हो सकती हैं न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें? क्या WFH के दौरान रह सकते हैं तनाव से दूर? एक्सपर्ट से जानें ऐसे सवालों के जवाब
Jagran Dialogues जागरण डायलॉग्ज़ के लेटेस्ट इंटरव्यू में जागरण न्यू मीडिया की उर्वशी कपूर (चीफ सब-एडिटर) और आलोक सेनगुप्ता ( सीनियर सब-एडिटर) ने डॉ. केके जिंदल और डॉ. विशाल छाबड़ा से कोविड-19 और इसकी वजह से हो रहे न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पर बातचीत की।
By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Wed, 14 Jul 2021 06:36 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। पिछले लगभग डेढ़ साल कोविड-19 महामारी की वजह से हम सभी के लिए मुश्किलों से भरे रहे हैं। चीन के वुहान में सबसे पहले पाए गए कोरोना वायरस ने भारत में लाखों लोगों की जान ले ली। इसका साफ असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है। हालांकि, अब भी इस संक्रमण के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इससे जुड़े कई मिथक हैं, जो लोगों को परेशान कर रहे हैं। इसलिए जागरण न्यू मीडिया ने कोविड स्पेशल सीरीज़ 'जागरण डायलॉग्ज़' लॉन्च की है, ताकि लोगों को महामारी के बारे में जागरूक किया जा सके।
'जागरण डायलॉग्ज़' के लेटेस्ट इंटरव्यू में जागरण न्यू मीडिया की उर्वशी कपूर (चीफ सब-एडिटर) और आलोक सेनगुप्ता ( सीनियर सब-एडिटर) ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग के न्यूरोलॉजी विभाग के निदेशक, डॉ. केके जिंदल और छाबड़ा मनोरोग केंद्र, रोहिणी, नई दिल्ली, के निदेशक, डॉ. विशाल छाबड़ा से कोविड-19 और इसकी वजह से हो रहे न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पर बातचीत की।
पेश हैं एक्पर्ट्स से बातचीत के कुछ अंश:
सवाल: नेयूरोलॉजी एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनकर लोगों में डर बैठ जाता है। क्या आप हमारे दर्शकों को बता सकते हैं कि न्यूरोलॉजिकल समस्याएं क्या हैं, जिनका लोगों को सामना करना पड़ सकता है?डॉ. केके जिंदल: जैसा कि आपने कहा कि न्यूरोलॉजी एक बड़ा शब्द है, जिसका रिश्ता दिमाग़ से है। ब्रेन अटैक, विभिन्न प्रकार के सिरदर्द, मांसपेशियों की समस्या कुछ सामान्य न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें हैं। इस वक्त पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है। इस महामारी में, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ी हैं और हम इस समस्या से जुड़े ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ और जटिलताएं देख रहे हैं। हालांकि, मैं कहना चाहूंगा कि हमें घबराने की ज़रूरत नहीं है। अगर हमें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लक्षणों का समय से पता लग जाए, तो आसानी से इसका इलाज संभव है। इसलिए जल्द से जल्द बीमारी का पता लगना और फिर डॉक्टर से परामर्श करना इसके इलाज में अहम साबित होता है।
सवाल: हम में से ज़्यादातर लोग एक साल से ज़्यादा समय से अपने घरों से ही काम कर रहे हैं। WFH में कई फायदे होते हैं, लेकिन साथ ही काम का दबाव हमारी ज़िंदगी को तनावपूर्ण भी बना रहा है। तनाव को दूर करने के लिए एक आम व्यक्ति को क्या करना चाहिए? डॉ. विशाल छाबड़ा: यह सवाल पूछने के लिए धन्यवाद! यह एक बेहद अहम सवाल और पिछले कुछ महीनों से लोग लगातार इस बारे में सवाल कर रहे हैं। हम लोग अपने घरों से काम कर रहे हैं, लेकिन घर वो जगह है जहां हम आराम करते हैं और एन्जॉय करते हैं। हमने घर से काम करने के लिए माहौल नहीं बनाया है, या तो हम घर की डाइनिंग टेबल पर बैठकर काम करते हैं, या फिर अपने बिस्तर पर, जो वास्तव में आराम करने की जगह है। इसकी वजह से हमारी नींद का चक्र भी गड़बड़ हुआ है। अब ऑफिस के काम के लिए फिक्स्ड घंटे नहीं हैं। व्यक्तिगत और कंपनी दोनों स्तरों पर, हमें नई वास्तविकता को समझने की ज़रूरत है कि हम में से ज़्यादातर लोग अब वापस ऑफिस नहीं जाने वाले हैं। हमें इस नई ज़िंदगी को स्वीकारना चाहिए और इसे देखते हुए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। जैसे समय पर सोना, घरों में हेल्दी माहौल बनाना। काम करते वक्त बीच में ब्रेक लेना भी ज़रूरी है। लगातार काम करने से हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
सवाल: क्या तनाव से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं? अगर हां, तो इसके क्या संकेत हैं? डॉ. केके जिंदल: जैसा कि डॉ. विशाल ने कहा कि घर से काम करने की वजह से तनाव हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। यह मानसिक तनाव विभिन्न तंत्रिका संबंधी विकारों को बढ़ा सकता है, जैसे ब्रेन स्ट्रोक, माइग्रेन या एपोप्लेक्सी। जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, उन्हें इन मुद्दों का सामना करने से बचने के लिए खुद को डिस्ट्रेस करना चाहिए।
आप पूरी बातचीत यहां सुन सकते हैं: