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Jaundice: आखिर पीलिया में आंखों और त्वचा का रंग क्यों पड़ जाता है पीला? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Jaundice पीलिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन नवजात शिशुओं में यह एक आम समस्या है। इस बीमारी में मरीज के आंखों त्वचा और नाखूनों का रंग पीला पड़ जाता है। इसके अलावा शरीर में खून की कमी होने लगती है जिससे व्यक्ती को काफी कमजोरी और थकान महसूस होती है। ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Mon, 31 Jul 2023 09:21 AM (IST)
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Jaundice: कभी सोचा है,पीलिया में क्यों आंखों और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। सलोनी उपाध्याय। Jaundice: पीलिया एक आम बीमारी है, जो दुनियाभर में लोगों को प्रभावित करती है। आमतौर पर दूषित खाना या पानी से यह बीमारी फैलती है, जिससे लिवर में इन्फेक्शन हो जाता है। पीलिया में शरीर में कुछ ऐसे बदलाव नजर आते हैं, जिससे इस बीमारी की आसानी से पहचान की जा सकती है।

इस बीमारी के कई लक्षण शरीर में नजर आते हैं, लेकिन मुख्य रूप से पीलिया में आंखों के सफेद भाग में अचानक पीलापन दिखने लगता है। इसके अलावा त्वचा, नाखूनों का रंग भी पीला रंग नजर आने लगता है। इतना ही नहीं पीलिया में पेशाब का रंग गहरा पीला हो जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन नवजात शिशुओं में यह एक बहुत ही आम समस्या है।

क्या आपने कभी सोचा है, आखिर इस बीमारी में त्वचा और आंखों का रंग क्यों पीला पड़ जाता है? तो आइए जानते हैं, एक्सपर्ट से इसके जवाब।

पीलिया में क्यों होता है त्वचा और आंखों का रंग पीला

दिल्ली के सी.के. बिड़ला अस्पताल इंटरनल मेडिसिन विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया, इस बीमारी के कारण शरीर के तरल पदार्थ भी पीले हो सकते हैं। पीलिया में बिलीरुबिन की वजह से मरीज की त्वचा, आंखों का रंग और शरीर के तरल पदार्थ पीले हो जाते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति बिलीरुबिन को लिवर के माध्यम से शरीर से उत्सर्जित करते हैं, जबकि पीलिया प्रभावित व्यक्ति में लिवर ऐसा करने में असमर्थ होता है।

डॉ. राजीव गुप्ता ने कहा कि सामान्य तौर पर बिलीरुबिन को फिल्टर किया जाता है और लिवर द्वारा पित्त रस बनाने के लिए उपयोग किया जाता है और इसे मल और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन, जब लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन सामान्य चक्र के रूप में टूटने लगता है, तो रक्त में बिलीरुबिन जमा होने लगता है। जब यह शरीर में अधिक मात्रा में जमा हो जाता है, तो लिवर इसे सही से फिल्टर नहीं कर पाता है। ऐसे में त्वचा और आंखों का रंग पीला होने लगता है।

बिलीरुबिन का उच्च स्तर होने पर शरीर में खुजली हो सकती है। पीलिया से पीड़ित लोगों में गहरे रंग का मूत्र और हल्के रंग का मल होता है, क्योंकि बिलीरुबिन मल के माध्यम से उत्सर्जित होने के बजाय मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होने लगता है।

पीलिया के कुछ अन्य लक्षण

  • उल्टी या मल में खून आना
  • बुखार
  • ठंड लगना
  • पेट दर्द
  • टैरी ब्लैक रंग का मल
  • बिना किसी बड़ी चोट के रक्तस्राव या नीलापन आना
  • आंखों का रंग पीला होना
  • पेशाब का रंग गहरा पीला
अगर आपको ऐसे लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं,बच्चों में पीलिया के लक्षण की बात करें तो नारंगी या पीले रंग की त्वचा होना, जागने में समस्या, पेशाब कम करना, आंखों की असामान्य मूवमेंट, शरीर धनुष की तरह मुड़ा होना आदि हैं।

पीलिया के रोकथाम के उपाय

डॉ. राजीव गुप्ता ने इस बीमारी से बचने के उपाय बताए, उन्होंने कहा कि वजन नियंत्रित, स्वस्थ जीवन शैली, कम कोलेस्ट्रॉल स्तर आदि पर ध्यान रखकर पीलिया से बचा जा सकता है।