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खेलने-कूदने की उम्र में Arthritis का शिकार हो रहे बच्चे, डॉक्टर ने बताए कुछ लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके

अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण आज बच्चे जोड़ में दर्द से परेशान होने लगते हैं। ऐसे में कई बार माता-पिता इसे हल्के में लेते हैं जिससे समस्या ठीक होने के बजाय बढ़ने लगती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉक्टर की मदद से जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस (JRA) से जुड़े कुछ लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके बताने जा रहे हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 07 Sep 2024 02:28 PM (IST)
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बच्चों में Juvenile Rheumatoid Arthritis के लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस (Juvenile Rheumatoid Arthritis), जिसे जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस भी कहा जाता है, एक मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी एक सामान्य बीमारी है जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही सेल्स और टिशूज पर हमला करना शुरू कर देता है, जिससे जोड़ों में सूजन पैदा हो जाती है। ज्यादातर मामलों में बीमारी का कारण पता नहीं चलता है, लेकिन इसके पीछे कुछ जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक भी अहम भूमिका निभाते हैं। आइए फरीदाबाद, सर्वोदय हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्टर और हेड- पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स, पीडियाट्रिक्स, डॉ. सोमेश विरमानी से जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके।

जुवेनाइल अर्थराइटिस के लक्षण

जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस में एक या कई जोड़ प्रभावित हो सकते हैं। इसके लक्षणों में लगातार जोड़ों का दर्द, सूजन, खिंचाव और जोड़ों की संवेदनशीलता शामिल हैं, खासतौर से सुबह के समय, नींद के बाद या लंबे समय तक बैठने के बाद। सूजन के कारण त्वचा पर लाल/गुलाबी धब्बे, लगातार बुखार, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, छाती पर रैशेज, वजन कम होना, लंगड़ाना, कम मोटर स्किल्स और थकावट हो सकती है। इससे जुड़े लक्षणों की अनदेखी करने और वक्त पर इलाज न कराने पर आंखों में सूजन, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और अंधापन भी देखने को मिल सकता है।

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बच्चों में जुवेनाइल अर्थराइटिस के लक्षण कैसे कम करें?

जुवेनाइल अर्थराइटिस के इलाज का मकसद दर्द को कम करना, सूजन को घटाना, जोड़ों का मूवमेंट बढ़ाना और जोड़ों को नुकसान और समस्याओं से बचाना है। इलाज के उपायों के तौर पर इन चीजों का सहारा लिया जाता है।

1) एक्सरसाइज

लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज जरूरी हैं क्योंकि ये मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों का लचीलापन बनाए रखने में मदद करती हैं। एक्सरसाइज न करने पर इससे जुड़े लक्षण बिगड़ सकते हैं और जोड़ ज्यादा कठोर हो सकते हैं। इसके अलावा, वजन को बढ़ने से रोकने, नींद की गुणवत्ता को सुधारने और बच्चों में चिंता और चिड़चिड़ापन कम करने में भी मदद एक्सरसाइज काफी मददगार हो सकती है।

2) ठंडे/गर्म पैक का इस्तेमाल

जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से राहत पाने के लिए आप घर पर ही सिकाई का तरीका भी अपना सकते हैं। ठंडे/गर्म पैक से सिकाई या सुबह के वक्त गर्म पानी से नहाने दर्द को कम करने और सूजन को दूर करने में मदद मिल सकती है।  

3) बैलेंस डाइट

एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर डाइट भी जुवेनाइल अर्थराइटिस से पीड़ित बच्चों के लिए बेहद जरूरी है। डाइट में विटामिन डी, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और फाइबर की अच्छी मात्रा होनी चाहिए और चीनी की मात्रा बेहद कम होनी चाहिए। इसके साथ ही, बच्चों को ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज भी खिलाए जाने चाहिए। ज्यादा शुगरी आइटम्स को अवॉयड करना होगा, क्योंकि इससे सूजन बढ़ सकती है।

4) आराम भी जरूरी

जुवेनाइल अर्थराइटिस से पीड़ित बच्चों के लिए आराम भी काफी जरूरी है ताकि लक्षण बढ़े नहीं और थकावट कम हो। एक अच्छी नींद न सिर्फ दर्द को कम करने बल्कि स्ट्रेस को दूर करने में भी मदद करती है।

फिजिकल एक्टिविटीज

  • स्विमिंग: यह बच्चों के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज है जो मांसपेशियों की ताकत और जोड़ों की मूवमेंट को सुधारने में मदद करती है।
  • साइकिलिंग: यह एक लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज है जो मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और मोटर स्किल्स को सुधारने में मददगार है।
  • योग: यह समय के साथ दर्द को कम करने, लचीलापन बढ़ाने और तनाव को दूर करने में मदद करता है।
  • स्ट्रेचिंग: यह लचीलापन बढ़ाकर जोड़ों की मूवमेंट को सुधारता है।
  • मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने और जोड़ों को सहारा देने के लिए आइसोमेट्रिक और आइसोटोनिक एक्सरसाइज कर सकते हैं। आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज जैसे प्लैंक, स्क्वाट्स, वॉल सिट और लेग एक्सटेंशन जोड़ों को हिलाए बिना मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। आइसोटोनिक एक्सरसाइज में एरोबिक एक्सरसाइज, डांसिंग, स्विमिंग, चलना, धीरे-धीरे दौड़ना, हाइकिंग शामिल हैं।
अगर आपके बच्चे को जोड़ों में दर्द और सूजन है, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है। सही सलाह से बीमारी और इससे जुड़े लक्षणों को लेकर स्पष्टता मिलेगी और एक उचित उपचार की योजना तैयार हो जाएगी। इसके साथ ही माता-पिता को अपने बच्चे की दिनचर्या में कुछ अच्छी आदतों को भी शामिल करना चाहिए, जिससे जुवेनाइल अर्थराइटिस को मैनेज करने में मदद मिल सकेगी।

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