Kevin Jonas हुए Skin Cancer का शिकार, डॉक्टर्स से जानें किन लोगों में बढ़ जाता है इसका खतरा
Kevin Jonas ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने Skin Cancer के ऑपरेशन के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने सलाह दी कि आप भी अपने शरीर के हर मोल का समय समय पर निरीक्षण करें। इसलिए स्किन कैंसर का जल्द से जल्द पता कैसे लगाएं यह जानना बेहद जरूरी है। आइए डॉक्टर्स से जानें स्किन कैंसर के कारण (Skin Cancer Causes) लक्षण और कैसे लगाएं इसका पता।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Skin Cancer: हाल ही में निक जोनस के भाई Kevin Jonas ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए स्किन कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक रहने की सलाह दी। आपको बता दें कि हाल ही में वे स्किन कैंसर (Skin Cancer) से डायग्नोस हुए हैं, जिसके लिए उन्हें ऑपरेशन करवाना। अपने फैन्स को इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अपने शरीर पर होने वाले हर मोल और तिल की समय-समय पर जांच करते रहें।
उनकी यह बात काफी सही भी है। स्किन कैंसर का वक्त रहते पता लगाने से उसका इलाज करने में आसानी होती है और कैंसर को फैलने से भी रोका जा सकता है। इसलिए इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी होना काफी जरूरी है। इसलिए हमने इसके लक्षण (Skin Cancer Symptoms), बचाव (Skin Cancer Prevention) और किन बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर्स से बात की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या बताया।
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क्या है स्किन कैंसर?
स्किन कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा में असमान्य सेल्स बढ़ने लगते हैं। ये सेल्स सामान्य सेल्स से अधिक तेजी पर बढ़ते हैं, जिसके कारण आस-पास के टिश्यूज को नुकसान पहुंचने लगता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, साल 2020 में दुनियाभर में लगभग 15 लाख लोग स्किन कैंसर से डायग्नोस हुए थे और लगभग 1.2 लाख लोगों की इस कारण से मौत हुई। इसलिए इसका जल्द से जल्द पता लगाना काफी जरूरी होता है, क्योंकि स्किन कैंसक का जल्दी पता लगाकर इसका करना संभव है।(Picture Courtesy: Freepik)
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स्किन कैंसर के प्रकार
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, स्किन कैंसर के तीन मुख्य प्रकार हैं। बेसल सेल कार्सिनोमा- यह कैंसर त्वचा की सबसे बाहरी सतह के बेसल सेल्स में होता है। आमतौर पर यह सूरज की हानिकारक यूवी किरणों के कारण होता है और इसलिए ज्यादातर उसी भाग में होता है, जिसपर सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं, जैसे- चेहरा, होंठ का नीचला हिस्सा, बाजू आदि। इस कैंसर में त्वचा पर वैक्स जैसा बंप आ जाता है या कोई ऐसा घाव जो बार-बार होता रहता है और उससे ब्लीडिंग होती है। स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा- यह स्किन की बाहरी सतह के स्क्वेमस सेल्स में होता है। यह भी ज्यादातर सूरज की हानिकारक किरणों की वजह से होता है। यह भी ज्यादातर चेहरे या बाजू जैसे भागों में होता है, लेकिन यह बेसल सेल कार्सिनोमा से ज्यादा खतरनाक होता है। इस कैंसर में त्वचा पर लाल रंग का मोल या कोई घाव जिससे त्वचा क्रस्टी नजर आती है।मिलेनोमा- मिलेनोमा स्किन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है, जो मेलानिन बनाने वाले मिलेनोसाइट्स सेल्स में होता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसमें त्वचा पर कोई भूरे रंग का धब्बा, कोई ऐसा मोल, जो रंग और आकार बदलता हो या उसमें से रक्त स्त्राव होता हो, कोई ऐसा घाव, जिसका रंग गहरा हो या उसमें खुजली या जलन हो, जैसे लक्षण नजर आते हैं।स्किन कैंसर के लक्षण
स्किन कैंसर के लक्षणों के बारे में डॉ. राधिका रहेजा (रेडिकल स्किन और हेयर क्लीनिक, फरीदाबाद सेक्टर-17 की डर्माटोलॉजिस्ट और हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन) ने बताया कि स्किन कैंसर में कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं।- त्वचा पर कोई शाइनी और हल्का पारदर्शी बंप नजर आना। जिन लोगों का रंग हल्का होता है, उनकी त्वचा पर ये गुलाबी या सफेद रंग के बंप नजर आ सकते हैं। वहीं, जिनका रंग गहरा होता है, उन पर या भूरे या काले रंग का नजर आता है। इनकी त्वचा पर कुछ छोटे ब्लड वेसल्स भी नजर आते हैं।
- भूरे, काले या नीले रंग के घाव नजर आना। इन घावों में गहरे रंग के धब्बे और किनारे पर थोड़ा उभार नजर आ सकता है।
- त्वचा पर समतल और स्केली पैच आना। यह धीरे-धीरे आकार में बड़ा हो सकता है और इसके किनारे थोड़े उठे हुए नजर आते हैं।
- सफेद और वैक्स जैसा घाव होना। इसके किनारे ठीक से समझ में नहीं आते।
- कोई ऐसा मोल आना, जो रंग और आकार बदल रहा हो या उससे ब्लीडिंग होती हो।
- कोई ऐसा घाव जो बार-बार लौट आता हो या ठीक ही न हो।
स्किन कैंसर के कारण
- इस बारे में डॉ. रहेजा ने बताया कि स्किन कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम वजह है सूरज की यूवी किरणों की वजह से त्वचा की सेल्स के DNA में बदलाव होना। रेडिएशन और सनबर्न की वजह से इसका खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
- जिन लोगों का रंग हल्का होता है, उनमें स्किन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। साथ ही, आंखों और बालों का रंग हल्का होने की वजह से भी स्किन कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
- उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्किन कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि बढ़ती उम्र में इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है।
- जेनेटिक कारणों से भी स्किन कैंसर का खतरा रहता है।
- HIV संक्रमण या ऑर्गन ट्रांसप्लांट की वजह से भी स्किन कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है।
किन बातों को अनदेखा करना पड़ सकता है भारी?
स्किन कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। इस बारे में बात करते हुए डॉ. रमन नारंग (एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल के वरिष्ठ मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट कंसल्टेंट) ने बताया कि स्किन कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए ABCDE गाइडलाइन को फॉलो करना जरूरी है। इस गाइडलाइन के मुताबिक, किसी भी नए या पुराने मोल को ध्यान से परखें और इन बातों का पता लगाने की कोशिश करें-- A यानी एसिमेट्री (Asymmetry)। इसका मतलब है कि किसी मोल या तिल का आकार हर तरफ से एक जैसा न होना।
- B यानी बॉर्डर (Border)। इसका मतलब है कि किसी घाव या मोल का बॉर्डर धुंधला-सा है या एक जैसा नहीं है।
- C यानी कलर (Colour)। इसका मतलब है कि मोल का रंग बदलता रहता है या शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर मोल का रंग अलग-अलग होता है।
- D यानी डायमीटर (Diameter)। मेलानोमा का आकार 6 से.मी. से ज्यादा है, तो वह स्किन कैंसर हो सकता है।
- E यानी इवॉल्यूशन (Evolution)। इसका मतलब है कि कोई मोल या तिल अपना आकार बदल रहा है या उसका रंग बदल रहा है।
कैसे करें स्किन कैंसर से बचाव?
- स्किन कैंसर के बचाव के लिए जरूरी है कि SPF 30 या 50 का इस्तेमाल करें और शरीर के हर उस भाग पर लगाएं, जो सीधे धूप की रोशनी में एक्सपोज हो रहा हो। साथ ही, हर 2-4 घंटे पर दोबारा सनस्क्रीन लगाते रहें।
- दिन में 10 से 4 बजे के बीच धूप से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इस समय सबसे अधिक यूवी किरणें निकलती हैं।
- धूप में निकलते समय पूरी बाजू के कपड़े पहनकर निकलें और टोपी, छाता व धूप के चश्मों का इस्तेमाल करें।
- टैनिंग बेड या स्प्रे ऑन टैनिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें।
- होठों पर SPF वाले लिप बाम का इस्तेमाल करें।
- अपने शरीर पर पहले से मौजूद मोल्स या किसी नए मोल को चेक करते रहें। इसके लिए ABCDE गाइडलाइन का इस्तेमाल करें।