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Heart Disease के लिए कई बातें हो सकती हैं जिम्मेदार, समझें किन वजहों से बढ़ जाता है खतरा

हार्ट डिजीज (Heart Disease) के बढ़ते मामलों को देखते हुए सावधान हो जाने में ही भलाई है। इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors for Heart Disease) होते हैं जो दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देते हैं। इनके बारे में जानकारी होना जरूरी है ताकि इनसे अपना बचाव किया जा सके। इस आर्टिकल में हम इन्हीं रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानेंगे।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 02 Sep 2024 11:35 AM (IST)
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दिल की बीमारी का खतरा कम कैसे करें? (Picture Courtesy: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल की बीमारी (Heart Disease) दुनिया भर में सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। हर साल हार्ट डिजीज के कारण लाखों लोगों की जान जाती है। हाल ही में हार्ट अटैक के कई मामले सामने आ रहे थे, जिनमें ज्यादातर युवा शामिल थे। इसके लिए कई लोग कोविड -19 को जिम्मेदार मान रहे थे, लेकिन इसके पीछे और भी फैक्टर्स हो सकते हैं। क्या आप जानते हैं कि दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors for Heart Disease) के बारे में? इस आर्टिकल में, हम इन्हीं के बारे में जानेंगे, ताकि हार्ट डिजीज से बचाव करने में मदद मिल सके।

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हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?

जेनेटिक्स

दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर्स में से एक जेनेटिक्स भी है। यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी है, तो आपके भी जोखिम बढ़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुछ जीन्स दिल की बीमारी के लिए ज्यादा संवेदनशील बना सकते हैं।

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उम्र

आयु भी एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, दिल की बीमारी का जोखिम भी बढ़ता जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि उम्र के साथ आपकी आर्टरीज सख्त हो सकती हैं और प्लेग या ब्लड क्लॉट जमा हो सकता है, जिससे ब्लड फ्लो कम हो जाता है।

लिंग

पुरुषों को दिल की बीमारी होने का अधिक खतरा होता है, विशेषकर 45 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट डिजीज का खतरा इसलिए कम रहता है, क्योंकि एस्ट्रोजेन हार्मोन हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है और मेनोपॉज से पहले तक ये हार्मोन महिलाओं में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। हालांकि, महिलाओं को भी दिल की बीमारी हो सकती है, लेकिन ये रिस्क मेनोपॉज के बाद ज्यादा बढ़ जाता है

स्मोकिंग

स्मोकिंग दिल की बीमारी का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर है। स्मोक करने से आपकी आर्टरीज सख्त बनने लगती हैं, जिससे ब्लड फ्लो कम हो जाता है। यह आपके ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकता है और आपके ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा सकता है।

अनहेल्दी डाइट

अनहेल्दी डाइट दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है। ज्यादा फैट, हाई कोलेस्ट्रॉल, और सोडियम वाली डाइट आपकी धमनियों को सख्त बना सकती है और आपके ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकती है।

सुस्त जीवनशैली

फिजिकल एक्टिविटी न करने के कारण भी दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ता है। रोज एक्सरसाइज करने से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है, कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है और आपके वजन को भी मैनेज करने में मदद मिलती है।

मोटापा

मोटापा दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। ज्यादा वजन होने से आपके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है।

तनाव

तनाव दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। जब आप तनावग्रस्त होते हैं, तो आपका शरीर अधिक कोर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन करता है। कोर्टिसोल आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है और आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है।

डायबिटीज

डायबिटीज दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। जब आपका ब्लड शुगर का लेवल हाई होता है, तो यह आपकी धमनियों को सख्त बना सकता है और आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर आपके आर्टरीज पर दबाव डालता है, जिससे वे सख्त हो सकती हैं और प्लेग जमा हो सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल

हाई कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल आपके आर्टरीज में प्लेग जमा कर सकता है, जिससे ब्लड फ्लो कम हो जाता है।

हार्ट डिजीज के रिस्क को कम करने के लिए क्या करें?

  • हेल्दी खाना खाएं।
  • रोज एक्सरसाइज करें।
  • स्मोकिंग न करें।
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकें सीखें।
  • अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित जांच करवाएं।
  • अगर परिवार में किसी को दिल की बीमारी है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।