घुटनों के दर्द ने कर दिया है जीना दूभर, तो डॉक्टर से समझें कब Knee Replacement Surgery को चुनना ही है बेस्ट विकल्प
घुटनों का दर्द अनदेखा करना काफी भारी पड़ सकता है। अगर यह ज्यादा बढ़ जाए तो कई बार इनकी सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है। हालांकि Knee Replacement Surgery करवाने से पहले कुछ लक्षणों पर गौर करना चाहिए इसके बाद ही इस फैसले को लेने में भलाई है। आइए डॉक्टर से जानें कब Knee Replacement Surgery एकमात्र विकल्प बन जाती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Knee Replacement Surgery: हर साल 4 अगस्त को नेशनल बोन एंड जॉइंट डे मनाया जाता है। इस दिन हड्डियों और जोड़ों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक बनाया जाता है। हालांकि, हमारी आजकल की खराब लाइफस्टाइल की वजह से कमजोर हड्डियां और जोड़ों में दर्द की समस्या कम उम्र में ही शुरू हो जाती है। इसमें घुटनों का दर्द बेहद आम है, जिससे अक्सर बढ़ती उम्र के साथ लोग परेशान रहते हैं। ऐसे में कई बार समस्या इस हद तक भी पहुंच जाती है कि घुटनों की सर्जरी करवानी पड़ती है। इसे Knee Replacement Surgery कहा जाता है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आपको कब इस सर्जरी के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
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डॉ. गुरिंदर बेदी (फॉर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख निदेशक) बताते हैं कि अब घुटने की पूरी रिप्लेसमेंट सर्जरी भी मुमकिन है। दुनियाभर मेंं लाखों लोग इसका फायदा ले रहे हैं और घुटनों के दर्द से छुटकारा पाकर एक बेहतर जीवन जी रहे हैं। हालांकि, Knee Replacement Surgery करवाने की जरूरत हर व्यक्ति को नहीं है। जब आपको कुछ खास लक्षण नजर आने लग जाएं, तभी आपको अपने डॉक्टर से बातचीत करके ही Knee Replacement Surgery का विकल्प चुनना चाहिए।
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कब करवानी चाहिए Knee Replacement Surgery?
- कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करते समय घुटनों में तेज दर्द होना।
- घुटनों में दर्द की वजह से रोजमर्रा के काम, जैसे- नहाना, कपड़े बदलना, कार में बैठने या उतने में तकलीफ होना।
- घुटनों के दर्द के लिए फिजियोथेरेपी, इंजेक्शन, ब्रेसेज और सप्लीमेंट्स जैसे इलाज से भी आराम न मिलना।
- घर से बाहर जाकर सामान लाने, सीढ़ियों पर चढ़ने जैसे छोटे-छोटे कामों में भी तकलीफ होना।
- घुटनों के दर्द से राहत पाने के लिए अक्सर पेन किलर लेना।
- संतुलन न बना पाना।
- दर्द की वजह से सोने में तकलीफ।
वहीं, प्रिस्टिन केयर एंड क्योर माई नी के चीफ आर्थोपेडिक सर्जन, डॉ. डीके दास बताते हैं:
- घुटनों में अकड़न की वजह से रोजमर्रा के काम जैसे चलना, सीढ़ियां उतरना, यहां तक कि बैठने या खड़े रहने पर भी तेज दर्द होना, भी सर्जरी की जरूरत की ओर इशारा करते हैं।
- आराम करते वक्त भी दर्द का रहना, फिर चाहे दिन हो या रात। इस दर्द की वजह से मरीज की रात की नींद खराब होती है और जिंदगी जीना मुश्किल होता चला जाता है।
- अगर घुटनों में दर्द और सूजन लगातार बनी रहती है, और आराम या दवाइयों के बावजूद ठीक नहीं होता, तो इसका मतलब है कि जोड़ों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा है और अब सर्जरी की जरूरत बढ़ चुकी है।
- घुटनों के जोड़ कमजोर होने की वजह से पैर भी बो-शेप (bow shape) के होने लगते हैं। जिससे कंडीशन लगातार खराब होती चली जाती है। ऐसे में सर्जरी की मदद से इसे ठीक करना है एक विकल्प रह जाता है।
- सर्जरी से पहले कई दूसरे ट्रीटमेंट की मदद ली जाती है, जैसे फिजिकल थेरेपी, दवाइयां, इंजेक्शन और लाइफस्टाइल में बदलाव आदि। अगर इससे भी दर्द में आराम या बदलाव नहीं होता है, तो नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी का ही ऑप्शन रह जाता है।