IVF Myths vs Facts: क्या प्रेग्नेंसी की गारंटी देता है आईवीएफ? जानें इससे जुड़े कुछ मिथक और उनके सच
IVF Myths vs Facts इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव हो रहा है। ऐसे में इन बदलावों की वजह से लोग कई तरह की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। इनफर्टिलिटी इन्हीं में से एक है जिससे इन दिनों कई सारे लोग परेशान हैं। इसकी वजह से कई सारे लोग माता-पिता बनने का सपना अधूरा रह जाता है। ऐसे लोगों के लिए आईवीएफ बढ़िया विकल्प है।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Tue, 19 Sep 2023 05:29 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। IVF Myths vs Facts: इन दिनों कई सारी वजहों से लोगों की सेहत प्रभावित होने लगी है। लोग इन दिनों कई समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। एक तरफ जहां बीपी, डायबिटीज जैसी समस्याएं लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आजकल इनफर्टिलिटी भी एक आम समस्या बनी हुई है। तेजी से बदल रही जीवनशैली की वजह से इन दिनों कई लोग इस समस्या का सामना करना पड़ता है,जिसकी वजह से अक्सर कपल्स के लिए माता-पिता बन पाना मुश्किल होता है।
ऐसे में पेरेंट्स बनने की उम्मीद खो चुके कपल्स के लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं है। यह ऐसे लोगों के लिए एक बेहद फायदेमंद और कारगर तकनीक है, जो माता-पिता बनने की उम्मीद छोड़ चुके हैं। हालांकि, भारत में आज भी इस तकनीक को लेकर सही जानकारी की कमी है, जिसकी वजह से कई सारे लोग आज भी इसका लाभ पाने वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा इससे जुड़ी कई ऐसी अफवाहें भी हमारे यहां मौजूद हैं, जो लोगों के मन इस तकनीक को लेकर गलत धारणाएं भर रही हैं।
आईवीएफ से जुड़े इन्हीं मिथकों और इसके तथ्यों के बारे में जानने के लिए हमने जयपुर के बिड़ला फर्टिलिटी और आईवीएफ में सलाहकार डॉ. प्रियंका यादव और गुरुग्राम के पारस हेल्थ में प्रसूति, स्त्री रोग और एआरटी के सलाहकार डॉ. मनप्रीत सोढ़ी से बात की।
क्या है आईवीएफ?
इसे प्रोसेस के बारे में बताते हुए डॉ प्रियंका कहती हैं कि आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन गर्भधारण यानी कंसीव करने की एक तकनीक है। यह उन लोगों के लिए एक विकल्प है, जो इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं या प्राकृतिक तरीकों से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिला के मैच्योर अंडों को निकालकर लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है।
बाद में जब यह फर्टिलाइज एग भ्रूण में बन जाता है, तो इसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है और इसके बाद प्राकृतिक तरीके से महिला 9 महीने बाद बच्चे को जम्न देती है। अब जानते हैं इससे जुड़े कुछ मिथक और उनके तथ्य-
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