छोटे बच्चे ज्यादा होते हैं ऐस्ट्राफोबिया के शिकार, जानें-इसके लक्षण और बचाव के उपाय
अगर मौसम कुछ घंटों तक खराब रहता है तो व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति भी खराब होने लगती है। व्यक्ति डर से चीखने और चिल्लाने लगता है। जबकि कई मौकों पर रोने भी लगता है।
By Umanath SinghEdited By: Updated: Fri, 17 Jul 2020 06:41 PM (IST)
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। ऐस्ट्राफोबिया एक मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति आकाशीय बिजली की चमक, बादल की गरज और आंधी तूफान से डरने लगता है। इस दौरान वह अजीब हरकतें करने लगता है। मानो उसके साथ कुछ बुरा हो रहा है। इससे वह बचने की कोशिश करता है। कई बार तो व्यक्ति खुद को कमरे में बंद कर लेता है और अपने कानों को उंगली से बंद कर लेता है।
अगर मौसम कुछ घंटों तक खराब रहता है तो व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति भी खराब होने लगती है। व्यक्ति डर से चीखने और चिल्लाने लगता है। जबकि कई मौकों पर रोने भी लगता है। डर से उस व्यक्ति का पूरा बदन कांपता रहता है। आमतौर पर यह बीमारी बच्चों में अधिक होती है। अगर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह अवसाद का रूप ले लेता है। आइए, ऐस्ट्राफोबिया के बारे में विस्तार से जानते हैं- ऐस्ट्राफोबिया क्या है
यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें ऐस्ट्रा अर्थात आकाशीय बिजली की चमक और फोबिया अर्थात डर है। इस बीमारी में बच्चे और बड़े आकाशीय घटना से डरते हैं। बच्चे तो जोर-जोर से चीखने और रोने लगते हैं।
ऐस्ट्राफोबिया के लक्षण
पसीना आना, थरथराना, चीखना, रोना, चक्कर आना, डरा हुआ महसूस करना, हृदयगति तेज़ चलना आदि है। अगर व्यक्ति अकेला है तो यह काफी खतरनाक हो जाता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति उस जगह पर छिप जाता है, जहां वह खुद को सुरक्षित महसूस करता है। कई बार व्यक्ति बिस्तर में छिप जाता है। ऐस्ट्राफोबिया के उपचार इसके लिए मनोविज्ञान का सहारा लेना पड़ सकता है। चूंकि यह एक अवसाद रोग है। इसलिए ऐस्ट्राफोबिया का उपचार मनोवैज्ञानिक ही करते हैं। इसका इलाज कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए किया जाता है। इस थेरेपी में व्यक्ति को आकाशीय घटना के समय कैसा लगता है और उसे उस समय क्या करना चाहिए। इस बारे में बताया जाता है। कठिन अभ्यास के बाद इस फोबिया से मुक्ति मिल जाती है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।