जानें, क्यों आयुर्वेद में केले के पत्ते पर खाने की दी जाती है सलाह
एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्म चीजों को प्लास्टिक युक्त बर्तनों में परोसने से प्लास्टिक के अंश खाने में मिल जाते हैं। लंबे अंतराल तक प्लास्टिक की बर्तनों में खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं केले के पत्ते में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Updated: Fri, 17 Sep 2021 09:30 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। सनातन धर्म में चिर काल से केले के पत्ते पर खाने की परंपरा है। वर्तमान समय में भी लोग केले के पत्ते पर खाते हैं। खासकर दक्षिण भारत में इसका प्रचलन अधिक है। धार्मिक ग्रंथों की मानें केले के पौधे में भगवान श्रीहरि विष्णु का वास होता है। इसके लिए केले के पौधे की पूजा की जाती है। खासकर गुरुवार को केले के पौधे की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से गुरु मजबूत होता है। विज्ञान ने भी माना है कि केले के पत्ते पर खाना स्वास्थप्रद है। आयुर्वेद में भी केले के पत्ते पर खाने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद जानकारों की मानें तो सही तरीके से बैठकर खाने से रक्त संचार सही से होता है। साथ ही शरीर का पॉश्चर सही से रहता है। इसके लिए हमेशा ज़मीन पर बैठकर केले के पत्ते पर खाने की कोशिश करनी चाहिए। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
पाचन तंत्र सक्रिय होता है कई शोधकर्ताओं का कहना है कि केले के पत्ते पर भोजन ग्रहण करने से भोजन का पाचन सुव्यवस्थित तरीके से होता है। इससे पाचन क्रिया में भी तेजी आती है। इसके लिए आयुर्वेद में केले के पत्ते पर खाने की सलाह दी जाती है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
केले के पत्ते पर भोजन करना त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो केले के पत्ते में क्लोरोफिल मौजूद होते हैं, जो त्वचा के लिए वरदान साबित होते हैं। इससे त्वचा में निखार आता है।
सेहत के लिए वरदान एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्म चीजों को प्लास्टिक युक्त बर्तनों में परोसने से प्लास्टिक के अंश खाने में मिल जाते हैं। लंबे अंतराल तक प्लास्टिक की बर्तनों में खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, केले के पत्ते में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। वहीं, केले के पत्ते पर खाने से सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।