सिर्फ आलस या सुस्ती ही नहीं Cancer का कारण भी बनती है नींद की कमी, डॉक्टर ने बताया दोनों में कनेक्शन
हेल्दी रहने के लिए जैसे अच्छा खानपान और एक्सरसाइज जरूरी है उसी तरह अच्छी नींद भी बेहद जरूरी है। नींद की कमी हमें कई समस्याओं का शिकार बना सकती हैं। इसकी वजह से न सिर्फ मोटापा बढ़ता बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी बढ़ता है। ऐसे में Cancer और नींद की कमी के बीच का कनेक्शन जानने के लिए हमने डॉक्टर बातचीत की।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अच्छी नींद (Good Sleep) एक स्वस्थ जीवनशैली का अहम हिस्सा होती है। अच्छी नींद पूरी न हो तो पूरा दिन आलस और बेचैनी से भरा बीतता है। एक-दो दिन तक तो ये ठीक है, लेकिन जब तनाव और अनिद्रा के कारण इनसोम्निया जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, तो आगे चल कर लंबे समय में ये कैंसर (Cancer) का रूप भी ले सकती हैं। ऐसा सिर्फ हम बल्कि खुद एक्सपर्ट भी कहते हैं। दरअसल, सोते समय मेलाटोनिन हार्मोन एक्टिव हो जाता है, जो हमारी सर्केडियन साइकिल को नियंत्रित करता है।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि स्टडी में पाया गया है कि शरीर में मेलाटोनिन लेवल और कई प्रकार के कैंसर जैसे कोलोरेक्टल, प्रॉस्टेट, ब्रेस्ट, गैस्ट्रिक, ओवेरियन, लंग और ओरल कैंसर के बीच एक सीधा लिंक है। ऐसे में इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने शारदा हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा में ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ.अनिल ठाकवानी बात की।यह भी पढ़ें- क्या पुरानी चोट बन सकती है Bone Cancer का कारण? एक्सपर्ट से जानें कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब
क्या है नींद और कैंसर का लिंक?
डॉक्टर बताते हैं कि रात में सूरज डूबने के बाद अंधेरे के साथ मेलाटोनिन का प्रोडक्शन ट्रिगर होता है। ये सोने का सामान्य समय होता है, लेकिन इस दौरान पर्याप्त मात्रा में नींद न लेने के कारण शरीर मेलाटोनिन बनाने में असमर्थ रहता है, जिससे कई प्रकार के कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इसलिए नाइट शिफ्ट की जॉब करने वालों में भी कैंसर का खतरा बढ़ा हुआ रहता है।
मेलाटोनिन कैसे रोकता है कैंसर?
मेलाटोनिन ब्रेन में बनने वाला एक हार्मोन है। इसका प्रोडक्शन दिन के समय पर निर्भर करता है। अंधेरे में ये बढ़ जाता है और दिन की रोशनी में इसका प्रोडक्शन घट जाता है। इस मेलाटोनिन हार्मोन के कई एंटी-कैंसर प्रभाव होते हैं। ये कैंसर की सेल्स को नष्ट करते हैं, इम्यून रिस्पॉन्स को एक्टिव करते हैं, जिससे कैंसर के बढ़ने की और साथ ही इसके मेटास्टेसिस यानी शरीर में फैलने की क्षमता कम होती है। ये DNA रिपेयर जीन्स को भी सक्रिय करता है। कैंसर के दौरान होने वाले जेनेटिक म्यूटेशन के कारण DNA को रिपेयर करने की क्षमता खत्म हो जाती है। मेलाटोनिन इसी रिपेयर में मदद करता है, जिससे कैंसर बढ़ने से रुक जाए।कैसे बनाएं रखें शरीर में मेलाटोनिन की सही मात्रा?
मेलाटोनिन का लेवल सही बना रहे इसके लिए जरूरी है कि आप अपना स्लीपिंग पैटर्न बढ़िया रखें। इसके लिए अपने शरीर की सिर्केडियन साइकिल के अनुसार चलाएं। कमरे में सोने का अच्छा माहौल बनाएं, क्योंकि नींद की क्वांटिटी के साथ इसकी क्वालिटी भी बहुत मायने रखती है। कमरे को शांत, कम रोशनी वाला, ठंडा और रिलैक्सिंग बना कर रखें।सोने का औसत तापमान जगह के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, इसलिए अपने अनुसार कमरे का तापमान सेट करें। 8 से 10 घंटे की नींद का टारगेट रखें। सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे निकलने वाली ब्लू लाइट भी आंखों को नुकसान पहुंचाने के साथ मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को भी अपसेट करता है।
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