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एक्सपर्ट से जानें क्या है एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी, इसके लक्षण, बचाव एवं उपचार के साथ अन्य जरूरी बातें

कंसीव करने के बाद भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से यूट्रस तक नहीं पहुंच पाता और वह वहीं विकसित होने लगता है तो ऐसी स्थिति शारीरिक स्थिति को ट्यूबल या एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। जानेंगे यह स्थिति कितनी खतरनाक है और क्या इससे बचाव है संभव?

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:00 AM (IST)
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खूबसूरत महिला हाथों से पिंक बैलून दिखाती हुई
गर्भावस्था के दौरान कई बार स्त्रियों को कुछ जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी भी उन्हीं में से एक है। क्यों होता है ऐसा और इसका क्या है उपचार, जानते हैं एक्सपर्ट के साथ।

एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी है क्या?

सामान्य अवस्था में जब स्त्री की ओवरी से एग्स निकलते हैं तो पहले वे फैलोपियन ट्यूब में जाते हैं। फिर उसके भीरत ही स्पर्म द्वारा निषेचित हो जाते हैं, उसके बाद वह भ्रूण गर्भाशय में आकर स्थापित हो जाता है। इस तरह गर्भाशय की प्रक्रिया पूरी होती है। फिर अगले 9 महीनों तक भ्रूण वहीं विकसित होता है। अगर कभी किसी कारणवश कंसीव करने के बाद भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से यूट्रस तक नहीं पहुंच पाता और वह वहीं विकसित होने लगता है तो ऐसी स्थिति शारीरिक स्थिति को ट्यूबल या एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं।

इसके प्रमुख लक्षण क्या हैं?

आमतौर पर इसके लक्षण प्रेग्नेंसी जैसे ही होते हैं। इसके अलावा हल्की ब्लीडिंग, नॉज़िया, वॉमिटिंग, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, पेट के निचले हिस्से में एंठन भरा दर्द, फैलोपियन ट्यूब के क्षतिग्रस्त होने पर ज्यादा ब्लीडिंग और तेज दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

इसका उपचार कैसे किया जाता है?

एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी का एकमात्र उपचार भ्रूण को फैलोपियन ट्यूब से बाहर निकालना होता है। इसके लिए दवा, इंजेक्शन या सर्जरी की मदद ली जाती है। दवा केवल शुरुआती दौर में ही मददगार होती है। फैलोपियन ट्यूब के क्षतिग्रस्त होने के बाद ब्लीडिंग को रोकने के लिए तत्काल सर्जरी करना जरूरी हो जाता है। कुछ मामलों में ट्यूब के क्षतिग्रस्त होने पर उसे निकालना ही एकमात्र रास्ता बचता है। लैप्रोस्कोपी के जरिए यह काम आसानी से किया जा सकता है।

क्या इससे बचाव संभव है?

यह समस्या फैलोपियन ट्यूब के अंदर होती है। इसलिए उसका स्वस्थ होना जरूरी है। सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिजीज़ की वजह से ट्यूब क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। असुरक्षित यौन संबंध से ऐसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए सुरक्षित /यौन संबंधों के प्रति जागरूक होना जरूरी है। इससे जहां एक ओर यौन संचारित रोगों से बचाव होगा, वहीं दूसरी ओर इससे एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी की आशंका को भी काफी हद तक दूर किया जा सकता है।

उपचार के बाद किसी स्त्री को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

फॉलोअप के लिए नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।

(डॉ. अनीता गुप्ता, एसोसिएट डायरेक्टर, गायनेकोलॉजिस्ट, फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल, दिल्ली से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik

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