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Lower Cancer Risk: कैंसर के ख़तरे को कम कर सकती हैं ये दो तरह की एक्सरसाइज़

Lower Cancer Risk हर तरह के कैंसर का नाम आमतौर पर उन कोशिकाओं के नाम पर रखा जाता है जिनमें यह विकसित होता है और यह बीमारी दुनिया में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। ऐसे में ये दो एक्सरसाइज़ इस जोखिम को कम कर सकती हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Sat, 14 Aug 2021 09:25 AM (IST)
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कैंसर के ख़तरे को कम कर सकती हैं ये दो तरह की एक्सरसाइज़
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Cancer Risk: कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं है, बल्कि ये कई तरह की बीमारियों से मिलकर बनता है। मयो क्लिनिक ने हाल ही में ट्वीट कर कहा कि कैंसर का मतलब है बड़ी संख्या में बीमारियां, जो असामान्य कोशिकाओं के विकास से होती हैं और अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं। कैंसर अक्सर एक छोटे से ट्यूमर की शुरू होता है, लेकिन शरीर के सामान्य ऊतकों (मेटास्टेसिस) में घुसकर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखता है - जिससे उपचार बहुत मुश्किल हो जाता है।

हर तरह के कैंसर का नाम आमतौर पर उन कोशिकाओं के नाम पर रखा जाता है, जिनमें यह विकसित होता है और यह बीमारी दुनिया में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। लेकिन समय के साथ कैंसर की जांच, उपचार और बचाव में सुधार हुआ है, जिससे कई तरह के कैंसर से अब मौत का डर कम हुआ है।

दो तरह की एक्सरसाइज़ जो कम कर सकती हैं कैंसर का जोखिम:

शोधकर्ताओं का मानना है कि स्ट्रेंथनिंग ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज़: इन दो तरह की एक्सरसाइज़ को अगर रोज़ाना किया जाए, तो Express.co.uk की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर के मरीज जानलेवा बीमारी से मरने के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं।

एरोबिक एक्सरसाइज़: इस तरह की शारीरिक गतिविधि ऑक्सीजन को अवशोषित करने और शरीर के हर अंग तक पहुंचाने के कार्य में सुधार करती है, इस तरह हमारे हृदय प्रणाली में भी सुधार होता है। जब हम कार्डियोवस्कुलर एंगेजमेंट के साथ गतिविधियां करते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से हृदय रोग के विकास के हमारे जोखिम को कम करता है क्योंकि हमारे हृदय की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, और बदले में, हमारा ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बेहतर बनता है। इससे न सिर्फ शरीर को बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचता है। एरोबिक एक्सरसाइज़ वज़न को कंट्रोल कर मोटापे के जोखिम को कम करती है, जो कैंसर का बड़ा कारण भी है। इससे नींद भी बेहतर होती है, शरीर में ऊर्जा बढ़ती है, एंडोरफिन्स को बढ़ावा मिलता है और आत्म-विश्वास बेहतर होता है।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन भी प्रति सप्ताह 2-3 बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने की सलाह देता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग न सिर्फ आपकी मांसपेशियों को टोन करता है, बल्कि आपकी हड्डियों की डेंसिटी में भी सुधार करता है, पॉश्चर बेहतर करता है और गतिशीलता को बढ़ाता है और आपके दिल को मज़बूत बनाता है।

नियमित शारीरिक गतिविधि भी हमारी प्रतिरक्षा और लिम्फेटिक प्रणाली को मज़बूत करती है। प्रतिरक्षा प्रणाली लड़ाकू कोशिकाओं से बनी होती है जो संक्रमण और कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती हैं। लिम्फेटिक तंत्र शरीर से विषाक्त पदार्थों और कचरे को बाहर निकालने में मदद करता है और WBCs को उन अंगों तक ले जाता है जहां उनकी सबसे ज़्यादा जरू़रत होती है।

वर्कआउट से मिलती है कैंसर की शुरुआत को दूर करने में मदद

साओ पाउलो के मेडिकल स्कूल के फेड्रल विश्वविद्यालय में निवारक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. लिएंड्रो रेज़ेंडे ने बताया, कि "शारीरिक गतिविधि कई तरह के कैंसर के कम जोखिम से जुड़ी हुई है, लेकिन यह साफ नहीं था कि किस तरह की एक्सरसाइज़ असल में सर्वोत्तम परिणाम दे सकती हैं।

रेज़ेंडे और उनकी टीम ने 12 शोध किए, जिसमें 6 से 25 साल की उम्र के 1.3 मिलियन लोग शामिल थे। उन्होंने बताया," हमारे अध्ययन में, हमें इस बात के प्रमाण मिले कि मांसपेशियों की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग न सिर्फ कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर को कम कर सकती है, बल्कि अगर इसके साथ चलने, दौड़ने, तैरने और साइकिल चलाने जैसी एरोबिक गतिविधियां भी की जाएं, तो बेहतर प्रभाव पड़ता है।

आप इस तरह करें शुरुआत:

अपने लाइफस्टाइल में चलना, भागना, तैराकी और साइक्लिंग जैसी गतिविधियों को शामिल करें। इसके साथ स्क्वैट्स, रोइंग, प्लांक और वेट ट्रेनिंग भी शुरू करें। WHO के मुताबिक, सभी को सप्ताह में 150-180 मिनट तक वर्कआउट करना चाहिए।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।