वक्त पर Blood Cancer का पता लगाकर बचा सकते हैं बच्चों की जान, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें इसकी पहचान
ल्यूकेमिया बोन मैरो और ब्लड में होने वाला एक कैंसर है जो बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। वक्त पर इसका इलाज न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए बच्चों में दिखने वाले इसके शुरुआती लक्षणों की पहचानकर इसका बेहतर इलाज किया जा सकता है। जानें एक्सपर्ट से कि कैसे शुरुआती स्टेज में इसका पता लगाया जा सकता है।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Fri, 16 Feb 2024 12:03 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Lukemia in Children: कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। सेल्स में बदलाव होने की वजह से, वे काफी तेजी से बढ़ने लगते हैं और ट्यूमर में तबदील हो जाते हैं, जो शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। वयस्कों की तरह बच्चों को भी कैंसर हो सकता है, लेकिन इसका कारण क्या है, यह पता नहीं चल पाया है।
बचपन और किशोरावस्था में होने वाले कैंसर को चाइल्डहुड कैंसर कहा जाता है। बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर में एक ल्यूकेमिया है, जिसे Blood Cancer भी कहा जाता है। इस बीमारी का जल्द से जल्द कैसे पता लगाया जा सकता है इस बारे में जानने के लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के प्रधान निदेशक एवं प्रमुख, बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी, बाल चिकित्सा हेमेटो ऑन्कोलॉजी एवं बीएमटी, डॉ. विकास दुआ से बात-चीत की। आइए जानते हैं, इस बारे में उनका क्या कहना है।
ल्यूकेमिया के बारे में बताते हुए डॉ. दुआ ने बताया कि यह अस्थी मज्जा (बोन मैरो) और ब्लड में होने वाला कैंसर हैं, जो बच्चों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। इसलिए इस कैंसर के बेहतर इलाज और परिणाम के लिए जल्द से जल्द से इसका पता लगाना बेहद आवश्यक है। ल्यूकेमिया का शुरुआती चरण में पता लगाने के लिए माता-पिता या केयरगिवर्स के पास, इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है।
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क्या हैं इसके लक्षण?
बच्चों में ल्यूकेमिया के शुरुआती लक्षणों में, बिना किसी कारण के बार-बार थकान महसूस करना, अक्सर इन्फेक्शन का शिकार होना, आसानी से नील पड़ना या ब्लीडिंग होना, जोड़ों या हड्डियों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन और अकारण वजन कम होना शामिल हैं। बच्चों में इनमें से एक या एक से अधिक लक्षण नजर आना, किसी अन्य बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं, लेकिन अगर ये लक्षण लगातार बने रहें या स्थिति बिगड़ने लगे, तो डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।कैसे लगा सकते हैं ल्यूकेमिया का पता?
ल्यूकेमिया का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग काफी महत्वपूर्ण हैं। बच्चों में ऐसी गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ अक्सर बच्चों के वार्षिक शारीरिक परीक्षण के दौरान उनका ब्लड टेस्ट करते हैं, जिसमें रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स आदि में कोई असामनता तो नहीं है, इस पर ध्यान दिया जाता है। इनकी असामान्य मात्रा यानी व्हाइट ब्लड सेल्स की अधिक मात्रा, रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की मात्रा कम होना ल्यूकेमिया की ओर संकेत करती है।
शारीरिक बदलावों के साथ-साथ माता-पिता को बच्चों में होने वाले भावनात्मक बदलावों पर भी ध्यान देना चाहिए। बच्चे द्वारा बार-बार दर्द या थकान की शिकायत, भूख में बदलाव या शरीर में पीलापन नजर आने पर, किसी बाल विशेषज्ञ से संपर्क करना सबसे बेहतर विकल्प होता है। अपने पारिवारिक मेडिकल इतिहास के बारे में जानकारी होना भी काफी महत्वपूर्ण होता है। परिवार में किसी नजदीकी रिश्तेदार को कैंसर होना, बच्चों में इसके खतरे को बढ़ा देता है। जेनेटिक कारणों से ल्यूकेमिया का खतरा बच्चों में अधिक रहता है। इसलिए अपने परिवार के मेडिकल इतिहास के बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि बच्चे में मौजूद इसके रिस्क फैक्टर्स का बेहतर तरीके से मूल्यांकन हो पाए।