सिर्फ महिलाओं को ही नहीं पुरुषों को भी होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण और कारण
Postpartum Depression प्रेग्नेंसी न सिर्फ एक महिला बल्कि पुरुष के जीवन में भी कई सारे बदलाव लेकर आती है। माता-पिता बनना जीवन का एक बेहद सुखद और अहम पड़ाव होता है। इस दौरान जिम्मेदारियों के साथ ही कई तरह बदलाव भी सामने आने लगते हैं। अक्सर बच्चे के जन्म के महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। लेकिन पुरुषों में भी इसके मामले देखने को मिल रहे हैं।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sat, 24 Jun 2023 04:53 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Postpartum Depression: प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चे के जन्म तक एक महिला कई तरह के बदलावों से गुजरती है। मां बनने के बाद भी उनके जीवन में कई सारे बदलाव होने लगते हैं। माता-पिता बनना जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है। साथ ही यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए कई तरह की भावनाए और चुनौतियां लेकर आता है। ऐसे में अक्सर प्रसव के बाद कई महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है, जिसकी वजह से उन्हें कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर यह अवसाद महिलाओं में देखने को मिलता है, लेकिन यह पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है। इसे पेर्टनल पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
- उदासी, चिड़चिड़ापन या चिंता
- गतिविधियों में रुचि कम होना
- थकान या कम ऊर्जा
- भूख या नींद के पैटर्न में बदलाव
- ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में कठिनाई
- परिवार और दोस्तों से अलगाव
- सिरदर्द या पाचन संबंधी समस्याएं
- खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के विचार (गंभीर मामलों में)
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रिस्क फैक्टर
पेर्टनल पोस्टपार्टम डिप्रेशन आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद पहले के कुछ महीनों के दौरान होता है, लेकिन वह पहले वर्ष के दौरान किसी भी समय नजर आ सकता है। इसके कारणों में बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल और सोशल कारक शामिल हो सकते हैं। इसके कुछ आम रिस्क फैक्टर में व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास, रिश्ते की कठिनाइयां, सामाजिक समर्थन की कमी, वित्तीय तनाव और नींद की कमी शामिल हैं। पुरुषों में होने वाले इस डिप्रेशन के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवरियल साइंसेज फोर्टिस मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मीमांसा सिंह तंवर से बात की।
पुरुषों में क्यों होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
इस बारे में बात करते हुए डॉक्टर कहती हैं कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन आमतौर पर गर्भावस्था के बाद महिलाओं में बायोलॉजिकल और इमोशनल बदलावों की वजह से होता है। बच्चों की देखभाल एक थका देने वाला काम है। शोध से पता चला है कि मां के साथ पिता भी बच्चों की देखभाल में एक अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इसकी वजह से अनियमित स्लीप साइकिल और बच्चे की जरूरतों को पूरा करने की वजह से उन्हें थकान हो सकती है, जो उनके मूड, भूख और नींद को प्रभावित कर सकता है।पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचाव
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारकों के बारे में बात करते हुए डॉक्टर मीमांसा बताती हैं कि सामाजिक समर्थन की कमी, काम पर इंफ्लैक्सिबिलिटी या नवजात शिशु को सोने, खिलाने आदि में कठिनाई जैसे कारक इस स्थिति को और भी बढ़ा सकते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि इससे निपटने के तरीके सीखे जाएं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निपटने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं-
- परिवर्तनों को स्वीकार करना
- एक-दूसरे का समर्थन करना
- बारी-बारी से बच्चे की देखभाल करना ताकि माता-पिता दोनों का आराम करने का पर्याप्त समय मिल सके।
- परिवार के सदस्यों से समर्थन
- सैर के लिए बाहर जाना
- बच्चे की देखभाल में एक-दूसरे का साथ देना